सेना की ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांग हुए कैडेट्स की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा

सेना की ऑफिसर ट्रेनिंग के दौरान चोटिल हो जाने वाले पूर्व कैडेट की स्थिति पर संज्ञान लेकर सोमवार (18 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. जस्टिस बी वी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक मीडिया रिपोर्ट पर यह संज्ञान लिया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि दिव्यांग हो चुके यह कैडेट अपने इलाज का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कई सुझाव दिए और उन पर विचार कर जवाब दाखिल करने को कहा. जस्टिस नागरत्ना ने केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इन कैडेट्स की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. ऐसे में इनके लिए जरूरी कदम उठाने में सरकार को अधिक समस्या नहीं होगी. जो सुझाव कोर्ट की तरफ से दिए गए हैं उनमें यह प्रमुख हैं:- दिव्यांग हो चुके कैडेट को एकमुश्त सहायता राशि देना, इलाज का खर्च उठाना, अगर इलाज के चलते स्थिति सुधर चुकी हो तो सेना में उपयुक्त पद देना. साथ ही कोर्ट ने भविष्य में सभी कैडेट को ग्रुप इंश्योरेंस के दायरे में लाने का भी सुझाव दिया है. जिस मीडिया रिपोर्ट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है, उसमें बताया गया था कि देश में इस तरह के लगभग 500 कैडेट हैं. यह कैडेट नेशनल डिफेंस एकेडमी या इंडियन मिलिट्री एकेडमी में प्रशिक्षण लेते समय दिव्यांग हो गए. इसके चलते उन्हें प्रशिक्षण से हटा दिया गया. चूंकि, यह लोग ऑफिसर के तौर पर कमीशंड नहीं हुए थे, इसलिए इन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा हासिल नहीं है. उन्हें बहुत कम मासिक गुजारा राशि मिलती है, जो जीवन चलाने या मेडिकल बिल का खर्च उठाने के लिए नाकाफी है.

Aug 18, 2025 - 16:30
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सेना की ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांग हुए कैडेट्स की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा

सेना की ऑफिसर ट्रेनिंग के दौरान चोटिल हो जाने वाले पूर्व कैडेट की स्थिति पर संज्ञान लेकर सोमवार (18 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. जस्टिस बी वी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक मीडिया रिपोर्ट पर यह संज्ञान लिया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि दिव्यांग हो चुके यह कैडेट अपने इलाज का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को कई सुझाव दिए और उन पर विचार कर जवाब दाखिल करने को कहा. जस्टिस नागरत्ना ने केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इन कैडेट्स की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. ऐसे में इनके लिए जरूरी कदम उठाने में सरकार को अधिक समस्या नहीं होगी.

जो सुझाव कोर्ट की तरफ से दिए गए हैं उनमें यह प्रमुख हैं:- दिव्यांग हो चुके कैडेट को एकमुश्त सहायता राशि देना, इलाज का खर्च उठाना, अगर इलाज के चलते स्थिति सुधर चुकी हो तो सेना में उपयुक्त पद देना. साथ ही कोर्ट ने भविष्य में सभी कैडेट को ग्रुप इंश्योरेंस के दायरे में लाने का भी सुझाव दिया है.

जिस मीडिया रिपोर्ट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है, उसमें बताया गया था कि देश में इस तरह के लगभग 500 कैडेट हैं. यह कैडेट नेशनल डिफेंस एकेडमी या इंडियन मिलिट्री एकेडमी में प्रशिक्षण लेते समय दिव्यांग हो गए. इसके चलते उन्हें प्रशिक्षण से हटा दिया गया. चूंकि, यह लोग ऑफिसर के तौर पर कमीशंड नहीं हुए थे, इसलिए इन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा हासिल नहीं है. उन्हें बहुत कम मासिक गुजारा राशि मिलती है, जो जीवन चलाने या मेडिकल बिल का खर्च उठाने के लिए नाकाफी है.

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