Waqf Amendment Act: सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हिंदू ट्रस्ट, कहा- वक्फ कानून मुस्लिमों के अस्तित्व पर खतरा
वक्फ संशोधन कानून, 2025 को एक हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया गया है कि यह भारत के मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालता है. केरल के नारायण मानव धर्माम ट्रस्ट ने यह याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 21, 25, 26 और 29(1) का उल्लंघन करता है. उन्होंने संविधान के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हस्तक्षेप की मांग की है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, 'देश के मुस्लिम समुदाय और सामाजिक न्याय पर समग्र रूप से लागू किए गए वक्फ कानून के प्रभावों पर ट्रस्ट मूकदर्शक नहीं बना रह सकता है. यह कानून वास्तव में वक्फ तंत्र को खत्म करता है.' याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह कानून वक्फ तंत्र को एक गैर-धार्मिक संस्था मानता है और मूल शासी कानून के रूप में इस्लामिक कानून को नए वक्फ अधिनियम से पूरी तरह हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि कानून को पूरे मुस्लिम समुदाय पर लागू करना और मुस्लिम की ओर से की जा रही चैरिटेबल डोनेशन को राज्य सरकार के अधीन करना असंवैधानिक है. याचिका में कहा गया है कि कानून पूरी तरह से गैर-कानूनी है और ये संविधान के साथ धोखाधड़ी है क्योंकि संसद के पास देश के किसी भी वर्ग पर इस तरह की योजना लागू करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि वक्फ तंत्र सरकार के अंतर्गत आ जाने से मुस्लिम समुदाय अपने धार्मिक अभ्यास को बनाए रखने के लिए आर्थिक और वित्तीय रूप से वंचित रह जाएगा. इस तरह लागू किया गया कानून मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालता है, जो सदियों से अपने सर्वाइवल के लिए वक्फ तंत्र पर निर्भर है. याचिका में कहा गया कि सदियों से चला आ रहा वक्फ तंत्र जारी रहना चाहिए क्योंकि इस्लाम से जुड़े धार्मिक कार्यों को जारी रखने और भारत में इस्लाम के अस्तित्व के लिए यह आर्थिक और वित्तीय संसाधनों का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है. यह भी पढ़ें:-मुगलों का वंशज बताकर लाल किले की मांग कर रही सुल्ताना बेगम से CJI ने पूछा- फतेहपुर सीकरी और ताजमहल क्यों नहीं चाहिए?

वक्फ संशोधन कानून, 2025 को एक हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया गया है कि यह भारत के मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालता है. केरल के नारायण मानव धर्माम ट्रस्ट ने यह याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 21, 25, 26 और 29(1) का उल्लंघन करता है. उन्होंने संविधान के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हस्तक्षेप की मांग की है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, 'देश के मुस्लिम समुदाय और सामाजिक न्याय पर समग्र रूप से लागू किए गए वक्फ कानून के प्रभावों पर ट्रस्ट मूकदर्शक नहीं बना रह सकता है. यह कानून वास्तव में वक्फ तंत्र को खत्म करता है.'
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह कानून वक्फ तंत्र को एक गैर-धार्मिक संस्था मानता है और मूल शासी कानून के रूप में इस्लामिक कानून को नए वक्फ अधिनियम से पूरी तरह हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि कानून को पूरे मुस्लिम समुदाय पर लागू करना और मुस्लिम की ओर से की जा रही चैरिटेबल डोनेशन को राज्य सरकार के अधीन करना असंवैधानिक है.
याचिका में कहा गया है कि कानून पूरी तरह से गैर-कानूनी है और ये संविधान के साथ धोखाधड़ी है क्योंकि संसद के पास देश के किसी भी वर्ग पर इस तरह की योजना लागू करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि वक्फ तंत्र सरकार के अंतर्गत आ जाने से मुस्लिम समुदाय अपने धार्मिक अभ्यास को बनाए रखने के लिए आर्थिक और वित्तीय रूप से वंचित रह जाएगा. इस तरह लागू किया गया कानून मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालता है, जो सदियों से अपने सर्वाइवल के लिए वक्फ तंत्र पर निर्भर है.
याचिका में कहा गया कि सदियों से चला आ रहा वक्फ तंत्र जारी रहना चाहिए क्योंकि इस्लाम से जुड़े धार्मिक कार्यों को जारी रखने और भारत में इस्लाम के अस्तित्व के लिए यह आर्थिक और वित्तीय संसाधनों का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है.
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