'ब्रेक्जिट सफल हो रहा...', भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की ब्रिटिश मीडिया में जमकर तारीफ, जानें और क्या कहा
India UK FTA: भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार को तीन साल लंबी बातचीत और अथक मेहनत के बाद मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लग गई. एक तरफ जहां पीएम मोदी ने कहा कि इससे भारत को एक बड़ा बाजार मिलेगा तो वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश मीडिया ने भी भारत-यूके एफटीए की जमकर तारीफ की. इसके साथ ही कहा कि इससे जीडीपी की रफ्तार बढ़ेगी और भारत के रूप में तेजी से उभरता हुआ दुनिया का एक बड़ा बाजार मिलेगा. ब्रिटिश सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक समझौता करार देते हुए कहा कि इससे हजारों नौकरियां और निर्यात सुनिश्चत हो पाएगा. ब्रिटेन के लगभग सभी मीडिया ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को ब्रेक्जिट के बाद सफल कदम करार दिया है. आइये जानते हैं कि इस डील पर ब्रिटिश मीडिया ने क्या कहा- ब्रिटिश मीडिया में तारीफ भारत-यूके एफटीए पर The Times ने कहा कि ये समझौता मेहनत के लायक है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्रिटेन को एक विशाल बाजार देता है, जो 2050 तक चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार हो सकता है. उसने ब्रिटिश राज के दौरान गांधी जी के विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और खादी खरीदने के ऐतिहासिक घटना की याद दिलाते हुए नई दिल्ली की ताकत का एहसास कराया और कहा कि 2022 में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. सफल हो रहा ब्रेक्जिट ब्रिटेन के Daily Express ने भारत और यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के कसीदे पढ़ते हुए लिखा है कि दोनों देशों के बीच हुआ ये समझौते यूरोपीय यूनियन में रहने के पक्षधर लोगों को उनके कॉर्नफ्लेक्स में दम घोंट देगा. क्योंकि ये ईयू छोड़ने के बाद ही संभव हो पाया है, जो ये दर्शाता है कि सचमुच में ब्रेक्जिट सफल रहा है. जीडीपी को किस तरह से फायदे- दरअसल, इस समझौते के बाद अब भारतीय प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में लगने वाले सीमा शुल्क की दरें अब 15 प्रतिशत से कम होकर 3 प्रतिशत पर आ जाएगी. इससे भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक करीब 120 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य है. हालांकि इसके लागू होने में अभी एक साल का वक्त लगेगा. लेकिन The Financial Times का कहना है कि ब्रिटिश ऑटोमोबाइल सेक्टर एफटीए से निराश है. इसकी वजह पेट्रोल-डीजल की कारों पर भारतीय आयात शुल्क में सिर्फ 10 प्रतिशत तक ही 2031 तक कटौती हो पाएगी. इसके अलावा, भारत में ब्रिटिश कारों की बिक्री पर सख्त सीमाएं (कोटा) भी लागू रहेंगी, जो साल 2046 तक धीरे-धीरे और कम होती जाएंगी. ये भी पढ़ें: अब ब्रिटेन में बजेगा भारत का डंका, Made in India ये प्रोडक्ट्स खूब खरीदेंगे अंग्रेज

India UK FTA: भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार को तीन साल लंबी बातचीत और अथक मेहनत के बाद मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लग गई. एक तरफ जहां पीएम मोदी ने कहा कि इससे भारत को एक बड़ा बाजार मिलेगा तो वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश मीडिया ने भी भारत-यूके एफटीए की जमकर तारीफ की. इसके साथ ही कहा कि इससे जीडीपी की रफ्तार बढ़ेगी और भारत के रूप में तेजी से उभरता हुआ दुनिया का एक बड़ा बाजार मिलेगा.
ब्रिटिश सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक समझौता करार देते हुए कहा कि इससे हजारों नौकरियां और निर्यात सुनिश्चत हो पाएगा. ब्रिटेन के लगभग सभी मीडिया ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को ब्रेक्जिट के बाद सफल कदम करार दिया है. आइये जानते हैं कि इस डील पर ब्रिटिश मीडिया ने क्या कहा-
ब्रिटिश मीडिया में तारीफ
भारत-यूके एफटीए पर The Times ने कहा कि ये समझौता मेहनत के लायक है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्रिटेन को एक विशाल बाजार देता है, जो 2050 तक चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार हो सकता है. उसने ब्रिटिश राज के दौरान गांधी जी के विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और खादी खरीदने के ऐतिहासिक घटना की याद दिलाते हुए नई दिल्ली की ताकत का एहसास कराया और कहा कि 2022 में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
सफल हो रहा ब्रेक्जिट
ब्रिटेन के Daily Express ने भारत और यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के कसीदे पढ़ते हुए लिखा है कि दोनों देशों के बीच हुआ ये समझौते यूरोपीय यूनियन में रहने के पक्षधर लोगों को उनके कॉर्नफ्लेक्स में दम घोंट देगा. क्योंकि ये ईयू छोड़ने के बाद ही संभव हो पाया है, जो ये दर्शाता है कि सचमुच में ब्रेक्जिट सफल रहा है.
जीडीपी को किस तरह से फायदे-
दरअसल, इस समझौते के बाद अब भारतीय प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में लगने वाले सीमा शुल्क की दरें अब 15 प्रतिशत से कम होकर 3 प्रतिशत पर आ जाएगी. इससे भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक करीब 120 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य है. हालांकि इसके लागू होने में अभी एक साल का वक्त लगेगा.
लेकिन The Financial Times का कहना है कि ब्रिटिश ऑटोमोबाइल सेक्टर एफटीए से निराश है. इसकी वजह पेट्रोल-डीजल की कारों पर भारतीय आयात शुल्क में सिर्फ 10 प्रतिशत तक ही 2031 तक कटौती हो पाएगी. इसके अलावा, भारत में ब्रिटिश कारों की बिक्री पर सख्त सीमाएं (कोटा) भी लागू रहेंगी, जो साल 2046 तक धीरे-धीरे और कम होती जाएंगी.
ये भी पढ़ें: अब ब्रिटेन में बजेगा भारत का डंका, Made in India ये प्रोडक्ट्स खूब खरीदेंगे अंग्रेज
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