चेतक और चीता होंगे रिटायर! अब भारतीय सेना के पास होंगे 200 नए हल्के हेलीकॉप्टर; जानें क्या है इनकी खासियत?
भारत ने अपने पुराने एक इंजन वाले चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने के लिए फिर से कदम उठाया है. ये पुराने हेलीकॉप्टर आधुनिक तकनीक, सुरक्षा और बेहतर नियंत्रण के अभाव में कई दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहे हैं. सेना ने शुक्रवार को 120 निगरानी और टोही हेलीकॉप्टरों के लिए जानकारी मांगी है. वहीं, भारतीय वायु सेना के लिए भी 80 हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जल्द से जल्द आधुनिक डिजाइन वाले हल्के हेलीकॉप्टरों से पुराने चीता-चेतक को बदलना आवश्यक है.नए हेलीकॉप्टरों की खूबियां और आवश्यकताएंनए हेलीकॉप्टर दिन-रात निगरानी कर सकेंगे, विशेष मिशनों के लिए कुछ सैनिकों को ले जा सकेंगे और जमीन पर सेना के समर्थन में भी काम करेंगे. ये हेलीकॉप्टर हमले वाले हेलीकॉप्टरों के साथ स्काउटिंग का काम भी करेंगे. सेना की लंबे समय से मांग और HAL का योगदानसेना पिछले दो दशकों से लगभग 350 पुराने चीता-चेतक हेलीकॉप्टरों की जगह नए हल्के हेलीकॉप्टर मांग रही है. वर्तमान में HAL 3 टन वजन के 187 हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर बना रहा है, जिनमें से 126 सेना और 61 वायु सेना के लिए हैं. इन नए हेलीकॉप्टरों के आने के बाद 2027 से पुराने हेलीकॉप्टरों की रिटायरमेंट शुरू होगी, जिसे पूरा होने में करीब दस साल लगेंगे.‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाएं और चुनौतियांनौसेना के लिए 60 उपयोगी हेलीकॉप्टर बनाने की ‘मेक इन इंडिया’ योजना अभी भी शुरू नहीं हो सकी है. सेना ने बताया है कि सूचना के माध्यम से वे आवश्यक तकनीकी विवरण तय करेंगे, खरीद प्रक्रिया तय करेंगे और संभावित विक्रेताओं की पहचान करेंगे, जिनमें भारतीय कंपनियां विदेशी निर्माताओं के साथ सहयोग कर सकती हैं. पुरानी तकनीक के कारण समस्याएंचीता और चेतक हेलीकॉप्टरों में आधुनिक उड़ान सहायक यंत्र नहीं हैं, जैसे ग्लास कॉकपिट और बेहतर नियंत्रण प्रणाली, जो खराब मौसम और कम दृश्यता में उड़ान के दौरान पायलटों की मदद करते हैं. इससे इन हेलीकॉप्टरों की विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रभावित होती है. रूस से कमोव हेलीकॉप्टर परियोजना में विफलता2015 में रूस के साथ 200 कमोव-226टी हेलीकॉप्टरों की ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना पर 2 बिलियन डॉलर की डील हुई थी, जिसमें सेना के लिए 135 और वायु सेना के लिए 65 हेलीकॉप्टर शामिल थे, लेकिन कीमत और अन्य कारणों से यह परियोजना सफल नहीं हो सकी.लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की खासियतलाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे उच्च ऊंचाई और कठिन मौसम में भी ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें आधुनिक एवियोनिक्स, नाइट विजन क्षमता, और उन्नत टार्गेटिंग सिस्टम लगे होते हैं, जिससे यह दिन-रात और हर मौसम में मिशन पूरा कर सकता है. LCH दुश्मन के टैंकों, बंकरों, ड्रोन और लो-फ्लाइंग एयरक्राफ्ट को निशाना बनाने में सक्षम है. इसके हल्के और चपल डिजाइन के कारण यह पहाड़ी और संकरी जगहों पर भी आसानी से उड़ान भर सकता है. इसमें एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड हथियार, रॉकेट, और मिसाइलें लगाने की सुविधा होती है, जिससे यह जमीनी सेना को करीबी हवाई समर्थन देने में बेहद कारगर साबित होता है.

