Vastu tips for Home: घर में धन और बरकत लाने के 10 जबरदस्त वास्तु उपाय! धन चुंबक की तरह खींचा चला आएगा!
Vastu Shastra for home: घर में सुख, समृद्धि और धन का प्रवाह बढ़ाने के लिए वास्तु शास्त्र में कई सरल उपाय बताए गए हैं. ये उपाय ना केवल आर्थिक स्थिरता लाते हैं, बल्कि परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार भी होता है. सही दिशा और सही तरीके से इन उपायों को अपनाने से धन चुंबक की तरह खिंचा चला आता है. ज्योतिषाचार्य ने बताया वास्तु उपायपाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु के अनुसार यदि घर में कुछ प्रभावशाली चिन्ह को रखा जाए, तो घर में सुख-समृद्धि वास करती हैं. साथ ही बरकत और खुशहाली पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ मंगलकारी चित्र, छाप या मांडना से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. यह मंगलकारी प्रतीक सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाते हैं. इन्हें घर के द्वार, मंदिर या दीवारों पर उचित दिशा में लगाना चाहिए. जैसे हल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं. घर में इन चीजों को रखने से आती है सकारात्मकतावास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है. वास्तु उपायों का पूरा लाभ पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करें. स्वास्तिक, गुल्लक, और गंगाजल को साफ और पवित्र स्थान पर रखें. इन चीजों को सकारात्मक मन और श्रद्धा के साथ स्थापित करें. नियमित रूप से पूजा स्थल और लॉकर की साफ-सफाई करें. मंत्र जाप, जैसे 'ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः' के साथ इन उपायों को करें. यह प्रभाव को कई गुना बढ़ाता है. घर के लिए एक मुख्य द्वारा उपयुक्तवास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि घर में प्रवेश हेतु एक द्वार ही रखें. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर 3 दरवाजे शुभ नहीं होते हैं. घर में प्रवेश हेतु उत्तर और पूर्व की दिशा बेहतर होती है. दक्षिण की दिशा में भूलकर भी द्वार न दें. इससे घर में नकारात्मक शक्ति का आगमन होता है. पूजा घर किस दिशा में रखें?घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बृहस्पति देव का वास होता है. इसके लिए इस दिशा में पूजा घर रखें. मंदिर में देवी-देवताओं का मुख पूर्व की दिशा में रखें. कहते हैं कि मां लक्ष्मी को साफ-सफाई पसंद होती है, इसलिए उनकी कृपा पाने के लिए घर के मुख्य दरवाजे को साफ रखें. घर के बाहर गंदगी फैली होने से नकारात्मकता बढ़ती है. वास्तु के अनुसार रसोईघर किस दिशा में होना शुभवास्तु के अनुसार घर का रसोईघर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. किचन की दीवारों पर लाल, नारंगी और गुलाबी रंग करें जबकि ड्राइंग रूम और काम करने का स्थान उत्तर दिशा में होना चाहिए. उत्तर दिशा में डस्टबिन, वॉशिंग मशीन, झाड़ू और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भूलकर भी इस दिशा में न रखें. ऐसा करने से धन की हानि होती है. घर के बाहर उत्तर दिशा में गूलर, पाकड़ आदि वृक्ष न लगाएं. इससे नेत्र संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं. साथ ही घर में बेर, केला, पीपल और अनार के पेड़ भी न लगाएं. इससे घर की बरकत चली जाती है. वास्तु से लाएं सुख-समृद्धिवास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में धन की कमी न हो और खुशहाली बनी रहे. वास्तु शास्त्र के यह सरल उपाय मेहनत के साथ-साथ धन और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं. जैसे मुख्य द्वार, लॉकर, और पूजा स्थल से जुड़े ये उपाय करने से गहरा प्रभाव पढ़ता है. ओम: वास्तु के अनुसार ॐ अनहद नाद का प्रतीक है. ब्रह्मांड में इसी तरह का नाम लगातार गूंज रहा है. ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है. भू: लोक, भुव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है. यह धर्म में हमारी आस्था को बढ़ाता है. पंचसूलकहल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है. मुख्य प्रवेश द्वार पर लगी पंचसूलक की छाप सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाती है. मुख्य द्वार पर सही रंग का स्वास्तिकवास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को सकारात्मक ऊर्जा और धन का प्रवेश द्वार माना जाता है. स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है. 'सु' का अर्थ है शुभ और 'आस्तिक' का अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वह स्वस्तिक होता है. द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है. इससे दरिद्रता का नाश होता है. मुख्य द्वार की दिशा के अनुसार सही रंग का स्वास्तिक बनाएं. पूर्व दिशा में हरा, उत्तर में नीला, दक्षिण में लाल और पश्चिम में पीला स्वास्तिक शुभ है. यह ऊर्जा को संतुलित करता है और धन-समृद्धि को आकर्षित करता है. कमलहिन्दू पुराणों के अनुसार कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णु जी की नाभि से हुई है और कमल के फूल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति मानी जाती है. कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है. कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है परंतु वह दोनों से निर्लिप्त रहकर पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है. कहते हैं कि कमल के फूल की ही तरह सृष्टि और इस ब्रह्मांड की रचना हुई है और यह ब्रह्मांड इसी फूल की तरह है. मंदिरों के गुंबद और स्तंभों पर कमल की आकृति बनाई जाती है. यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है. त्रिशूलवास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है. यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है. यह बुरी शक्तियों को रोकता है. कलशवास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि समुद्र मंथन के दौरान अंत में भगवान धन्वंतरि देव अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे. यह कलश उसी का प्रतीक है. कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है. कलश के मुख में भगवान विष्ण

Vastu Shastra for home: घर में सुख, समृद्धि और धन का प्रवाह बढ़ाने के लिए वास्तु शास्त्र में कई सरल उपाय बताए गए हैं. ये उपाय ना केवल आर्थिक स्थिरता लाते हैं, बल्कि परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार भी होता है.
