लोन लेकर भी डूब रही है पाकिस्तान की इकोनॉमी, बढ़ रही है गरीबी; World Bank की रिपोर्ट में चौंकानेवाले खुलासे
India-Pakistan: भारत और पाकिस्तान भले ही एक दूसरे के पड़ोसी देश हैं, लेकिन दोनों के हालातों में जमीन-आसमान का अंतर है. वर्ल्ड बैंक की एक नई डेटा में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीते दस सालों में जहां भारत में गरीबी बड़े पैमाने पर कम हुई है. वहीं, पाकिस्तान आर्थिक परेशानियों से घिरा हुआ है. वर्ल्ड बैंक की डेटा के हवाले से NDTV ने अपनी रिपोर्ट में बताया, जहां भारत के डेवलपमेंट मॉडल में ग्रोथ और गरीबी हटाने पर फोकस किया गया, जबकि पाकिस्तान वित्तीय कुप्रबंधन के चलते बढ़ते कर्ज में डूबता गया. यहां आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों की फाइनेंसिंग भी लगातार बढ़ती रही. पाकिस्तान में बढ़ रही गरीबी वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में आर्थिक हालातों और महंगाई का पता लगाने के लिए वैश्विक गरीबी रेखा को 2.15 डॉलर से 3 डॉलर प्रति व्यक्ति के बीच रखा है. इस हाई बेंचमार्क पर भी विकास की ओर भारत की रफ्तार देखने लायक थी. वर्ल्ड बैंक की Poverty and Shared Prosperity रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अत्यधिक गरीबी 2012 में 27.1 परसेंट से 2022 में कम होकर केवल 5.3 तक रह गई है. देश में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 2011-12 में 344.47 लाख से घटकर 2022-23 में 75.24 लाख हो गई है. यानी कि इसमें 269 लाख की कमी आई है, जो पाकिस्तान की पूरी आबादी से भी अधिक है. कर्ज पर निर्भर पर पाकिस्तान की इकोनॉमी इसके विपरीत, पाकिस्तान में 2017 और 2021 के बीच अत्यधिक गरीबी में रहने वाली इसकी आबादी का अनुपात 4.9 परसेंट से बढ़कर 16.5 परसेंट हो गया. यहां प्रति व्यक्ति प्रति दिन 4.2 डॉलर की आय के आधार पर व्यापक गरीबी दर 2017 में 39.8 परसेंट से बढ़कर 2021 में 44.7 परसेंट से अधिक हो गई. पाकिस्तान की इकोनॉमी दूसरे देशों से मिल रही सहायता और विदेशी बैंकों के लोन पर बहुत अधिक निर्भर है. पाकिस्तान ने IMF से 44.57 बिलियन डॉलर का 25 बेलआउट पैकेज लिया है. इसके अलावा, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से 38.8 बिलियन डॉलर का लोन लिया है. इसके साथ-साथ पाकिस्तान ने चीन से भी 25 बिलियन डॉलर से अधिक लोन ले रखा है. उस पर 7.8 बिलियन डॉलर यूरोबॉन्ड और सुकुक उधार भी है. पाकिस्तान ने सऊदी अरब, यूएई जैसे देशों और पेरिस क्लब के सदस्यों से भी आर्थिक मदद मिली है. सेना हैं राजनीति और इकोनॉमी के कर्ता-धर्ता पाकिस्तान में भारत के हाई कमीश्नर रह चुके अजय बिसारिया ने NDTV से बात करते हुए कहा, ''दुनिया पाकिस्तान की समस्या को तब तक नहीं सुलझा सकती, जब तक कि राजनीति और अर्थव्यवस्था में पाकिस्तानी सेना की भारी संख्या में मौजूद रहने के प्रॉब्लम को दूर नहीं कर लिया जाता. पाकिस्तान में रिसोर्स अलॉटमेंट का काम सेना के हाथों में है इसलिए भेजे जाने वाले फंड का दुरुपयोग सेना द्वारा और आतंकी तंत्र के निर्माण में किया जाता है. सभी डोनर्स को डेटा को लेकर जागरूक होना चाहिए जो यह दिखाता है कि बेलआउट पैकेज से केवल पाकिस्तान की सेना ही फल-फूल रही है.'' ये भी पढ़ें: कैंप लगाकर पैसे बांटने की तैयारी में सरकार, क्या बैंकों के पास जमा 78213 करोड़ में है आपका भी हिस्सा; ऐसे करें क्लेम

India-Pakistan: भारत और पाकिस्तान भले ही एक दूसरे के पड़ोसी देश हैं, लेकिन दोनों के हालातों में जमीन-आसमान का अंतर है. वर्ल्ड बैंक की एक नई डेटा में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीते दस सालों में जहां भारत में गरीबी बड़े पैमाने पर कम हुई है. वहीं, पाकिस्तान आर्थिक परेशानियों से घिरा हुआ है.
