Varalakshmi Vrat 2025: वरलक्ष्मी व्रत में पढ़ें ये कथा और आरती, दूर होती है दरिद्रता
Varalakshmi Vrat 2025: वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025 को है. कहा जाता है कि ये दिन दिवाली की तरह ही मनाया जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी की भव्य रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि सावन माह के अंतिम शुक्रवार को किए जाने वाला ये व्रत कलियुग में सौभाग्य प्राप्ति की चाबी है. इसके फलस्वरूप निर्धन भी धनवान हो जाता है. वरलक्ष्मी व्रत के दिन कथा पढ़ने मात्र से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वरलक्ष्मी व्रत की कथा वरलक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार बहुत पौराणिक समय मैं मगध राज्य में कुण्डी नामक एक नगर था. यह नगर मगध राज्य के मध्य स्थापित था. इस नगर में एक ब्राह्मणी नारी चारुमति अपने परिवार के साथ रहती थी. जिस पर माता लक्ष्मी का बहुत अटूट विश्वास था. वह हर दिन माता लक्ष्मी की पूजा करती थी. एक रात्रि में माँ लक्ष्मी ने उस महिला से प्रसन्न होकर उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उसे वर लक्ष्मी नामक व्रत करने का सुझाव दिया और कहा इस व्रत के प्रभाव से तुम्हे मनोवांछित फल प्राप्त होगा. अगले सुबह चारुमति ने मां लक्ष्मी के बताये गए वरलक्ष्मी व्रत को समाज की अन्य नारियों के साथ विधिवत पूजन किया. पूजन के संपन्न होने पर सभी नारियां कलश की परिक्रमा करने लगीं, परिक्रमा करते समय समस्त नारियों के शरीर विभिन्न स्वर्ण आभूषणों से सज गए. उनके घर भी सोने से सुसज्जित हो गए. घोड़े, हाथी, गाय आदि पशु भी आ गए. कालांतर में यह कथा भगवान शिव जी ने माता पार्वती को सुनाई थी. माता पार्वती ने भी इस व्रत को किया था. वरलक्ष्मी व्रत की आरती ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निस दिन सेवत हर – विष्णु – विधाता, ॐ जय.... उमा , रमा ,ब्रह्माणी, तुम ही जग माता सूर्य-चन्द्रमा ध्यान करते, नारद ऋषि गाते, ॐ जय.... आप पाताल-निरंजनी, सुख-संपत्ति दाता हैं जो कोई तुमको ध्याता, वह ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता, ॐ जय.... तुम पाताल – निवासिनि, तुम ही शुभदाता कर्म – प्रभाव – प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता, ॐ जय.... जिस घर तुम रहती, तहं सब सद्गुण आता सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता, ॐ जय…. तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता खान – पान का वैभव सब तुमसे आता, ॐ जय…. शुभ – गुण मंदिर सुंदर, क्षीर निधि जाता रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पता, ॐ जय.... महालक्ष्मीजी जी की आरती, जो कोई नर गाता उर आनंद समाता, पाप उतर जाता, ॐ जय…… Bhadrapad Month 2025: भाद्रपद माह 9 या 10 अगस्त कब से शुरू ? जानें इसका महत्व, नियम, व्रत-त्योहार Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Varalakshmi Vrat 2025: वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025 को है. कहा जाता है कि ये दिन दिवाली की तरह ही मनाया जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी की भव्य रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि सावन माह के अंतिम शुक्रवार को किए जाने वाला ये व्रत कलियुग में सौभाग्य प्राप्ति की चाबी है. इसके फलस्वरूप निर्धन भी धनवान हो जाता है. वरलक्ष्मी व्रत के दिन कथा पढ़ने मात्र से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
वरलक्ष्मी व्रत की कथा
वरलक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार बहुत पौराणिक समय मैं मगध राज्य में कुण्डी नामक एक नगर था. यह नगर मगध राज्य के मध्य स्थापित था. इस नगर में एक ब्राह्मणी नारी चारुमति अपने परिवार के साथ रहती थी. जिस पर माता लक्ष्मी का बहुत अटूट विश्वास था. वह हर दिन माता लक्ष्मी की पूजा करती थी.
एक रात्रि में माँ लक्ष्मी ने उस महिला से प्रसन्न होकर उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उसे वर लक्ष्मी नामक व्रत करने का सुझाव दिया और कहा इस व्रत के प्रभाव से तुम्हे मनोवांछित फल प्राप्त होगा.
अगले सुबह चारुमति ने मां लक्ष्मी के बताये गए वरलक्ष्मी व्रत को समाज की अन्य नारियों के साथ विधिवत पूजन किया. पूजन के संपन्न होने पर सभी नारियां कलश की परिक्रमा करने लगीं, परिक्रमा करते समय समस्त नारियों के शरीर विभिन्न स्वर्ण आभूषणों से सज गए. उनके घर भी सोने से सुसज्जित हो गए. घोड़े, हाथी, गाय आदि पशु भी आ गए. कालांतर में यह कथा भगवान शिव जी ने माता पार्वती को सुनाई थी. माता पार्वती ने भी इस व्रत को किया था.
वरलक्ष्मी व्रत की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निस दिन सेवत हर – विष्णु – विधाता, ॐ जय....
उमा , रमा ,ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यान करते, नारद ऋषि गाते, ॐ जय....
आप पाताल-निरंजनी, सुख-संपत्ति दाता हैं
जो कोई तुमको ध्याता, वह ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता, ॐ जय....
तुम पाताल – निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म – प्रभाव – प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता, ॐ जय....
जिस घर तुम रहती, तहं सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता, ॐ जय….
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान – पान का वैभव सब तुमसे आता, ॐ जय….
शुभ – गुण मंदिर सुंदर, क्षीर निधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पता, ॐ जय....
महालक्ष्मीजी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता, ॐ जय……
Bhadrapad Month 2025: भाद्रपद माह 9 या 10 अगस्त कब से शुरू ? जानें इसका महत्व, नियम, व्रत-त्योहार
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
What's Your Reaction?