सही दिशा और सही तरीके से इन उपायों को अपनाने से धन चुंबक की तरह खिंचा चला आता है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया वास्तु उपाय
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु के अनुसार यदि घर में कुछ प्रभावशाली चिन्ह को रखा जाए, तो घर में सुख-समृद्धि वास करती हैं. साथ ही बरकत और खुशहाली पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ मंगलकारी चित्र, छाप या मांडना से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. यह मंगलकारी प्रतीक सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाते हैं. इन्हें घर के द्वार, मंदिर या दीवारों पर उचित दिशा में लगाना चाहिए. जैसे हल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं.
घर में इन चीजों को रखने से आती है सकारात्मकता
वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है. वास्तु उपायों का पूरा लाभ पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करें. स्वास्तिक, गुल्लक, और गंगाजल को साफ और पवित्र स्थान पर रखें. इन चीजों को सकारात्मक मन और श्रद्धा के साथ स्थापित करें.
नियमित रूप से पूजा स्थल और लॉकर की साफ-सफाई करें. मंत्र जाप, जैसे 'ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः' के साथ इन उपायों को करें. यह प्रभाव को कई गुना बढ़ाता है.
घर के लिए एक मुख्य द्वारा उपयुक्त
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि घर में प्रवेश हेतु एक द्वार ही रखें. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर 3 दरवाजे शुभ नहीं होते हैं. घर में प्रवेश हेतु उत्तर और पूर्व की दिशा बेहतर होती है.
दक्षिण की दिशा में भूलकर भी द्वार न दें. इससे घर में नकारात्मक शक्ति का आगमन होता है.
पूजा घर किस दिशा में रखें?
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बृहस्पति देव का वास होता है. इसके लिए इस दिशा में पूजा घर रखें. मंदिर में देवी-देवताओं का मुख पूर्व की दिशा में रखें.
कहते हैं कि मां लक्ष्मी को साफ-सफाई पसंद होती है, इसलिए उनकी कृपा पाने के लिए घर के मुख्य दरवाजे को साफ रखें. घर के बाहर गंदगी फैली होने से नकारात्मकता बढ़ती है.
वास्तु के अनुसार रसोईघर किस दिशा में होना शुभ
वास्तु के अनुसार घर का रसोईघर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. किचन की दीवारों पर लाल, नारंगी और गुलाबी रंग करें जबकि ड्राइंग रूम और काम करने का स्थान उत्तर दिशा में होना चाहिए.
उत्तर दिशा में डस्टबिन, वॉशिंग मशीन, झाड़ू और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भूलकर भी इस दिशा में न रखें.
ऐसा करने से धन की हानि होती है. घर के बाहर उत्तर दिशा में गूलर, पाकड़ आदि वृक्ष न लगाएं. इससे नेत्र संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं. साथ ही घर में बेर, केला, पीपल और अनार के पेड़ भी न लगाएं. इससे घर की बरकत चली जाती है.
वास्तु से लाएं सुख-समृद्धि
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में धन की कमी न हो और खुशहाली बनी रहे. वास्तु शास्त्र के यह सरल उपाय मेहनत के साथ-साथ धन और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं. जैसे मुख्य द्वार, लॉकर, और पूजा स्थल से जुड़े ये उपाय करने से गहरा प्रभाव पढ़ता है.
