बड़ी गिरावट के बाद क्या आज उठ खड़ा हो पाएगा शेयर बाजार? निफ्टी-सेंसेक्स की चाल पर निवेशकों की नजर
Share Market: भारतीय शेयर बाजार बीते मंगलवार 20 मई को लगातार तीसरे दिन लाल निशान में बंद हुए. सेंसेक्स 832 अंक गिरकर 81,227.42 पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी टूटकर 24,700 के नीचे बंद हुआ. विदेशी फंड्स की बिकवाली के चलते निफ्टी के 13 सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए. नतीजतन, निवेशकों को करीब 5.35 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस आधार पर आज शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत कमजोर रहने की संभावना है. बाजार में उतार-चढ़ाव का रह सकता है माहौल भले ही यूरोपीय बाजारों में मामूली बढ़त देखने को मिल रही है. FTSE 100 और DAX में क्रमशः 0.50 परसेंट और 0.31 परसेंट की बढ़त देखने को मिली है. हालांकि, अमेरिकी बाजारों की स्थिति इसके विपरीत है. डॉव जोन्स, नैस्डैक और S&P 500 इंडेक्स बुरी तरह से लुढ़क गए हैं. दुनिया के अन्य बाजारों के मिले-जुले संकेतों और ऑटो व फाइनेंस जैसे बड़े सेक्टरों में लगातार बिकवाली के कारण घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. उपलब्ध डेटा व संकेतों के चलते निवेशक फूंक-फूंक कर कदम रख सकते हैं. ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत सबसे खराब ऑटोमोबाइल सेक्टर के शेयरों में 20 मई को जबरदस्त मुनाफावसूली देखी गई. हालांकि, निफ्टी ऑटो इंडेक्स में आई 1.5 परसेंट की अधिक की गिरावट की वजह से यह दिन का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया. यह गिरावट चार दिन की तेजी के बाद आई है, जिससे पिछले महीने इंडेक्स लगभग 9 परसेंट तक ऊपर चढ़ गया था. यह शायद भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील की खबरों से प्रेरित रहा. ऑटोमोबाइल सेक्टर में 20 मई को आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह ट्यूब इन्वेस्टमेंट ऑफ इंडिया के शेयरों में आई 3 परसेंट से अधिक की गिरावट है, जो एक महीने की मजबूत बढ़त के बाद लुढ़क गया. इसके अलावा, हीरो मोटोकॉर्प, मारुति सुजुकी और आयशर मोटर्स में से हर एक में 1.5 परसेंट से ज्यादा की गिरावट आई है, जबकि भारत फोर्ज और एमएंडएम भी नीचे बंद हुए हैं. 52- हफ्ते के लेवल में आया उतार-चढ़ाव हालांकि, बाजार में आई इस भारी गिरावट के बावजूद 20 मई को 82 स्टॉक 52-हफ्ते के नए हाई लेवल को छूने में कामयाब रहे. श्री सीमेंट, एपीएल अपोलो ट्यूब्स और डालमिया भारत के शेयरों में बढ़त देखने को मिली. जबकि 29 स्टॉक अपने 52-हफ्ते के निचले स्तर पर आ गए. इनमें एथर इंडस्ट्रीज, जय बालाजी इंडस्ट्रीज और मैट्रिमोनी डॉट कॉम जैसे नाम शामिल हैं. Moody's की रेटिंग का दिख सकता है असर इधर, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी अमेरिकी सरकार के कर्ज पर आउटलुक को निगेटिव किया है क्योंकि अमेरिका की सरकार लगातार बढ़ते कर्ज को रोकने में विफल हो रही है. अमेरिका पर 35 ट्रिलियन डॉलर के भारी-भरकम कर्ज का बोझ है. इसे देखते हुए ने मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाकर Aa1 कर दी है. मूडीज ने जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका और वेल्स फार्गो जैसे कई बड़े अमेरिकी बैंकों के लिए अपनी रेटिंग घटा दी है. इसका अमेरिकी शेयर बाजार पर असर पड़ने के साथ ही भारतीय शेयर बाजारों पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अगर विदेशी निवेशकों का मूड बदला और एक बार फिर से बिकवाली शुरू हुई तो इससे भारत जैसे उभरते बाजारों को नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, इसकी संभावना कम है. बाजार के लिए यह है अच्छी बात बाजार के लिए सबसे पॉजिटिव बात यह है कि विदेशी निवेशकों की लगातार वापसी हो रही है. अप्रैल और मई 2025 के दौरान विदेशी निवेशकों ने लगभग 17,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह साल की शुरुआत में देखी गई भारी बिकवाली के बिल्कुल उलट है. निवेशक भारत की मजबूत इकोनॉमी और लॉन्ग टर्म ग्रोथ को लेकर प्रेरित हैं. ये भी पढ़ें: देश की इकोनॉमी के लिए आई बुरी खबर, अप्रैल में 8 महीने के लोअर लेवल पर पहुंचा देश का कोर सेक्टर

Share Market: भारतीय शेयर बाजार बीते मंगलवार 20 मई को लगातार तीसरे दिन लाल निशान में बंद हुए. सेंसेक्स 832 अंक गिरकर 81,227.42 पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी टूटकर 24,700 के नीचे बंद हुआ. विदेशी फंड्स की बिकवाली के चलते निफ्टी के 13 सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए. नतीजतन, निवेशकों को करीब 5.35 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस आधार पर आज शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत कमजोर रहने की संभावना है.