भारत ने अपने पुराने एक इंजन वाले चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने के लिए फिर से कदम उठाया है. ये पुराने हेलीकॉप्टर आधुनिक तकनीक, सुरक्षा और बेहतर नियंत्रण के अभाव में कई दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहे हैं. सेना ने शुक्रवार को 120 निगरानी और टोही हेलीकॉप्टरों के लिए जानकारी मांगी है. वहीं, भारतीय वायु सेना के लिए भी 80 हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जल्द से जल्द आधुनिक डिजाइन वाले हल्के हेलीकॉप्टरों से पुराने चीता-चेतक को बदलना आवश्यक है.
नए हेलीकॉप्टरों की खूबियां और आवश्यकताएं
नए हेलीकॉप्टर दिन-रात निगरानी कर सकेंगे, विशेष मिशनों के लिए कुछ सैनिकों को ले जा सकेंगे और जमीन पर सेना के समर्थन में भी काम करेंगे. ये हेलीकॉप्टर हमले वाले हेलीकॉप्टरों के साथ स्काउटिंग का काम भी करेंगे.
सेना की लंबे समय से मांग और HAL का योगदान
सेना पिछले दो दशकों से लगभग 350 पुराने चीता-चेतक हेलीकॉप्टरों की जगह नए हल्के हेलीकॉप्टर मांग रही है. वर्तमान में HAL 3 टन वजन के 187 हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर बना रहा है, जिनमें से 126 सेना और 61 वायु सेना के लिए हैं. इन नए हेलीकॉप्टरों के आने के बाद 2027 से पुराने हेलीकॉप्टरों की रिटायरमेंट शुरू होगी, जिसे पूरा होने में करीब दस साल लगेंगे.
‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाएं और चुनौतियां
नौसेना के लिए 60 उपयोगी हेलीकॉप्टर बनाने की ‘मेक इन इंडिया’ योजना अभी भी शुरू नहीं हो सकी है. सेना ने बताया है कि सूचना के माध्यम से वे आवश्यक तकनीकी विवरण तय करेंगे, खरीद प्रक्रिया तय करेंगे और संभावित विक्रेताओं की पहचान करेंगे, जिनमें भारतीय कंपनियां विदेशी निर्माताओं के साथ सहयोग कर सकती हैं.
पुरानी तकनीक के कारण समस्याएं
चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों में आधुनिक उड़ान सहायक यंत्र नहीं हैं, जैसे ग्लास कॉकपिट और बेहतर नियंत्रण प्रणाली, जो खराब मौसम और कम दृश्यता में उड़ान के दौरान पायलटों की मदद करते हैं. इससे इन हेलीकॉप्टरों की विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रभावित होती है.
रूस से कमोव हेलीकॉप्टर परियोजना में विफलता
2015 में रूस के साथ 200 कमोव-226टी हेलीकॉप्टरों की ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना पर 2 बिलियन डॉलर की डील हुई थी, जिसमें सेना के लिए 135 और वायु सेना के लिए 65 हेलीकॉप्टर शामिल थे, लेकिन कीमत और अन्य कारणों से यह परियोजना सफल नहीं हो सकी.
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की खासियत
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे उच्च ऊंचाई और कठिन मौसम में भी ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें आधुनिक एवियोनिक्स, नाइट विजन क्षमता, और उन्नत टार्गेटिंग सिस्टम लगे होते हैं, जिससे यह दिन-रात और हर मौसम में मिशन पूरा कर सकता है. LCH दुश्मन के टैंकों, बंकरों, ड्रोन और लो-फ्लाइंग एयरक्राफ्ट को निशाना बनाने में सक्षम है. इसके हल्के और चपल डिजाइन के कारण यह पहाड़ी और संकरी जगहों पर भी आसानी से उड़ान भर सकता है. इसमें एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड हथियार, रॉकेट, और मिसाइलें लगाने की सुविधा होती है, जिससे यह जमीनी सेना को करीबी हवाई समर्थन देने में बेहद कारगर साबित होता है.
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