वर्ल्ड बैंक की डेटा के हवाले से NDTV ने अपनी रिपोर्ट में बताया, जहां भारत के डेवलपमेंट मॉडल में ग्रोथ और गरीबी हटाने पर फोकस किया गया, जबकि पाकिस्तान वित्तीय कुप्रबंधन के चलते बढ़ते कर्ज में डूबता गया. यहां आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों की फाइनेंसिंग भी लगातार बढ़ती रही.
पाकिस्तान में बढ़ रही गरीबी
वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में आर्थिक हालातों और महंगाई का पता लगाने के लिए वैश्विक गरीबी रेखा को 2.15 डॉलर से 3 डॉलर प्रति व्यक्ति के बीच रखा है. इस हाई बेंचमार्क पर भी विकास की ओर भारत की रफ्तार देखने लायक थी.
वर्ल्ड बैंक की Poverty and Shared Prosperity रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अत्यधिक गरीबी 2012 में 27.1 परसेंट से 2022 में कम होकर केवल 5.3 तक रह गई है. देश में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 2011-12 में 344.47 लाख से घटकर 2022-23 में 75.24 लाख हो गई है. यानी कि इसमें 269 लाख की कमी आई है, जो पाकिस्तान की पूरी आबादी से भी अधिक है.
कर्ज पर निर्भर पर पाकिस्तान की इकोनॉमी
इसके विपरीत, पाकिस्तान में 2017 और 2021 के बीच अत्यधिक गरीबी में रहने वाली इसकी आबादी का अनुपात 4.9 परसेंट से बढ़कर 16.5 परसेंट हो गया. यहां प्रति व्यक्ति प्रति दिन 4.2 डॉलर की आय के आधार पर व्यापक गरीबी दर 2017 में 39.8 परसेंट से बढ़कर 2021 में 44.7 परसेंट से अधिक हो गई.
पाकिस्तान की इकोनॉमी दूसरे देशों से मिल रही सहायता और विदेशी बैंकों के लोन पर बहुत अधिक निर्भर है. पाकिस्तान ने IMF से 44.57 बिलियन डॉलर का 25 बेलआउट पैकेज लिया है. इसके अलावा, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से 38.8 बिलियन डॉलर का लोन लिया है.
इसके साथ-साथ पाकिस्तान ने चीन से भी 25 बिलियन डॉलर से अधिक लोन ले रखा है. उस पर 7.8 बिलियन डॉलर यूरोबॉन्ड और सुकुक उधार भी है. पाकिस्तान ने सऊदी अरब, यूएई जैसे देशों और पेरिस क्लब के सदस्यों से भी आर्थिक मदद मिली है.
सेना हैं राजनीति और इकोनॉमी के कर्ता-धर्ता
पाकिस्तान में भारत के हाई कमीश्नर रह चुके अजय बिसारिया ने NDTV से बात करते हुए कहा, ''दुनिया पाकिस्तान की समस्या को तब तक नहीं सुलझा सकती, जब तक कि राजनीति और अर्थव्यवस्था में पाकिस्तानी सेना की भारी संख्या में मौजूद रहने के प्रॉब्लम को दूर नहीं कर लिया जाता. पाकिस्तान में रिसोर्स अलॉटमेंट का काम सेना के हाथों में है इसलिए भेजे जाने वाले फंड का दुरुपयोग सेना द्वारा और आतंकी तंत्र के निर्माण में किया जाता है. सभी डोनर्स को डेटा को लेकर जागरूक होना चाहिए जो यह दिखाता है कि बेलआउट पैकेज से केवल पाकिस्तान की सेना ही फल-फूल रही है.''
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