रूस के साथ सफेद सोना पाने के रास्ते चल पड़ा भारत, अब नहीं रहना पड़ेगा चीन के भरोसे
सरकारी कंपनी एनएलसी इंडिया (NLC India) इन दिनों अफ्रीका के माली में एक लिथियम ब्लॉक में हिस्सेदारी लेने के लिए रूस की एक कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है. इससे भारत को क्लीन एनर्जी के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. इससे चीन पर निर्भरता भी कम होगी और एक एक स्थिर आपूर्ति भी बनी रहेगी. किन कामों में होता है लिथियम का इस्तेमाल? ग्रीन एनर्जी जेनरेट करने के अलावा लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरी बनाने में भी किया जाता है, जिनका इस्तेमाल स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक में होता है. लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल ग्रिड-स्केल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में भी किया जाता है, जो रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज से जेनरेट होने वाली एनर्जी को स्टोर करने में भी मदद करता है. इसके और भी कई फायदे हैं. लिथियम को सफेद सोना भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 75 परसेंट तक सोना और बाकी 25 परसेंट जिंक, निकल या पैलेडियम जैसी धातुएं होती है इसलिए यह सोने की तरह पीला नहीं, बल्कि चांदी की तरह सफेद दिखता है. किन देशों से लिथियम मंगाता है भारत? भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लिथियम का एक बड़ा हिस्सा चीन, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से खरीदता है. जैसे-जैसे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और लिथियम आयन बैटरी की मांग बढ़ती जा रही है, भारत इसकी सप्लाई में कमी महसूस करने लगा है. जहां तक रही चीन की बात, तो यहां लिथियम का बहुत बड़ा भंडार है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 में चीन ने यह दावा किया कि उनके पास पूरी दुनिया का 16.5 परसेंट लिथियम का भंडार है, जो पहले 6.5 परसेंट था. भारत चीन से बड़े पैमाने पर लिथियम का आयात करता है. साल 2000-21 में भारत ने चीन से 3500 करोड़ रुपये का सिर्फ लिथियम ही खरीदा. क्या करती है NLC India? एनएलसी इंडिया लिग्नाइट की माइनिंग के साथ पावर जेनरेशन के काम में भी लगी हुई है. इसी लिग्नाइट का इस्तेमाल थर्मल पावर प्लांट्स में बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, यह सोलर और विंड जैसी रिन्यूएबल एनर्जी का भी उत्पादन करती है. कंपनी राज्य विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को भी बिजली बेचती है. ये भी पढ़ें: पैसे रखें तैयार, सोने की कीमत में आ सकती है बड़ी गिरावट; रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सरकारी कंपनी एनएलसी इंडिया (NLC India) इन दिनों अफ्रीका के माली में एक लिथियम ब्लॉक में हिस्सेदारी लेने के लिए रूस की एक कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है. इससे भारत को क्लीन एनर्जी के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. इससे चीन पर निर्भरता भी कम होगी और एक एक स्थिर आपूर्ति भी बनी रहेगी.
किन कामों में होता है लिथियम का इस्तेमाल?
ग्रीन एनर्जी जेनरेट करने के अलावा लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरी बनाने में भी किया जाता है, जिनका इस्तेमाल स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक में होता है. लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल ग्रिड-स्केल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में भी किया जाता है, जो रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज से जेनरेट होने वाली एनर्जी को स्टोर करने में भी मदद करता है. इसके और भी कई फायदे हैं.
लिथियम को सफेद सोना भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 75 परसेंट तक सोना और बाकी 25 परसेंट जिंक, निकल या पैलेडियम जैसी धातुएं होती है इसलिए यह सोने की तरह पीला नहीं, बल्कि चांदी की तरह सफेद दिखता है.
किन देशों से लिथियम मंगाता है भारत?
भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लिथियम का एक बड़ा हिस्सा चीन, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से खरीदता है. जैसे-जैसे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और लिथियम आयन बैटरी की मांग बढ़ती जा रही है, भारत इसकी सप्लाई में कमी महसूस करने लगा है.
जहां तक रही चीन की बात, तो यहां लिथियम का बहुत बड़ा भंडार है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 में चीन ने यह दावा किया कि उनके पास पूरी दुनिया का 16.5 परसेंट लिथियम का भंडार है, जो पहले 6.5 परसेंट था. भारत चीन से बड़े पैमाने पर लिथियम का आयात करता है. साल 2000-21 में भारत ने चीन से 3500 करोड़ रुपये का सिर्फ लिथियम ही खरीदा.
क्या करती है NLC India?
एनएलसी इंडिया लिग्नाइट की माइनिंग के साथ पावर जेनरेशन के काम में भी लगी हुई है. इसी लिग्नाइट का इस्तेमाल थर्मल पावर प्लांट्स में बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, यह सोलर और विंड जैसी रिन्यूएबल एनर्जी का भी उत्पादन करती है. कंपनी राज्य विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को भी बिजली बेचती है.
ये भी पढ़ें:
पैसे रखें तैयार, सोने की कीमत में आ सकती है बड़ी गिरावट; रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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