मूडीज की इस रिपोर्ट से बिगड़ सकता है चीन का मूड, भारत को होगा फायदा; जानें क्या है पूरा मामला?
Moody's Ratings: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि चीन की 'चाइना+1' रणनीति का फायदा भारत को ही मिलेगा. मूडीज ने कहा कि वैश्विक सप्लाई चेन में आ रहे बदलावों का फायदा भारत को मिल सकता है. कई कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए भारत और इंडोनेशिया में अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट कर रही हैं. इससे भारतीय बंदरगाहों में गतिविधियां बढ़ेंगी क्योंकि कंपनियां भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएगी, तो इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा. इससे देश के बंदरगाहों को मुनाफा होगा. चीन के पोट्स पर बढ़ सकता है दबाव वहीं, दूसरी तरफ चीन के पोर्ट्स की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है. हालांकि, चीन के पास अभी इतना संसाधन है कि वह इस दबाव को झेल सके. हाल के दिनों में कई भू-राजनीतिक तनावों के बीच यह बदलाव आया है. मूडीज ने बताया कि भारत पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ का असर भी अपेक्षाकृत कम है क्योंकि भारत का कई और देशों में भी एक्सपोर्ट बेस मजबूत बना हुआ है और यहां की अर्थव्यवस्था भी तेजी से उभर रही है. इसके अलावा, अमेरिका के साथ भारत का व्यापारिक एक्सपोजर सीमित है इसलिए भारत वैश्विक दबावों को झेलने का दम रखता है. मूडीज ने रिपोर्ट में इसका भी किया जिक्र हालांकि, इन सबके बावजूद मूडीज ने भारत के लिए 2025 के विकास पूर्वानुमान को पिछले 6.7 परसेंट से घटाकर 6.3 परसेंट कर दिया है. बहरहाल, मूडीज ने 2026 के लिए 6.5 परसेंट की वृद्धि का अनुमान लगाया है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले का भी जिक्र किया, जिससे देश में अस्थिरता बढ़ सकती है. कुल मिलाकर मूडीज की रिपोर्ट में यह दो बातें निकलकर सामने आई कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन का फायदा देश के मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और उसके बंदरगाहों को होगा. दूसरी बात यह है कि क्षेत्रीय अस्थिरता के साथ-साथ वैश्विक व्यापारिक तनावों से भी भारत को संभलकर रहने की जरूरत है. ये भी पढ़ें: वीजा हो रहा कैंसिल और कई सामानों का भी हो रहा बॉयकॉट, पाक का साथ देकर बुरे फंसे तुर्किए और अजरबैजान

Moody's Ratings: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि चीन की 'चाइना+1' रणनीति का फायदा भारत को ही मिलेगा. मूडीज ने कहा कि वैश्विक सप्लाई चेन में आ रहे बदलावों का फायदा भारत को मिल सकता है. कई कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए भारत और इंडोनेशिया में अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट कर रही हैं. इससे भारतीय बंदरगाहों में गतिविधियां बढ़ेंगी क्योंकि कंपनियां भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएगी, तो इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा. इससे देश के बंदरगाहों को मुनाफा होगा.
चीन के पोट्स पर बढ़ सकता है दबाव
वहीं, दूसरी तरफ चीन के पोर्ट्स की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है. हालांकि, चीन के पास अभी इतना संसाधन है कि वह इस दबाव को झेल सके. हाल के दिनों में कई भू-राजनीतिक तनावों के बीच यह बदलाव आया है. मूडीज ने बताया कि भारत पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ का असर भी अपेक्षाकृत कम है क्योंकि भारत का कई और देशों में भी एक्सपोर्ट बेस मजबूत बना हुआ है और यहां की अर्थव्यवस्था भी तेजी से उभर रही है. इसके अलावा, अमेरिका के साथ भारत का व्यापारिक एक्सपोजर सीमित है इसलिए भारत वैश्विक दबावों को झेलने का दम रखता है.
मूडीज ने रिपोर्ट में इसका भी किया जिक्र
हालांकि, इन सबके बावजूद मूडीज ने भारत के लिए 2025 के विकास पूर्वानुमान को पिछले 6.7 परसेंट से घटाकर 6.3 परसेंट कर दिया है. बहरहाल, मूडीज ने 2026 के लिए 6.5 परसेंट की वृद्धि का अनुमान लगाया है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले का भी जिक्र किया, जिससे देश में अस्थिरता बढ़ सकती है.
कुल मिलाकर मूडीज की रिपोर्ट में यह दो बातें निकलकर सामने आई कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन का फायदा देश के मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और उसके बंदरगाहों को होगा. दूसरी बात यह है कि क्षेत्रीय अस्थिरता के साथ-साथ वैश्विक व्यापारिक तनावों से भी भारत को संभलकर रहने की जरूरत है.
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