देखते ही रह गए राष्ट्रपति ट्रंप और भारत ने हाई टैरिफ को ठेंगा दिखा कर दिया बड़ा खेल

India Diesel Shipments To Europe: यूक्रेन वॉर की कोशिश को रुकवाने में लगे अमेरिका हरसंभव प्रयास कर रहा है. इसके लिये राष्ट्रपति ट्रंप छल-बल तक लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी कोशिश में सफलता हाथ नहीं लग पा रही है. भारत पर ट्रंप ने जिस तरह 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, वो भी परोक्ष तौर पर रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऊपर एक दबाव बनाने का प्रयास था. अमेरिका पर भारत ने भले ही 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया हो, लेकिन सरकार ने रूस से सस्ता तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर मोटी कमाई कर डाली है. तेल बेचकर मोटी कमाई सालाना आधार पर अगर देखें तो भारत का डीजल एक्सपोर्ट 137 प्रतिशत उछलकर अगस्त में रोजाना 2,42,000 बैरल हो चुका है. हालांकि, रूसी कच्चे तेल के इस्तेमाल पर यूरोपीय यूनियन की तरफ से रोक के बाद 2026 के जनवरी से देश से सबसे बड़े रूस तेल और ईंधन के निर्यातक रिलायंस इंडस्ट्रीज के दरवाजे वहां के लिए बंद हो सकते हैं. ग्लोबल रियल टाइम डेटा एंड एनालिटिक्स प्रोवाइडर Kpler का कहना है कि सिर्फ यूरोप के अंदर ही अगस्त में भारत की तरफ से यूरोप को डीजल महीने के आधार पर 73 प्रतिशत ज्यादा एक्सपोर्ट किया गया. जबकि सालाना आधार पर देखें तो यह 124 प्रतिशत का जबरदस्त इजाफा है. जबकि एक अन्य एनर्जी ट्रैकर Vortexa का अनुमान है कि भारत का अगस्त के महीने में यूरोप के अंदर डीजल का एक्सपोर्ट 228,316 बैरल रोजाना रहा. यह सालाना आधार पर 166 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, जबकि जुलाई के मुकाबले 36 प्रतिशत ज्यादा है. क्या कहते हैं बाजार के जानकार? दरअसल, यूरोप में भारत के तेल के निर्यात में बढ़ोतरी के एक नहीं बल्कि कई फैक्टर हैं. बाजार के जानकारों की मानें तो रिफाइनर्स की तरफ से एडवांस मैंटिनेंस का हैरान करने वाला फैसला, विंटर डिमांड और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंध, जिनकी वजह से भारतीय सप्लायर्स के लिए वहां पर तेल बेचना मुश्किल हो सकता है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि पूरे साल यानी 2025 में डीजल की मांग बेहद मजबूत रहने वाली है. दूसरी तरफ से इसको लेकर भारत को कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका के सीनियर अधिकारियों ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे प्रोसेसिंग के बाद दोबारा पश्चिमी देशों को बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा है. इसके जरिए भारत मॉस्को को यूक्रेन के खिलाफ जंग में फंडिंग कर उसकी मदद कर रहा है. हालांकि, भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों को अगर आपत्ति है तो वे तेल की खरीद को बंद करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं. ये भी पढ़ें: जीएसटी 2.0 के बाद पूरे जोश में रुपया, करेंसी की रिंग में मजबूत डॉलर को दी करारी शिकस्त

Sep 5, 2025 - 14:30
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देखते ही रह गए राष्ट्रपति ट्रंप और भारत ने हाई टैरिफ को ठेंगा दिखा कर दिया बड़ा खेल

India Diesel Shipments To Europe: यूक्रेन वॉर की कोशिश को रुकवाने में लगे अमेरिका हरसंभव प्रयास कर रहा है. इसके लिये राष्ट्रपति ट्रंप छल-बल तक लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी कोशिश में सफलता हाथ नहीं लग पा रही है. भारत पर ट्रंप ने जिस तरह 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, वो भी परोक्ष तौर पर रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऊपर एक दबाव बनाने का प्रयास था. अमेरिका पर भारत ने भले ही 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया हो, लेकिन सरकार ने रूस से सस्ता तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर मोटी कमाई कर डाली है.

तेल बेचकर मोटी कमाई

सालाना आधार पर अगर देखें तो भारत का डीजल एक्सपोर्ट 137 प्रतिशत उछलकर अगस्त में रोजाना 2,42,000 बैरल हो चुका है. हालांकि, रूसी कच्चे तेल के इस्तेमाल पर यूरोपीय यूनियन की तरफ से रोक के बाद 2026 के जनवरी से देश से सबसे बड़े रूस तेल और ईंधन के निर्यातक रिलायंस इंडस्ट्रीज के दरवाजे वहां के लिए बंद हो सकते हैं.

ग्लोबल रियल टाइम डेटा एंड एनालिटिक्स प्रोवाइडर Kpler का कहना है कि सिर्फ यूरोप के अंदर ही अगस्त में भारत की तरफ से यूरोप को डीजल महीने के आधार पर 73 प्रतिशत ज्यादा एक्सपोर्ट किया गया. जबकि सालाना आधार पर देखें तो यह 124 प्रतिशत का जबरदस्त इजाफा है.

जबकि एक अन्य एनर्जी ट्रैकर Vortexa का अनुमान है कि भारत का अगस्त के महीने में यूरोप के अंदर डीजल का एक्सपोर्ट 228,316 बैरल रोजाना रहा. यह सालाना आधार पर 166 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, जबकि जुलाई के मुकाबले 36 प्रतिशत ज्यादा है.

क्या कहते हैं बाजार के जानकार?

दरअसल, यूरोप में भारत के तेल के निर्यात में बढ़ोतरी के एक नहीं बल्कि कई फैक्टर हैं. बाजार के जानकारों की मानें तो रिफाइनर्स की तरफ से एडवांस मैंटिनेंस का हैरान करने वाला फैसला, विंटर डिमांड और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंध, जिनकी वजह से भारतीय सप्लायर्स के लिए वहां पर तेल बेचना मुश्किल हो सकता है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि पूरे साल यानी 2025 में डीजल की मांग बेहद मजबूत रहने वाली है.

दूसरी तरफ से इसको लेकर भारत को कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका के सीनियर अधिकारियों ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे प्रोसेसिंग के बाद दोबारा पश्चिमी देशों को बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा है. इसके जरिए भारत मॉस्को को यूक्रेन के खिलाफ जंग में फंडिंग कर उसकी मदद कर रहा है.

हालांकि, भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों को अगर आपत्ति है तो वे तेल की खरीद को बंद करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं.

ये भी पढ़ें: जीएसटी 2.0 के बाद पूरे जोश में रुपया, करेंसी की रिंग में मजबूत डॉलर को दी करारी शिकस्त

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