बाजार में उतार-चढ़ाव का रह सकता है माहौल
भले ही यूरोपीय बाजारों में मामूली बढ़त देखने को मिल रही है. FTSE 100 और DAX में क्रमशः 0.50 परसेंट और 0.31 परसेंट की बढ़त देखने को मिली है. हालांकि, अमेरिकी बाजारों की स्थिति इसके विपरीत है. डॉव जोन्स, नैस्डैक और S&P 500 इंडेक्स बुरी तरह से लुढ़क गए हैं.
दुनिया के अन्य बाजारों के मिले-जुले संकेतों और ऑटो व फाइनेंस जैसे बड़े सेक्टरों में लगातार बिकवाली के कारण घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. उपलब्ध डेटा व संकेतों के चलते निवेशक फूंक-फूंक कर कदम रख सकते हैं.
ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत सबसे खराब
ऑटोमोबाइल सेक्टर के शेयरों में 20 मई को जबरदस्त मुनाफावसूली देखी गई. हालांकि, निफ्टी ऑटो इंडेक्स में आई 1.5 परसेंट की अधिक की गिरावट की वजह से यह दिन का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया. यह गिरावट चार दिन की तेजी के बाद आई है, जिससे पिछले महीने इंडेक्स लगभग 9 परसेंट तक ऊपर चढ़ गया था. यह शायद भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील की खबरों से प्रेरित रहा.
ऑटोमोबाइल सेक्टर में 20 मई को आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह ट्यूब इन्वेस्टमेंट ऑफ इंडिया के शेयरों में आई 3 परसेंट से अधिक की गिरावट है, जो एक महीने की मजबूत बढ़त के बाद लुढ़क गया. इसके अलावा, हीरो मोटोकॉर्प, मारुति सुजुकी और आयशर मोटर्स में से हर एक में 1.5 परसेंट से ज्यादा की गिरावट आई है, जबकि भारत फोर्ज और एमएंडएम भी नीचे बंद हुए हैं.
52- हफ्ते के लेवल में आया उतार-चढ़ाव
हालांकि, बाजार में आई इस भारी गिरावट के बावजूद 20 मई को 82 स्टॉक 52-हफ्ते के नए हाई लेवल को छूने में कामयाब रहे. श्री सीमेंट, एपीएल अपोलो ट्यूब्स और डालमिया भारत के शेयरों में बढ़त देखने को मिली. जबकि 29 स्टॉक अपने 52-हफ्ते के निचले स्तर पर आ गए. इनमें एथर इंडस्ट्रीज, जय बालाजी इंडस्ट्रीज और मैट्रिमोनी डॉट कॉम जैसे नाम शामिल हैं.
Moody's की रेटिंग का दिख सकता है असर
इधर, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी अमेरिकी सरकार के कर्ज पर आउटलुक को निगेटिव किया है क्योंकि अमेरिका की सरकार लगातार बढ़ते कर्ज को रोकने में विफल हो रही है. अमेरिका पर 35 ट्रिलियन डॉलर के भारी-भरकम कर्ज का बोझ है.
इसे देखते हुए ने मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाकर Aa1 कर दी है. मूडीज ने जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका और वेल्स फार्गो जैसे कई बड़े अमेरिकी बैंकों के लिए अपनी रेटिंग घटा दी है. इसका अमेरिकी शेयर बाजार पर असर पड़ने के साथ ही भारतीय शेयर बाजारों पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अगर विदेशी निवेशकों का मूड बदला और एक बार फिर से बिकवाली शुरू हुई तो इससे भारत जैसे उभरते बाजारों को नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, इसकी संभावना कम है.
बाजार के लिए यह है अच्छी बात
बाजार के लिए सबसे पॉजिटिव बात यह है कि विदेशी निवेशकों की लगातार वापसी हो रही है. अप्रैल और मई 2025 के दौरान विदेशी निवेशकों ने लगभग 17,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह साल की शुरुआत में देखी गई भारी बिकवाली के बिल्कुल उलट है. निवेशक भारत की मजबूत इकोनॉमी और लॉन्ग टर्म ग्रोथ को लेकर प्रेरित हैं.
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