पिता की सीख और खुद पर यकीन ने बना दिया सीए टॉपर, राजन काबरा की कहानी हर युवा के दिल को छू जाएगी
"मार्क्स की नहीं, सीखने की फिक्र करो बेटा" पिता की यही एक सीख राजन काबरा की जिंदगी बदल गई. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने सीए फाइनल 2025 के नतीजे घोषित कर दिए हैं और इस बार पूरे देश की नजरें उस युवा पर हैं, जिसने पहले ही प्रयास में 600 में से 516 अंक लाकर टॉप किया- राजन काबरा. महज 22 साल की उम्र में जब बहुत से छात्र पहली बार परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तब राजन न सिर्फ फाइनल पास करते हैं बल्कि देशभर में पहला स्थान भी हासिल करते हैं. लेकिन ये सफर आसान नहीं था. किताबों से ज्यादा पिता की बातें काम आईं राजन के पिता खुद एक सीए हैं. जब भी वह थकते, हार मानने का मन करता, तो पापा कहते – "रैंक नहीं, अपनी मेहनत का सम्मान कर". मां घर पर हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखतीं ताकि बेटा सिर्फ पढ़ाई पर फोकस कर सके. बहन डॉक्टर है, और वह हमेशा उसका हौसला बढ़ाती रही. यह भी पढ़ें: रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बारे में तो बहुत सुना होगा, अब जान लीजिए वहां के PM मिखाइल मिशुस्तिन कितने पढ़े-लिखे? राजन का कहना है कि मेरे पापा ने कभी नंबरों का दबाव नहीं डाला. उन्होंने कहा कि अगर तुमने ईमानदारी से तैयारी की है तो तुम्हारा काम कभी बेकार नहीं जाएगा. कितने घंटे की पढ़ाई राजन हर दिन करीब 12 घंटे पढ़ाई करते थे. कई बार ऐसा भी हुआ कि उन्हें लगने लगा – अब नहीं हो पाएगा. लेकिन फिर उन्हें याद आता ये सिर्फ एक एग्जाम नहीं है, ये उनके परिवार का सपना है. और फिर वो एक बार फिर किताब खोल लेते. उनका कहना है कि सबसे कठिन विषयों से मैंने दोस्ती की. बार-बार पढ़ा, समझा और खुद को कभी कम नहीं समझा. सोशल मीडिया नहीं बना दुश्मन, बना दोस्त जहां आज के युवा सोशल मीडिया में खो जाते हैं, राजन ने उसे एक टूल की तरह इस्तेमाल किया. यूट्यूब से टॉपिक क्लियर किए, लेक्चर देखे और बाकी ऐप्स से दूरी बनाई. राजन कहते हैं ध्यान भटकता जरूर है, लेकिन खुद पर कंट्रोल रखो तो वही चीज मददगार भी बन जाती है. यह भी पढ़ें- PM YASASVI Scholarship 2025: अब नहीं रुकेगी पढ़ाई, प्रधानमंत्री यशस्वी स्कॉलरशिप दे रही ओबीसी छात्रों को पढ़ाई का मौका

"मार्क्स की नहीं, सीखने की फिक्र करो बेटा" पिता की यही एक सीख राजन काबरा की जिंदगी बदल गई. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने सीए फाइनल 2025 के नतीजे घोषित कर दिए हैं और इस बार पूरे देश की नजरें उस युवा पर हैं, जिसने पहले ही प्रयास में 600 में से 516 अंक लाकर टॉप किया- राजन काबरा.
महज 22 साल की उम्र में जब बहुत से छात्र पहली बार परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तब राजन न सिर्फ फाइनल पास करते हैं बल्कि देशभर में पहला स्थान भी हासिल करते हैं. लेकिन ये सफर आसान नहीं था.
किताबों से ज्यादा पिता की बातें काम आईं
राजन के पिता खुद एक सीए हैं. जब भी वह थकते, हार मानने का मन करता, तो पापा कहते – "रैंक नहीं, अपनी मेहनत का सम्मान कर". मां घर पर हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखतीं ताकि बेटा सिर्फ पढ़ाई पर फोकस कर सके. बहन डॉक्टर है, और वह हमेशा उसका हौसला बढ़ाती रही.
यह भी पढ़ें: रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बारे में तो बहुत सुना होगा, अब जान लीजिए वहां के PM मिखाइल मिशुस्तिन कितने पढ़े-लिखे?
राजन का कहना है कि मेरे पापा ने कभी नंबरों का दबाव नहीं डाला. उन्होंने कहा कि अगर तुमने ईमानदारी से तैयारी की है तो तुम्हारा काम कभी बेकार नहीं जाएगा.
कितने घंटे की पढ़ाई
राजन हर दिन करीब 12 घंटे पढ़ाई करते थे. कई बार ऐसा भी हुआ कि उन्हें लगने लगा – अब नहीं हो पाएगा. लेकिन फिर उन्हें याद आता ये सिर्फ एक एग्जाम नहीं है, ये उनके परिवार का सपना है. और फिर वो एक बार फिर किताब खोल लेते. उनका कहना है कि सबसे कठिन विषयों से मैंने दोस्ती की. बार-बार पढ़ा, समझा और खुद को कभी कम नहीं समझा.
सोशल मीडिया नहीं बना दुश्मन, बना दोस्त
जहां आज के युवा सोशल मीडिया में खो जाते हैं, राजन ने उसे एक टूल की तरह इस्तेमाल किया. यूट्यूब से टॉपिक क्लियर किए, लेक्चर देखे और बाकी ऐप्स से दूरी बनाई. राजन कहते हैं ध्यान भटकता जरूर है, लेकिन खुद पर कंट्रोल रखो तो वही चीज मददगार भी बन जाती है.
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