ओम: वास्तु के अनुसार ॐ अनहद नाद का प्रतीक है. ब्रह्मांड में इसी तरह का नाम लगातार गूंज रहा है. ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है. भू: लोक, भुव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है. यह धर्म में हमारी आस्था को बढ़ाता है.
पंचसूलक
हल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है. मुख्य प्रवेश द्वार पर लगी पंचसूलक की छाप सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाती है.
मुख्य द्वार पर सही रंग का स्वास्तिक
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को सकारात्मक ऊर्जा और धन का प्रवेश द्वार माना जाता है. स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है. 'सु' का अर्थ है शुभ और 'आस्तिक' का अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वह स्वस्तिक होता है.
द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है. इससे दरिद्रता का नाश होता है. मुख्य द्वार की दिशा के अनुसार सही रंग का स्वास्तिक बनाएं.
पूर्व दिशा में हरा, उत्तर में नीला, दक्षिण में लाल और पश्चिम में पीला स्वास्तिक शुभ है. यह ऊर्जा को संतुलित करता है और धन-समृद्धि को आकर्षित करता है.
कमल
हिन्दू पुराणों के अनुसार कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णु जी की नाभि से हुई है और कमल के फूल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति मानी जाती है. कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है.
कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है परंतु वह दोनों से निर्लिप्त रहकर पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है.
कहते हैं कि कमल के फूल की ही तरह सृष्टि और इस ब्रह्मांड की रचना हुई है और यह ब्रह्मांड इसी फूल की तरह है. मंदिरों के गुंबद और स्तंभों पर कमल की आकृति बनाई जाती है. यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है.
त्रिशूल
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है. यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है. यह बुरी शक्तियों को रोकता है.
कलश
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि समुद्र मंथन के दौरान अंत में भगवान धन्वंतरि देव अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे. यह कलश उसी का प्रतीक है. कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है.
कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है. कलश में जल होता है, जिसके मुख पर श्रीफल रखा जाता है. जल विष्णु और वरुण देव का प्रतीक है और श्रीफल माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है.
नमस्ते
यह स्वागत का चिन्ह है जो द्वार के दोनों ओर लगाया जाता है. यह अतिथियों के मन में सकारात्मक भाव को लाता है और सौहार्द और विनम्रता का संचार करता है.
शंख
शंख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्र की संज्ञा दी गई है. शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह अनमोल रत्नों में से एक है. लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है. शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है.
दीपक
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि सुन्दर और कल्याणकारी, आरोग्य और संपदा को देने वाले दीपक समृद्धि के साथ ही अग्नि और ज्योति का प्रतीक भी है.
मछली
वास्तु के अनुसार यह मछली का चित्र या छाप घर में खुशहाली और शांति को कायम करके उन्नति के रास्ते खोलती है. मछली अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, धन और शक्ति का प्रतीक है. इस छाप को आप अपने घर की उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में ही लगा सकते हैं.
लॉकर में रखें पीली सरसों
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि घर का लॉकर धन की स्थिरता का प्रतीक है. वास्तु के अनुसार, लॉकर को पश्चिम दिशा में रखें और उसमें थोड़ी सी पीली सरसों डालें. पीली सरसों बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा को रोकती है, जिससे धन सुरक्षित रहता है. इसे छोटे लाल कपड़े में बांधकर लॉकर में रखें. यह उपाय आर्थिक स्थिरता और बरकत को बढ़ाता है.
दक्षिण-पश्चिम में मिट्टी का गुल्लक
दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थिरता और धन संग्रह के लिए शुभ मानी जाती है. इस दिशा में मिट्टी की गुल्लक रखें और उसमें समय-समय पर सिक्के या नोट डालें. बच्चों के हाथ से गुल्लक में पैसा डलवाना विशेष रूप से शुभ है. यह उपाय धीरे-धीरे धन संचय को बढ़ाता है और आर्थिक मजबूती देता है.
पश्चिम दिशा में लक्ष्मी-नारायण की फोटो
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि पश्चिम दिशा में लक्ष्मी-नारायण की फोटो लगाना धन और स्थिरता के लिए शुभ है. देवी लक्ष्मी धन की प्रतीक हैं और भगवान नारायण संरक्षण देते हैं. इस फोटो को पूजा स्थल या लिविंग रूम में लगाएं और रोज प्रणाम करें.
ईशान कोण में गंगाजल
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को वास्तु में सबसे पवित्र माना जाता है. पूजा स्थल में इस दिशा में गंगाजल की छोटी शीशी रखें. गंगाजल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मानसिक शांति व आत्मिक संतुलन लाता है.
समय-समय पर गंगाजल को ताजा करें और पूजा स्थल को साफ रखें. यह धन और सुख को आकर्षित करता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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