उमर अब्दुल्ला से बदसलूकी पर भड़कीं ममता बनर्जी, स्टालिन और विपक्षी दल, कर दी ये मांग

श्रीनगर में सोमवार को नाटकीय दृश्य देखने को मिले जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शहीदों की कब्रगाह पर श्रद्धांजलि देने की कोशिश के दौरान पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की. इस घटना ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया. विपक्षी दलों ने इस पर भाजपा सरकार और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से माफी की मांग की. उमर अब्दुल्ला का गुस्सा, केंद्र पर तीखा हमलाएनडीटीवी से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह “मूर्खतापूर्ण और दूरदृष्टिहीन” फैसला था जो “मूर्खों” द्वारा लिया गया. उन्होंने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की. "ये घटना मेरे साथ नहीं, लोगों के अधिकारों से जुड़ी है"उमर ने कहा, “यह सिर्फ मेरे या मेरे साथियों के साथ हुई घटना नहीं है, बल्कि एक बड़ा संदेश है कि सरकार लोगों को powerless साबित करना चाहती है.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लोगों को लगातार दबाया गया तो इसके राजनीतिक परिणाम भुगतने होंगे. 13 जुलाई 1931 का जिक्र, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जोड़ा मामलाउमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई 1931 की घटना का हवाला देते हुए कहा कि उस दिन लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े हुए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम होने के कारण शहीदों को अलग नजरिए से देखा जा रहा है. उमर ने चेतावनी दी कि यदि चुनावों में कम मतदान हुआ तो इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार माना जाएगा, क्योंकि वह लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है. पहलगाम आतंकी हमले पर बोले - यह एलजी की नाकामी थीएनडीटीवी से बातचीत में उमर ने यह भी कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए वह नहीं, बल्कि खुद उपराज्यपाल ने अपनी विफलता मानी थी. उन्होंने कहा कि यह चूक हमें युद्ध के कगार पर ले गई. पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें अधिकतर नागरिक थे. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया. राज्य का दर्जा बहाल हो, यह मुद्दा न टाला जाएउमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं होता, तो लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से दिल्ली तक अपनी बात पहुंचाएंगे. विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियासीपीआई (एम) ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा अपनी मनमानी थोप रही है और शहीद दिवस की छुट्टी को खत्म कर, डोगरा महाराजा के जन्मदिन को छुट्टी घोषित कर रही है. पार्टी ने उमर अब्दुल्ला के साथ हुई बदसलूकी की निंदा की. सीपीआई महासचिव डी राजा का बयानडी राजा ने उमर अब्दुल्ला की कब्रगाह की दीवार फांदते हुए तस्वीर साझा की और कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देने से रोका गया. उन्होंने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई. ममता बनर्जी और स्टालिन ने भी केंद्र सरकार पर बोला हमलापश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं, बल्कि एक नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है.”तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि यह दर्शाता है कि स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राज्य सरकारों के अधिकारों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है. मुख्यमंत्री को कब्रगाह के गेट से कूदना पड़ा अंदर जाने के लिएसूत्रों के मुताबिक, खन्यार और नौहट्टा की ओर से शहीद कब्रगाह की ओर जाने वाले रास्तों को पुलिस ने सील कर दिया था. इसके चलते उमर अब्दुल्ला को कब्रगाह में प्रवेश करने के लिए मुख्य गेट फांदना पड़ा. बाद में गेट खोल दिया गया. फिर गहराया राज्य-सरकार बनाम एलजी विवादइस पूरी घटना ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक और प्रतीकात्मक टकराव को उजागर कर दिया है. लोगों और विपक्ष की ओर से केंद्र से यह मांग तेज हो गई है कि बिना देरी किए जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.

Jul 15, 2025 - 01:30
 0
उमर अब्दुल्ला से बदसलूकी पर भड़कीं ममता बनर्जी, स्टालिन और विपक्षी दल, कर दी ये मांग

श्रीनगर में सोमवार को नाटकीय दृश्य देखने को मिले जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शहीदों की कब्रगाह पर श्रद्धांजलि देने की कोशिश के दौरान पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की. इस घटना ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया. विपक्षी दलों ने इस पर भाजपा सरकार और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से माफी की मांग की.

उमर अब्दुल्ला का गुस्सा, केंद्र पर तीखा हमला
एनडीटीवी से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह “मूर्खतापूर्ण और दूरदृष्टिहीन” फैसला था जो “मूर्खों” द्वारा लिया गया. उन्होंने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की.

"ये घटना मेरे साथ नहीं, लोगों के अधिकारों से जुड़ी है"
उमर ने कहा, “यह सिर्फ मेरे या मेरे साथियों के साथ हुई घटना नहीं है, बल्कि एक बड़ा संदेश है कि सरकार लोगों को powerless साबित करना चाहती है.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लोगों को लगातार दबाया गया तो इसके राजनीतिक परिणाम भुगतने होंगे.

13 जुलाई 1931 का जिक्र, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जोड़ा मामला
उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई 1931 की घटना का हवाला देते हुए कहा कि उस दिन लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े हुए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम होने के कारण शहीदों को अलग नजरिए से देखा जा रहा है. उमर ने चेतावनी दी कि यदि चुनावों में कम मतदान हुआ तो इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार माना जाएगा, क्योंकि वह लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है.

पहलगाम आतंकी हमले पर बोले - यह एलजी की नाकामी थी
एनडीटीवी से बातचीत में उमर ने यह भी कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए वह नहीं, बल्कि खुद उपराज्यपाल ने अपनी विफलता मानी थी. उन्होंने कहा कि यह चूक हमें युद्ध के कगार पर ले गई. पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें अधिकतर नागरिक थे. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया.

राज्य का दर्जा बहाल हो, यह मुद्दा न टाला जाए
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं होता, तो लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से दिल्ली तक अपनी बात पहुंचाएंगे.

विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया
सीपीआई (एम) ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा अपनी मनमानी थोप रही है और शहीद दिवस की छुट्टी को खत्म कर, डोगरा महाराजा के जन्मदिन को छुट्टी घोषित कर रही है. पार्टी ने उमर अब्दुल्ला के साथ हुई बदसलूकी की निंदा की.

सीपीआई महासचिव डी राजा का बयान
डी राजा ने उमर अब्दुल्ला की कब्रगाह की दीवार फांदते हुए तस्वीर साझा की और कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देने से रोका गया. उन्होंने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई.

ममता बनर्जी और स्टालिन ने भी केंद्र सरकार पर बोला हमला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं, बल्कि एक नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है.”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि यह दर्शाता है कि स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राज्य सरकारों के अधिकारों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है.

मुख्यमंत्री को कब्रगाह के गेट से कूदना पड़ा अंदर जाने के लिए
सूत्रों के मुताबिक, खन्यार और नौहट्टा की ओर से शहीद कब्रगाह की ओर जाने वाले रास्तों को पुलिस ने सील कर दिया था. इसके चलते उमर अब्दुल्ला को कब्रगाह में प्रवेश करने के लिए मुख्य गेट फांदना पड़ा. बाद में गेट खोल दिया गया.

फिर गहराया राज्य-सरकार बनाम एलजी विवाद
इस पूरी घटना ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक और प्रतीकात्मक टकराव को उजागर कर दिया है. लोगों और विपक्ष की ओर से केंद्र से यह मांग तेज हो गई है कि बिना देरी किए जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow