भोपाल नवाब संपत्ति विवाद की दोबारा सुनवाई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, सैफ अली खान और शर्मिला टैगोर के पक्ष में था पुराना फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल के दिवंगत नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति से जुड़े विवाद की नए सिरे से सुनवाई के आदेश पर रोक लगा दी है. 6 जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने साल 2000 में आए निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए दोबारा सुनवाई का आदेश दिया था. जिस फैसले को हाई कोर्ट ने निरस्त किया था, वह दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी और उनके वारिसों शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा सुल्तान के पक्ष में था. नवाब हमीदुल्लाह खान की हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति से जुड़ा विवाद 50 साल से भी अधिक पुराना है. 1960 में उनके निधन के बाद उनकी बेटी साजिदा सुल्तान को नवाब बेगम घोषित किया गया. सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान साजिदा सुल्तान के बेटे थे. नवाब हमीदुल्लाह खान के परिवार के दूसरे सदस्यों का कहना है कि सभी संपत्ति पुश्तैनी है. उसका बंटवारा शरीयत कानून के मुताबिक होना चाहिए, लेकिन साल 2000 में ट्रायल कोर्ट ने साजिदा सुल्तान के बेटे और उनके वारिसों को संपत्ति का हकदार बताया. इस फैसले के खिलाफ अपील 25 साल तक हाई कोर्ट में लंबित रही. अंत में हाई कोर्ट ने उत्तराधिकार से जुड़े कुछ पुराने फैसलों का हवाला दिया और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने उन पर ध्यान नहीं दिया. इसे आधार बनाते हुए हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया. संपत्ति पर दावा कर रहे नवाब हमीदुल्लाह खान के बड़े भाई के 2 वारिस ओमर फारुख और राशिद अली इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष ने नए सिरे से सुनवाई की मांग नहीं की थी. जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने याचिकाकर्ता पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल के दिवंगत नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति से जुड़े विवाद की नए सिरे से सुनवाई के आदेश पर रोक लगा दी है. 6 जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने साल 2000 में आए निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए दोबारा सुनवाई का आदेश दिया था. जिस फैसले को हाई कोर्ट ने निरस्त किया था, वह दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी और उनके वारिसों शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा सुल्तान के पक्ष में था.
नवाब हमीदुल्लाह खान की हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति से जुड़ा विवाद 50 साल से भी अधिक पुराना है. 1960 में उनके निधन के बाद उनकी बेटी साजिदा सुल्तान को नवाब बेगम घोषित किया गया. सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान साजिदा सुल्तान के बेटे थे. नवाब हमीदुल्लाह खान के परिवार के दूसरे सदस्यों का कहना है कि सभी संपत्ति पुश्तैनी है. उसका बंटवारा शरीयत कानून के मुताबिक होना चाहिए, लेकिन साल 2000 में ट्रायल कोर्ट ने साजिदा सुल्तान के बेटे और उनके वारिसों को संपत्ति का हकदार बताया.
इस फैसले के खिलाफ अपील 25 साल तक हाई कोर्ट में लंबित रही. अंत में हाई कोर्ट ने उत्तराधिकार से जुड़े कुछ पुराने फैसलों का हवाला दिया और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने उन पर ध्यान नहीं दिया. इसे आधार बनाते हुए हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया. संपत्ति पर दावा कर रहे नवाब हमीदुल्लाह खान के बड़े भाई के 2 वारिस ओमर फारुख और राशिद अली इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष ने नए सिरे से सुनवाई की मांग नहीं की थी.
जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने याचिकाकर्ता पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है.
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