भारत से टकराव और गिर गई पाकिस्तान की GDP, IMF की सख्ती से सड़क पर आ सकती है PAK की आवाम
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था फिर से मुश्किलों में है. जहां एक तरफ IMF से नया लोन पास हुआ है, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने इस साल की GDP ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है. यह सब उस वक्त हो रहा है जब भारत के साथ सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. ऐसे में इकोनॉमिक एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी खस्ता हाल हो सकती है. GDP ग्रोथ का अनुमान घटा पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने मंगलवार को ऐलान किया कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में GDP ग्रोथ अब 2.68 फीसदी रहने की उम्मीद है. जबकि पहले सरकार ने 3.6 फीसदी का लक्ष्य रखा था. ये आंकड़ा पिछले साल की 2.5 फीसदी ग्रोथ से थोड़ा ही बेहतर है. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की हालत खास नहीं सुधरी. IMF की शर्तें और ग्लोबल मंदी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि ये गिरावट IMF की सख्त शर्तों और वैश्विक आर्थिक सुस्ती की वजह से आई है. IMF और एशियन डेवलपमेंट बैंक, दोनों ने पाकिस्तान की आर्थिक ग्रोथ के अनुमानों में कटौती की है. जनवरी से मार्च 2024 के बीच इकोनॉमी में 2.4 फीसदी की बढ़त हुई, जो टारगेट से काफी कम है. टेक्सटाइल और एग्रीकल्चर सेक्टर पर संकट पाकिस्तान की इकोनॉमी काफी हद तक टेक्सटाइल और कृषि एक्सपोर्ट पर निर्भर है. लेकिन अमेरिका की नई ट्रेड पॉलिसी के तहत कई प्रोडक्ट्स पर 29 फीसदी का टैरिफ लगा दिया गया है, जिससे पाकिस्तान की ट्रेड बैलेंस पर असर पड़ा है. भारत-पाक तनाव ने बढ़ाई IMF की चिंता 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत-पाक संबंधों में फिर से तनाव बढ़ गया. इसी के चलते IMF ने भी "reputational risk" यानी साख को लेकर चिंता जताई. IMF के एक इंटर्नल डॉक्यूमेंट (7 मई) में कहा गया कि भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव से पाकिस्तान की आर्थिक सुधार योजनाओं को झटका लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि अगर IMF के फंड का गलत इस्तेमाल हुआ या इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठे, तो यह फंड की साख को नुकसान पहुंचा सकता है. IMF ने 2.4 अरब डॉलर का लोन पास किया इन तमाम चिंताओं के बावजूद, IMF ने 9 मई को वॉशिंगटन में हुई मीटिंग में पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर का कर्ज़ देने को हरी झंडी दे दी. लेकिन शर्त ये है कि पाकिस्तान को सख्त आर्थिक सुधार लागू करने होंगे. आने वाले समय में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार 2 जून को नया बजट पेश करने वाली है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि IMF की शर्तों, गिरती ग्रोथ और क्षेत्रीय तनावों के बीच वो कैसे एक संतुलन बनाते हैं. ये भी पढ़ें: वीजा हो रहा कैंसिल और कई सामानों का भी हो रहा बॉयकॉट, पाक का साथ देकर बुरे फंसे तुर्किए और अजरबैजान

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था फिर से मुश्किलों में है. जहां एक तरफ IMF से नया लोन पास हुआ है, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने इस साल की GDP ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है. यह सब उस वक्त हो रहा है जब भारत के साथ सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. ऐसे में इकोनॉमिक एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी खस्ता हाल हो सकती है.
GDP ग्रोथ का अनुमान घटा
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने मंगलवार को ऐलान किया कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में GDP ग्रोथ अब 2.68 फीसदी रहने की उम्मीद है. जबकि पहले सरकार ने 3.6 फीसदी का लक्ष्य रखा था. ये आंकड़ा पिछले साल की 2.5 फीसदी ग्रोथ से थोड़ा ही बेहतर है. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की हालत खास नहीं सुधरी.
IMF की शर्तें और ग्लोबल मंदी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि ये गिरावट IMF की सख्त शर्तों और वैश्विक आर्थिक सुस्ती की वजह से आई है. IMF और एशियन डेवलपमेंट बैंक, दोनों ने पाकिस्तान की आर्थिक ग्रोथ के अनुमानों में कटौती की है. जनवरी से मार्च 2024 के बीच इकोनॉमी में 2.4 फीसदी की बढ़त हुई, जो टारगेट से काफी कम है.
टेक्सटाइल और एग्रीकल्चर सेक्टर पर संकट
पाकिस्तान की इकोनॉमी काफी हद तक टेक्सटाइल और कृषि एक्सपोर्ट पर निर्भर है. लेकिन अमेरिका की नई ट्रेड पॉलिसी के तहत कई प्रोडक्ट्स पर 29 फीसदी का टैरिफ लगा दिया गया है, जिससे पाकिस्तान की ट्रेड बैलेंस पर असर पड़ा है.
भारत-पाक तनाव ने बढ़ाई IMF की चिंता
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत-पाक संबंधों में फिर से तनाव बढ़ गया. इसी के चलते IMF ने भी "reputational risk" यानी साख को लेकर चिंता जताई.
IMF के एक इंटर्नल डॉक्यूमेंट (7 मई) में कहा गया कि भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव से पाकिस्तान की आर्थिक सुधार योजनाओं को झटका लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि अगर IMF के फंड का गलत इस्तेमाल हुआ या इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठे, तो यह फंड की साख को नुकसान पहुंचा सकता है.
IMF ने 2.4 अरब डॉलर का लोन पास किया
इन तमाम चिंताओं के बावजूद, IMF ने 9 मई को वॉशिंगटन में हुई मीटिंग में पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर का कर्ज़ देने को हरी झंडी दे दी. लेकिन शर्त ये है कि पाकिस्तान को सख्त आर्थिक सुधार लागू करने होंगे. आने वाले समय में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार 2 जून को नया बजट पेश करने वाली है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि IMF की शर्तों, गिरती ग्रोथ और क्षेत्रीय तनावों के बीच वो कैसे एक संतुलन बनाते हैं.
ये भी पढ़ें: वीजा हो रहा कैंसिल और कई सामानों का भी हो रहा बॉयकॉट, पाक का साथ देकर बुरे फंसे तुर्किए और अजरबैजान
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