इन बीमारियों को कहा जाता है साइलेंट किलर, मौत के नजदीक पहुंचने पर लगता है पता

Silent Killer Disease : कुछ बीमारियां इतनी खामोशी से शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं कि जब तक इनके लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है. इसे ही साइलेंट किलर कहा जाता है. ये बीमारियां शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खोखला करती रहती हैं और लास्ट स्टेज या किसी बड़ी घटना (जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक) के बाद ही इनका पता चलता है. आइए जानते हैं साइलेंट किलर डिजीज कौन-कौन से हैं? हाई ब्लड प्रेशर  ब्लड प्रेशर के लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते हैं. स्थिति गंभीर होने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर का खतरा रहता है. अक्सर लोग सामान्य थकान या सिरदर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि बीपी बढ़ा हुआ होता है. ऐसे में यह धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है.  ये भी पढ़ें - प्रेशर कुकर से बाहर नहीं आएगी दाल, बस उबालने से पहले कर लें ये एक काम डायबिटीज  डायबिटीज को भी साइलेंट किलर कहा जाता है. आज के समय में कई लोग इससे ग्रसित हैं. इस स्थिति से जूझ रहे लोगों को धीरे-धीरे थकान, बार-बार पेशाब, प्यास लगना जैसे लक्षण महसूस होते हैं. लंबे समय तक डायबिटीज के लक्षणों को नजरअंदाज करने पक आंखों की रोशनी कम होना, किडनी डैमेज, नर्व डैमेज, हार्ट डिजीज का खतरा रहता है. कई बार सालों तक लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें डायबिटीज है, इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है.  फैटी लिवर डिजीज फैटी लिवर के शुरुआती चरणों में मरीजों को कोई दर्द नहीं, कभी-कभी हल्की थकान सी महसूस होती है. स्थिति गंभीर होने पर लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर का खतरा रहता है. फैटी लिवर में जब तक लिवर काफी हद तक खराब नहीं हो जाता, तब तक लक्षण महसूस नहीं होते. इसलिए इसे साइलेंट किलर का नाम दिया गया है. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना  कोलेस्ट्रॉल के लक्षण सामने नजर नहीं आते हैं, लेकिन जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो धमनियों में ब्लॉकेज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक का खतरा रहता है. कोलेस्ट्रॉल का पता बिना जांच के लगा पाना मुश्किल होता है. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है.  ये भी पढ़ें - बार-बार सिरदर्द होना इन बीमारियों की ओर करता है इशारा, तुरंत कराएं जांच Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

Apr 29, 2025 - 16:30
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इन बीमारियों को कहा जाता है साइलेंट किलर, मौत के नजदीक पहुंचने पर लगता है पता

Silent Killer Disease : कुछ बीमारियां इतनी खामोशी से शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं कि जब तक इनके लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है. इसे ही साइलेंट किलर कहा जाता है. ये बीमारियां शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खोखला करती रहती हैं और लास्ट स्टेज या किसी बड़ी घटना (जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक) के बाद ही इनका पता चलता है. आइए जानते हैं साइलेंट किलर डिजीज कौन-कौन से हैं?

हाई ब्लड प्रेशर 

ब्लड प्रेशर के लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते हैं. स्थिति गंभीर होने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर का खतरा रहता है. अक्सर लोग सामान्य थकान या सिरदर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि बीपी बढ़ा हुआ होता है. ऐसे में यह धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. 

ये भी पढ़ें - प्रेशर कुकर से बाहर नहीं आएगी दाल, बस उबालने से पहले कर लें ये एक काम

डायबिटीज 

डायबिटीज को भी साइलेंट किलर कहा जाता है. आज के समय में कई लोग इससे ग्रसित हैं. इस स्थिति से जूझ रहे लोगों को धीरे-धीरे थकान, बार-बार पेशाब, प्यास लगना जैसे लक्षण महसूस होते हैं. लंबे समय तक डायबिटीज के लक्षणों को नजरअंदाज करने पक आंखों की रोशनी कम होना, किडनी डैमेज, नर्व डैमेज, हार्ट डिजीज का खतरा रहता है. कई बार सालों तक लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें डायबिटीज है, इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. 

फैटी लिवर डिजीज

फैटी लिवर के शुरुआती चरणों में मरीजों को कोई दर्द नहीं, कभी-कभी हल्की थकान सी महसूस होती है. स्थिति गंभीर होने पर लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर का खतरा रहता है. फैटी लिवर में जब तक लिवर काफी हद तक खराब नहीं हो जाता, तब तक लक्षण महसूस नहीं होते. इसलिए इसे साइलेंट किलर का नाम दिया गया है.

कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना 

कोलेस्ट्रॉल के लक्षण सामने नजर नहीं आते हैं, लेकिन जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो धमनियों में ब्लॉकेज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक का खतरा रहता है. कोलेस्ट्रॉल का पता बिना जांच के लगा पाना मुश्किल होता है. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. 

ये भी पढ़ें - बार-बार सिरदर्द होना इन बीमारियों की ओर करता है इशारा, तुरंत कराएं जांच

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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