तमिलनाडु तट पर डूम्सडे फिश का आना और ग्रह गोचर का संयोग, क्या समुद्र से उठेगी कोई विभीषिका?

Prediction 2025 Astrology: जब ज्योतिष के सबसे रहस्यमय गोचर एक साथ सक्रिय हों, जैसे शनि का मीन राशि में गोचर, गुरु का अस्त और अतिचारी होना और सिंह राशि में मंगल-केतु की युति तब इन घटनाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता. क्यों आइए समझते हैं- समुद्र से तबाही का संकेत? ओर्फिश की एंट्री, शनि-गुरु का गोचर और ज्योतिषीय चेतावनी!ओर्फिश (Oarfish) का दिखना कई संकेत की तरफ इशारा करता है, कुछ लोग इसे प्रलय की आहट भी बता रहे हैं. वर्तमान में ग्रह गोचर का ज्योतिषीय विश्लेषण करने से जो फलादेश मिल रहा है वो भी चौंका रहा है. शनि (Shani Dev) का गोचर मीन राशि में हो रहा, ये राशि जल तत्व की है, जिसका स्वामी गुरु यानि बृहस्पति ग्रह है. मीन राशि समुद्री शक्तियों और मानसिक गहराई से जुड़ी राशि है. यहां पर क्रूर ग्रह शनि का गोचर करना विशेष महत्व रखता है. क्योंकि शनि का मीन में होना कभी-कभी समुद्री घटनाओं, तूफानों, जलप्रलयों का सूचक हो सकता है, विशेषकर जब अन्य ग्रह भी सहायक हों. सिंह राशि में मंगल और केतु की युतियह युति ऊर्जा और विध्वंस के लिए कुख्यात है. सिंह अग्नि तत्व की राशि है, जब मंगल जो युद्ध, विस्फोट आदि जैसी घटनाओं का कारक और केतु विनाश और अचानक होने वाली घटनाओं के लिए जाना जाता है, जब ये मिलते हैं तो ये ज्वालामुखी, समुद्रतल विस्फोट और भूगर्भीय हलचलों का सूचक हो सकते हैं. वहीं इस युति को कुंजकेतु योग के नाम से जानते हैं. बृहत्पाराशर होरा शास्त्र में एक जगह वर्णन मिलता है कि- केतुश्च छायाग्रहस्तामसः पिशाचस्वभाववान्।धूम्रवर्णः शिरोहीनः शूलहस्तो विकर्तनः॥ (केतु छाया ग्रह है, इसका स्वभाव तामसिक है. यह पिशाच, धुएं के समान रंग का, सिररहित, त्रिशूलधारी और विचलन देने वाला होता है)  केतु चतुर्थ,आठवें, बारहवें भाव में हो तो ये भाव मानसिक, गुप्त, जलतत्व और मोक्ष भाव माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तब यह योग व्यक्ति को रहस्यवादी, आध्यात्मिक साधक, या मानसिक विचलन से युक्त बना सकता है. वहीं केतु जब चंद्रमा के साथ हो तो चांडाल योग बनता है जो मानसिक द्वंद्व, अस्पष्टता और कभी-कभी पारलौकिक अनुभवों की ओर झुकाव देता है. इसके साथ ही कुंडली में केतु, शुक्र या केतु, या बुध के साथ हो और ये गोचर या युति 12वें भाव या मीन या कर्क राशि में हो तो ये गोपनीय प्रेम, गूढ़ साहित्य, परा-ज्ञान का कारक बन जाता है. फलं दीपिका में केतु के प्रभाव को इस प्रकार से बताया गया है- केतुर्नीतिकरः क्रूरः पिशाचो रिपुसूदनः।बुद्धिधार्यायुशाली च तन्मध्ये शुभवृत्तिकृत्॥ केतु नीतिकारक, क्रूर, पिशाचवत, शत्रुनाशक, बुद्धिधारी, दीर्घायु और यदि शुभ ग्रहों से संबंध हो तो उत्तम कार्यों का कारक होता है. गुरु का अस्त और अतिचार होना क्या संकेत दे रहे हैं?वर्तमान समय में गुरु अस्त और अतिचारी दोनों स्थितियों में है. ज्योतिष में इसका अर्थ है ज्ञान, नीति, और नियंत्रण का ह्रास. गुरु अस्त हो तो क्या होता है? 'गुरोः अस्ते प्रजायते नीतिहानिः, संग्रामे शस्त्रप्रयोगः स्यात्'अर्थात जब गुरु अस्त होता है, तब नीतियों का पतन होता है और युद्ध जैसे हालात बनते हैं. ओर्फिश, डूम्सडे फिश या महज संयोग?जापानी मिथक Ryugu no Tsukai, जापानी मान्यता में ओर्फिश समुद्री देवता का दूत मानी जाती है. इसके भूकंप या समुद्री हलचल से पहले दिखने की घटनाएं दर्ज हैं. ऐतिहासिक उदाहरण2011 जापान त्सूनामी से पहले 20 से अधिक ओर्फिश दिखी थीं. फिलीपींस, मैक्सिको, कैलिफ़ोर्निया में भी यही पैटर्न देखा गया. वैज्ञानिक मतविशेषज्ञ मानते हैं कि गहराई में रहने वाली मछलियां जैसे ओर्फिश, सतह पर बीमार या भ्रमित होकर आती हैं. भूकंप से कोई प्रत्यक्ष संबंध अब तक प्रमाणित नहीं हुआ है. शास्त्र क्या कहते हैं? समुद्र और प्रलय के संकेत पुराणों की चेतावनी महाभारत: समुद्र से उठती घटनाएं विनाश का संकेत हो सकती हैं. विष्णु पुराण: जब जलचर प्राणी असामान्य व्यवहार करें, तो पृथ्वी पर परिवर्तन की आशंका होती है. ज्योतिष में संकेतों की भाषासमुद्र= जल तत्व= चंद्रमा+ गुरु वर्तमान में चंद्रमा बार-बार राहु-केतु और शनि से दृष्ट हो रहा है. जो जल क्षेत्र में असंतुलन के संकेत. नक्षत्र परिवर्तन और आगामी चेतावनियांइस माह में ग्रहों की चाल के अनुसार कुछ ऐसी डेट्स हैं जिनमें हलचल देखने को मिल सकती है. ये डेट कौन सी हैं और किस कारण से हलचल देखने को मिल सकती है, जानते हैं- दिनांक ग्रह/ नक्षत्र गोचर  प्रभाव 15 जून सूर्य गोचर मिथुन राशि में बौद्धिक टकराव 20 जून गुरु आद्रा में नीति असंतुलन 25 जून मृगशिरा/ आद्रा जल-आग तत्व टकराव की स्थिति. 24-25 जून की अमावस्या और ग्रहों का प्रभाव समुद्री या भूगर्भीय संकट के बीज बो सकती है. संयोग, संकेत या चेतावनी?ओर्फिश का दिखना विज्ञान और मिथक का संगम है. ग्रह गोचर संकेत देते हैं कि समुद्र या मनुष्य के मन की गहराई में हलचल बढ़ने वाली है. फैसला स्वयं का है इसे केवल एक खबर समझें या चेतावनी. FAQQ1. क्या ओर्फिश वास्तव में आपदा का संकेत है?Ans: सांस्कृतिक रूप से हां, वैज्ञानिक रूप से कोई प्रमाण नहीं. Q2. क्या ग्रहों का गोचर समुद्री घटनाओं से जुड़ा हो सकता है?Ans: जल तत्व और मीन राशि जैसे संकेतों से अप्रत्यक्ष जुड़ाव संभव है. Q3. क्या शनि और केतु के गोचर को अनदेखा करना खतरनाक है?Ans: मानसिक और सामाजिक बदलाव का संकेत अवश्य है, सावधानी जरूरी.

Jun 12, 2025 - 15:30
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तमिलनाडु तट पर डूम्सडे फिश का आना और ग्रह गोचर का संयोग, क्या समुद्र से उठेगी कोई विभीषिका?

Prediction 2025 Astrology: जब ज्योतिष के सबसे रहस्यमय गोचर एक साथ सक्रिय हों, जैसे शनि का मीन राशि में गोचर, गुरु का अस्त और अतिचारी होना और सिंह राशि में मंगल-केतु की युति तब इन घटनाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता. क्यों आइए समझते हैं-

समुद्र से तबाही का संकेत? ओर्फिश की एंट्री, शनि-गुरु का गोचर और ज्योतिषीय चेतावनी!
ओर्फिश (Oarfish) का दिखना कई संकेत की तरफ इशारा करता है, कुछ लोग इसे प्रलय की आहट भी बता रहे हैं. वर्तमान में ग्रह गोचर का ज्योतिषीय विश्लेषण करने से जो फलादेश मिल रहा है वो भी चौंका रहा है.

शनि (Shani Dev) का गोचर मीन राशि में हो रहा, ये राशि जल तत्व की है, जिसका स्वामी गुरु यानि बृहस्पति ग्रह है. मीन राशि समुद्री शक्तियों और मानसिक गहराई से जुड़ी राशि है. यहां पर क्रूर ग्रह शनि का गोचर करना विशेष महत्व रखता है. क्योंकि शनि का मीन में होना कभी-कभी समुद्री घटनाओं, तूफानों, जलप्रलयों का सूचक हो सकता है, विशेषकर जब अन्य ग्रह भी सहायक हों.

सिंह राशि में मंगल और केतु की युति
यह युति ऊर्जा और विध्वंस के लिए कुख्यात है. सिंह अग्नि तत्व की राशि है, जब मंगल जो युद्ध, विस्फोट आदि जैसी घटनाओं का कारक और केतु विनाश और अचानक होने वाली घटनाओं के लिए जाना जाता है,

जब ये मिलते हैं तो ये ज्वालामुखी, समुद्रतल विस्फोट और भूगर्भीय हलचलों का सूचक हो सकते हैं. वहीं इस युति को कुंजकेतु योग के नाम से जानते हैं.

बृहत्पाराशर होरा शास्त्र में एक जगह वर्णन मिलता है कि-

केतुश्च छायाग्रहस्तामसः पिशाचस्वभाववान्।
धूम्रवर्णः शिरोहीनः शूलहस्तो विकर्तनः॥

(केतु छाया ग्रह है, इसका स्वभाव तामसिक है. यह पिशाच, धुएं के समान रंग का, सिररहित, त्रिशूलधारी और विचलन देने वाला होता है) 

केतु चतुर्थ,आठवें, बारहवें भाव में हो तो ये भाव मानसिक, गुप्त, जलतत्व और मोक्ष भाव माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तब यह योग व्यक्ति को रहस्यवादी, आध्यात्मिक साधक, या मानसिक विचलन से युक्त बना सकता है.

वहीं केतु जब चंद्रमा के साथ हो तो चांडाल योग बनता है जो मानसिक द्वंद्व, अस्पष्टता और कभी-कभी पारलौकिक अनुभवों की ओर झुकाव देता है.

इसके साथ ही कुंडली में केतु, शुक्र या केतु, या बुध के साथ हो और ये गोचर या युति 12वें भाव या मीन या कर्क राशि में हो तो ये गोपनीय प्रेम, गूढ़ साहित्य, परा-ज्ञान का कारक बन जाता है.

फलं दीपिका में केतु के प्रभाव को इस प्रकार से बताया गया है-

केतुर्नीतिकरः क्रूरः पिशाचो रिपुसूदनः।
बुद्धिधार्यायुशाली च तन्मध्ये शुभवृत्तिकृत्॥

केतु नीतिकारक, क्रूर, पिशाचवत, शत्रुनाशक, बुद्धिधारी, दीर्घायु और यदि शुभ ग्रहों से संबंध हो तो उत्तम कार्यों का कारक होता है.

