इजरायल-ईरान जंग से दांव पर लगा भारत के 47710000000 रुपये, टेंशन बढ़ी तो सब हो जाएगा बर्बाद
Israel Iran Tension: इजरायल और ईरान के बीच जंग अब खतरनाक मोड़ पर पहुंचती हुई दिख रही है. दोनों ही देश एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से मिसाइल से हमले कर वहां के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का निशाना बना रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. राटयर्स की रिपोर्ट में तो ये तक कहा गया है कि ईरान ने अब इजरायल के स्टॉक एक्सचेंज और वहां के कुछ अस्पतालों को निशाना बनाया है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि ईरान की तरफ से करीब 25 से ज्यादा मिसाइल दागी गई है, जिसके बाद अब इजरायल भी जल्द जवाबी एक्शन के मूड में है. तनाव से रिस्क पर भारत का निवेश इस सूरत-ए-हाल में भारत का करीब 550 मिलियन डॉलर यानी 4771 करोड़ रुपये दांव पर लग गया है, जो उसने ईरान में निवेश किए थे. ज्यादातर निवेश भारत ने चाबहार बंदरगाह को फोकस कर किया था, जो नई दिल्ली के लिए काफी मायने रखता है. इस चाबहार पोर्ट को भारत की तरफ से जो कंपनी मैनेज करती है, उसका नाम है इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड. इस चाबहार पोर्ट के जरिए भारत की बिना पाकिस्तान के ही अफगानिस्तान से लेकर मध्य एशिया तक पहुंच हो जाती है. चाबहार पोर्ट भारत को ईरान, अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया से लेकर यूरोप तक वैकल्पिक व्यापार मार्ग देता है, जो काफी कम समय में पहुंचा जा सकता है. क्यों बढ़ी भारती की चुनौती? लेकिन अब जबकि ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है, इस चाबहार प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है. अमेरिका के लगातार बढ़ते दखल और पश्चिम देशों के प्रतिबंधों की वजह से इस चाबहार पोर्ट और यहां से जुड़े रेलवे प्रोजेक्ट पर भारत के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा. ईरान के चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह टर्मिनल को 2024 के मई में 10 साल तक चलाने के लिए समझौता किया है. भारत और ईरान के अधिकारियों की तरफ से लगातार इसको लेकर बातचीत चल रही है, ताकि कोई बाधा न आए. भारत की तरफ से इस पोर्ट को डेवलप करने के लिए 8.5 करोड़ डॉलर का निवेश भी किया गया है. साल 2017 में चाबहार पोर्ट के लिए एस्सार और अडानी जैसे ग्रुप ने भी दिलचस्पी दिखाई थी. चाबहार पोर्ट भारत के लिए खास अहमियत रखता है. ये भी पढ़ें: इजरायल-ईरान तनाव से बेपरवाह भारतीय बाजार, 700 अंक उछला सेंसेक्स, निफ्टी 25000 के पार

Israel Iran Tension: इजरायल और ईरान के बीच जंग अब खतरनाक मोड़ पर पहुंचती हुई दिख रही है. दोनों ही देश एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से मिसाइल से हमले कर वहां के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का निशाना बना रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. राटयर्स की रिपोर्ट में तो ये तक कहा गया है कि ईरान ने अब इजरायल के स्टॉक एक्सचेंज और वहां के कुछ अस्पतालों को निशाना बनाया है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि ईरान की तरफ से करीब 25 से ज्यादा मिसाइल दागी गई है, जिसके बाद अब इजरायल भी जल्द जवाबी एक्शन के मूड में है.
तनाव से रिस्क पर भारत का निवेश
इस सूरत-ए-हाल में भारत का करीब 550 मिलियन डॉलर यानी 4771 करोड़ रुपये दांव पर लग गया है, जो उसने ईरान में निवेश किए थे. ज्यादातर निवेश भारत ने चाबहार बंदरगाह को फोकस कर किया था, जो नई दिल्ली के लिए काफी मायने रखता है. इस चाबहार पोर्ट को भारत की तरफ से जो कंपनी मैनेज करती है, उसका नाम है इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड.
इस चाबहार पोर्ट के जरिए भारत की बिना पाकिस्तान के ही अफगानिस्तान से लेकर मध्य एशिया तक पहुंच हो जाती है. चाबहार पोर्ट भारत को ईरान, अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया से लेकर यूरोप तक वैकल्पिक व्यापार मार्ग देता है, जो काफी कम समय में पहुंचा जा सकता है.
क्यों बढ़ी भारती की चुनौती?
लेकिन अब जबकि ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है, इस चाबहार प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है. अमेरिका के लगातार बढ़ते दखल और पश्चिम देशों के प्रतिबंधों की वजह से इस चाबहार पोर्ट और यहां से जुड़े रेलवे प्रोजेक्ट पर भारत के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा.
ईरान के चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह टर्मिनल को 2024 के मई में 10 साल तक चलाने के लिए समझौता किया है. भारत और ईरान के अधिकारियों की तरफ से लगातार इसको लेकर बातचीत चल रही है, ताकि कोई बाधा न आए. भारत की तरफ से इस पोर्ट को डेवलप करने के लिए 8.5 करोड़ डॉलर का निवेश भी किया गया है. साल 2017 में चाबहार पोर्ट के लिए एस्सार और अडानी जैसे ग्रुप ने भी दिलचस्पी दिखाई थी. चाबहार पोर्ट भारत के लिए खास अहमियत रखता है.
ये भी पढ़ें: इजरायल-ईरान तनाव से बेपरवाह भारतीय बाजार, 700 अंक उछला सेंसेक्स, निफ्टी 25000 के पार
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