वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को लेकर राज्य सरकार का अध्यादेश अभी लागू नहीं होगा, विरोध कर रहे गोस्वामियों को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर रोक लगाने की बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के गोस्वामी और दूसरे पक्ष अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. फिलहाल मंदिर का प्रबंधन हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली कमेटी संभालेगी. शनिवार, 9 अगस्त तक लिखित आदेश जारी कर दिया जाएगा. उसमें कमेटी के अध्यक्ष और बाकी सदस्यों का ब्यौरा होगा. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने संभावित आदेश का संकेत देते हुए कहा :- हम सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच से जारी आदेश का वह हिस्सा हटा देंगे जो मंदिर की मौजूदा कमेटी के अधिकारों को प्रभावित करता है. मंदिर के मैनेजमेंट को लेकर राज्य सरकार का अध्यादेश फिलहाल लागू नहीं होगा. हालांकि, अध्यादेश को विधानसभा में पेश कर मंजूरी दिलाने पर रोक नहीं है. अध्यादेश के खिलाफ याचिकाएं हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच सुने. मंदिर के प्रबंधन के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी. उसमें प्रशासन के लोग और कुछ गोस्वामी भी होंगे. 15 मई को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के लिए मंदिर के फंड का इस्तेमाल करे. मंदिर के परंपरागत पुजारी और गोस्वामियों की मैनेजमेंट कमेटी ने इसका विरोध किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए राज्य सरकार के अध्यादेश को भी गलत बताया है. गोस्वामियों ने राज्य सरकार के अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा है कि एक निजी मंदिर को सरकार अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रही है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में साफ किया है कि उसका धार्मिक गतिविधियों में दखल का कोई इरादा नहीं है. वह सिर्फ मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था बनाना चाहती है.

Aug 8, 2025 - 15:30
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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को लेकर राज्य सरकार का अध्यादेश अभी लागू नहीं होगा, विरोध कर रहे गोस्वामियों को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर रोक लगाने की बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के गोस्वामी और दूसरे पक्ष अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. फिलहाल मंदिर का प्रबंधन हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली कमेटी संभालेगी. शनिवार, 9 अगस्त तक लिखित आदेश जारी कर दिया जाएगा. उसमें कमेटी के अध्यक्ष और बाकी सदस्यों का ब्यौरा होगा.

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने संभावित आदेश का संकेत देते हुए कहा :-

  • हम सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच से जारी आदेश का वह हिस्सा हटा देंगे जो मंदिर की मौजूदा कमेटी के अधिकारों को प्रभावित करता है.
  • मंदिर के मैनेजमेंट को लेकर राज्य सरकार का अध्यादेश फिलहाल लागू नहीं होगा. हालांकि, अध्यादेश को विधानसभा में पेश कर मंजूरी दिलाने पर रोक नहीं है.
  • अध्यादेश के खिलाफ याचिकाएं हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच सुने.
  • मंदिर के प्रबंधन के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी. उसमें प्रशासन के लोग और कुछ गोस्वामी भी होंगे.

15 मई को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के लिए मंदिर के फंड का इस्तेमाल करे. मंदिर के परंपरागत पुजारी और गोस्वामियों की मैनेजमेंट कमेटी ने इसका विरोध किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए राज्य सरकार के अध्यादेश को भी गलत बताया है.

गोस्वामियों ने राज्य सरकार के अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा है कि एक निजी मंदिर को सरकार अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रही है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में साफ किया है कि उसका धार्मिक गतिविधियों में दखल का कोई इरादा नहीं है. वह सिर्फ मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था बनाना चाहती है.

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