गुरु का अस्त और अतिचार होना क्या संकेत दे रहे हैं?
वर्तमान समय में गुरु अस्त और अतिचारी दोनों स्थितियों में है. ज्योतिष में इसका अर्थ है ज्ञान, नीति, और नियंत्रण का ह्रास.

गुरु अस्त हो तो क्या होता है?

'गुरोः अस्ते प्रजायते नीतिहानिः, संग्रामे शस्त्रप्रयोगः स्यात्'
अर्थात जब गुरु अस्त होता है, तब नीतियों का पतन होता है और युद्ध जैसे हालात बनते हैं.

ओर्फिश, डूम्सडे फिश या महज संयोग?
जापानी मिथक Ryugu no Tsukai, जापानी मान्यता में ओर्फिश समुद्री देवता का दूत मानी जाती है. इसके भूकंप या समुद्री हलचल से पहले दिखने की घटनाएं दर्ज हैं.

ऐतिहासिक उदाहरण
2011 जापान त्सूनामी से पहले 20 से अधिक ओर्फिश दिखी थीं. फिलीपींस, मैक्सिको, कैलिफ़ोर्निया में भी यही पैटर्न देखा गया.

वैज्ञानिक मत
विशेषज्ञ मानते हैं कि गहराई में रहने वाली मछलियां जैसे ओर्फिश, सतह पर बीमार या भ्रमित होकर आती हैं. भूकंप से कोई प्रत्यक्ष संबंध अब तक प्रमाणित नहीं हुआ है.

शास्त्र क्या कहते हैं? समुद्र और प्रलय के संकेत

पुराणों की चेतावनी

  1. महाभारत: समुद्र से उठती घटनाएं विनाश का संकेत हो सकती हैं.
  2. विष्णु पुराण: जब जलचर प्राणी असामान्य व्यवहार करें, तो पृथ्वी पर परिवर्तन की आशंका होती है.

ज्योतिष में संकेतों की भाषा
समुद्र= जल तत्व= चंद्रमा+ गुरु

वर्तमान में चंद्रमा बार-बार राहु-केतु और शनि से दृष्ट हो रहा है. जो जल क्षेत्र में असंतुलन के संकेत.

नक्षत्र परिवर्तन और आगामी चेतावनियां
इस माह में ग्रहों की चाल के अनुसार कुछ ऐसी डेट्स हैं जिनमें हलचल देखने को मिल सकती है. ये डेट कौन सी हैं और किस कारण से हलचल देखने को मिल सकती है, जानते हैं-

दिनांक ग्रह/ नक्षत्र गोचर  प्रभाव
15 जून सूर्य गोचर मिथुन राशि में बौद्धिक टकराव
20 जून गुरु आद्रा में नीति असंतुलन
25 जून मृगशिरा/ आद्रा जल-आग तत्व टकराव की स्थिति. 24-25 जून की अमावस्या और ग्रहों का प्रभाव समुद्री या भूगर्भीय संकट के बीज बो सकती है.

संयोग, संकेत या चेतावनी?
ओर्फिश का दिखना विज्ञान और मिथक का संगम है. ग्रह गोचर संकेत देते हैं कि समुद्र या मनुष्य के मन की गहराई में हलचल बढ़ने वाली है. फैसला स्वयं का है इसे केवल एक खबर समझें या चेतावनी.

FAQ
Q1. क्या ओर्फिश वास्तव में आपदा का संकेत है?
Ans: सांस्कृतिक रूप से हां, वैज्ञानिक रूप से कोई प्रमाण नहीं.

Q2. क्या ग्रहों का गोचर समुद्री घटनाओं से जुड़ा हो सकता है?
Ans: जल तत्व और मीन राशि जैसे संकेतों से अप्रत्यक्ष जुड़ाव संभव है.

Q3. क्या शनि और केतु के गोचर को अनदेखा करना खतरनाक है?
Ans: मानसिक और सामाजिक बदलाव का संकेत अवश्य है, सावधानी जरूरी.

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