घर खरीदने वालों की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत, बिल्डर्स के खिलाफ दर्ज होंगे 22 केस, CBI को मिली इजाजत

उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एनसीआर में घर खरीदारों के साथ ठगी करने को लेकर बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों के बीच सांठगांठ के संबंध में 22 मामले दर्ज करने की मंगलवार को इजाजत दे दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ की गई छह प्रारंभिक जांच को प्राथमिकी के समान 22 नियमित मामलों में तब्दील करने की अनुमति दे दी. जांच के दायरे में एनसीआर के बिल्डर और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के विकास प्राधिकरण शामिल हैं. आर्थिक सहायता योजना के तहत, बैंक पैसा सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें स्वीकृत ऋण राशि पर ईएमआई (मासिक किस्त) का भुगतान करना होता है जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते. बिल्डर जब बैंकों को किस्त का भुगतान नहीं करने लगे तो त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआई जमा करने को कहा. पीठ ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, 1,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच करने एवं 58 परियोजना वाली जगहों का दौरा करके मामले को अपने हाथ में लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी के प्रयासों की सराहना की और उसे शीघ्रता से जांच पूरी करने और मामले को उसके निष्कर्ष तक पहुंचाने को कहा. जांच के मामले में शीर्ष अदालत ने क्या कहा शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई की दर्ज सातवीं प्रारंभिक जांच, जो सुपरटेक लिमिटेड को छोड़कर कई बिल्डरों की परियोजनाओं से संबंधित है और एनसीआर क्षेत्र से बाहर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली एवं इलाहाबाद में हैं, अब भी जारी है. न्यायालय 1,200 से अधिक घर खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र, विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे. उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए दबाव डाला जा रहा है. अदालत ने सीबीआई को दी थी जांच की इजाजत शीर्ष अदालत ने 29 मार्च को, सीबीआई को एनसीआर क्षेत्र, यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी. इसने रियलिटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ 799 घर खरीदारों ने आठ अलग-अलग शहरों में परियोजनाओं से जुड़ी 84 अपीलों के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था. सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को रिपोर्ट सौंपी थी, कोर्ट ने इसे देखा है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की ओर से संज्ञेय अपराध होने का पता लगाने के लिए मामलों की प्रारंभिक जांच के बाद, आगे की जांच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज किए जाने आवश्यक हैं.

Jul 23, 2025 - 09:30
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घर खरीदने वालों की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत, बिल्डर्स के खिलाफ दर्ज होंगे 22 केस, CBI को मिली इजाजत

उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एनसीआर में घर खरीदारों के साथ ठगी करने को लेकर बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों के बीच सांठगांठ के संबंध में 22 मामले दर्ज करने की मंगलवार को इजाजत दे दी.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ की गई छह प्रारंभिक जांच को प्राथमिकी के समान 22 नियमित मामलों में तब्दील करने की अनुमति दे दी. जांच के दायरे में एनसीआर के बिल्डर और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के विकास प्राधिकरण शामिल हैं.

आर्थिक सहायता योजना के तहत, बैंक पैसा सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें स्वीकृत ऋण राशि पर ईएमआई (मासिक किस्त) का भुगतान करना होता है जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते. बिल्डर जब बैंकों को किस्त का भुगतान नहीं करने लगे तो त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआई जमा करने को कहा.

पीठ ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, 1,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच करने एवं 58 परियोजना वाली जगहों का दौरा करके मामले को अपने हाथ में लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी के प्रयासों की सराहना की और उसे शीघ्रता से जांच पूरी करने और मामले को उसके निष्कर्ष तक पहुंचाने को कहा.

जांच के मामले में शीर्ष अदालत ने क्या कहा

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई की दर्ज सातवीं प्रारंभिक जांच, जो सुपरटेक लिमिटेड को छोड़कर कई बिल्डरों की परियोजनाओं से संबंधित है और एनसीआर क्षेत्र से बाहर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली एवं इलाहाबाद में हैं, अब भी जारी है.

न्यायालय 1,200 से अधिक घर खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र, विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे. उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए दबाव डाला जा रहा है.

अदालत ने सीबीआई को दी थी जांच की इजाजत

शीर्ष अदालत ने 29 मार्च को, सीबीआई को एनसीआर क्षेत्र, यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी. इसने रियलिटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ 799 घर खरीदारों ने आठ अलग-अलग शहरों में परियोजनाओं से जुड़ी 84 अपीलों के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था.

सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को रिपोर्ट सौंपी थी, कोर्ट ने इसे देखा है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की ओर से संज्ञेय अपराध होने का पता लगाने के लिए मामलों की प्रारंभिक जांच के बाद, आगे की जांच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज किए जाने आवश्यक हैं.

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