'PAK वीजा के बदले भारतीय सिम, फिर अफसरों के नंबर हैक और....', ISI एजेंट निकला दानिश, जासूसों से कराता था ये काम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीते 1 सप्ताह से भारत में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले कई अभियुक्तों को भारत के कई राज्यों जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया है. ये सभी पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के हैंडलर्स एहसान-उर रहीम उर्फ दानिश या फिर मुजम्मिल हुसैन उर्फ सैम हाशमी के संपर्क में थे. इन आरोपियों को पकड़ने के बाद सामने आया है कि पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के एजेंट दानिश और मुजम्मिल ने जासूसी करने वाले इन अभियुक्तों से भारतीय सिम कार्ड मंगवायी थी. उदाहरण के लिए हरियाणा के नूह से गिरफ्तार आरिफ ने जांच एजेंसियों को बताया की उससे 2018 से 2024 तक पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले कर्मचारियों ने कई बार वीजा के बदले भारतीय सिम कार्ड मांगे थे. बता दें कि 13 मई को भारत ने पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारी दानिश को देश छोड़ने को कहा था. ऐसे में खुफिया सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि वीजा के बदले सिम कार्ड मांगने का धंधा पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले ISI के हैंडलर्स बीते 5 सालों से लगातार चला रहे हैं. इनका टारगेट कम पढ़े लिखे और ग्रामीण इलाके में रहने वाले भारतीय होते हैं, जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं और वो पाकिस्तान जाने के लिए वीजा चाहते हैं. उनसे पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के एजेंट सिम कार्ड मंगवाते थे और पिछले 2 सालों में हज़ार से ज़्यादा भारतीय नंबरों के सिम कार्ड मंगाए जा चुके हैं. ISI हैंडलर्स को क्यों चाहिए भारतीय सिम कार्ड?अब बड़ा सवाल उठता है कि आखिर भारतीय नंबरों के सिम कार्ड का ISI के पाकिस्तानी उच्चायोग में बैठे हैंडलर्स करते क्या थे? इस रैकेट की जांच करने वाले भारत की खुफिया एजेंसी के एक सूत्र ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि भारतीय नंबरों के सिम का ISI और उसके हैंडलर्स तीन तरह से प्रयोग करते थे. 1. पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले ISI के हैंडलर्स अपने खुद के भारतीय नंबर से कभी भी अपने जासूसों से बात नहीं करते थे. वो हमेशा अपने जासूसों से बातचीत उन्हीं भारतीय नंबरों से करते थे, जो उन्हें या तो वीजा आवेदक ने मुहैया करवाया या फिर उनके ही किसी जासूस ने, क्योंकि अगर उनका जासूस पकड़ा जाता है तो उनके पास deniability का ऑप्शन रहता है कि नंबर उनका नहीं है और जांच एजेंसी के आरोप निराधार हैं. 2. चूंकि कॉल पर बातचीत हमेशा Encrypted प्लेटफार्म टेलीग्राउदाहरण के लिए साल 2023 से भारतीय सैनिकों और पुलिसकर्मियों को वॉट्सऐप पर जो spyware भेजे जा रहे हैं वो सभी +91 कोड के भारतीय नंबरों से ही भेजे जा रहे हैं और उच्चायोग में पोस्टेड ISI के हैंडलर्स इस्लामाबाद में ISI के साइबर कमांड सेंटर में बैठे हैकरों को इन नंबरों से whatsapp log in करवाते थे, ताकि भारतीय सेना और पुलिस की जासूसी की जा सके और उनका फोन हैक किया जा सके. 3. तीसरा और सबसे बड़ा प्रयोग इन भारतीय सिम कार्ड का ISI सैनिकों और जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मियों के फोन को हैक करने या फिर उनसे गुप्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए करती है. सामने आए कई उदाहरणखुफिया सूत्रों के मुताबिक, चूंकि नंबर +91 कोड का होता है और ISI का हैकर या फिर हैंडलर शुद्ध हिंदी में कभी भारतीय रक्षा विभाग का अधिकारी बन कर तो कभी किसी अन्य विभाग का अधिकारी बन बात करता था, ऐसे में सैनिक या फिर पुलिसकर्मी की उसके झांसे में फंसने की संभावना बढ़ जाती थी.म या फिर Signal या फिर Whatsapp पर होती है. ऐसे में ना ही कॉल हिस्ट्री निकलती है और ना ही एजेंसी को इन नंबरों की कॉल टैप करने पर कुछ सबूत मिलता है. उदाहरण के लिए अभी बीते दिनों पहलगाम हमले के बाद की स्थिति देख लें तो जब सरहद पार बैठे ISI के एजेंट्स ने कई भारतीय सैनिकों और उनके परिवार वालों को फ़ोन कॉल करके सेना के मूवमेंट की जानकारी मांगी थी. ये सभी कॉल सैनिकों को और उनके परिजनों को +91 कोड के भारतीय नंबर से ही आई थी और वॉट्सऐप पर आई थी, इसी तरह पंजाब के टोल प्लाजा कर्मचारियों को भारतीय +91 नंबर से ISI के PIOs ने सेना की मूवमेंट की जानकारी लेने के लिए कॉल की थी. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ISI के इस्लामाबाद स्थित हेडक्वार्टर और पाकिस्तान के झेलम जिले में बाकायदा ISI का एक कॉल सेंटर तक है, जिसका काम ही यही है कि उच्चायोग में पोस्टेड ISI के हैंडलर्स से इकट्ठा किए भारतीय नंबरों से Whatsapp एक्टिवेट करके भारतीय सेना के सैनिकों जासूसी करना उन्हें हनी ट्रैप करवाना. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ISI हमेशा ऐसा सेफ गेम खेलती है, जिससे उसका नापाक काम भी हो जाए और उस पर सवाल भी ना उठे. आज इंटरनेट पर कई ऐसे ऐप और वेबसाइट हैं जो किसी भी देश के कोड का नंबर पैसे देकर दे देती है, लेकिन ISI को हमेशा डर रहता है कि अगर उन्होंने इन ऐप्स या फिर वेबसाइट से ई-सिम ली और अगर भारतीय एजेंसियों द्वारा खरीददार और खरीदने वाले देश का डेटा इन ऐप या वेबसाइट ने भारत को दे दिया तो उसकी पोल खुल जाएगी. इसीलिए सिम कार्ड का रैकेट उच्चायोग में बैठे ISI के पोस्टेड हैंडलर्स चलाते हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, SIM card की modus operandi का चौथा सबसे कारण भारत में पिछले कई सालों से ISI सोशल मीडिया पर misinformation campaign चला रही है, ताकि भारत में गृहयुद्ध भड़के या फिर उसका एजेंडा सफल हो. ऐसे में ये भारतीय सिम कार्ड भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. उदाहरण के लिए भारत में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन #BabriZindaHai Trend X और फेसबुक पर चला था. इस ट्रेंड पर हजारों लोगों ने ट्वीट भी किया था, लेकिन रिवर्स analysis में सामने आया था कि पहला ट्वीट तो पाकिस्तान से हुआ जिसमें हैशटैग introduce हुआ फिर बाकी के 70% ट्वीट भारत के ही IP से दिखा रहे थे और हैशटैग भारत में ट्रेंड कर रहा था, जबकि ये 70% ट्वीट जिन X अकाउंट से किए गए थे उनमें से आधे से भी कई ज्यादा अकाउंट पाकिस्तान के ही थे. इसमें या तो DP

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीते 1 सप्ताह से भारत में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले कई अभियुक्तों को भारत के कई राज्यों जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया है. ये सभी पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के हैंडलर्स एहसान-उर रहीम उर्फ दानिश या फिर मुजम्मिल हुसैन उर्फ सैम हाशमी के संपर्क में थे.
इन आरोपियों को पकड़ने के बाद सामने आया है कि पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के एजेंट दानिश और मुजम्मिल ने जासूसी करने वाले इन अभियुक्तों से भारतीय सिम कार्ड मंगवायी थी. उदाहरण के लिए हरियाणा के नूह से गिरफ्तार आरिफ ने जांच एजेंसियों को बताया की उससे 2018 से 2024 तक पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले कर्मचारियों ने कई बार वीजा के बदले भारतीय सिम कार्ड मांगे थे. बता दें कि 13 मई को भारत ने पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारी दानिश को देश छोड़ने को कहा था.
ऐसे में खुफिया सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि वीजा के बदले सिम कार्ड मांगने का धंधा पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले ISI के हैंडलर्स बीते 5 सालों से लगातार चला रहे हैं. इनका टारगेट कम पढ़े लिखे और ग्रामीण इलाके में रहने वाले भारतीय होते हैं, जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं और वो पाकिस्तान जाने के लिए वीजा चाहते हैं. उनसे पाकिस्तानी उच्चायोग में पोस्टेड ISI के एजेंट सिम कार्ड मंगवाते थे और पिछले 2 सालों में हज़ार से ज़्यादा भारतीय नंबरों के सिम कार्ड मंगाए जा चुके हैं.
ISI हैंडलर्स को क्यों चाहिए भारतीय सिम कार्ड?
अब बड़ा सवाल उठता है कि आखिर भारतीय नंबरों के सिम कार्ड का ISI के पाकिस्तानी उच्चायोग में बैठे हैंडलर्स करते क्या थे? इस रैकेट की जांच करने वाले भारत की खुफिया एजेंसी के एक सूत्र ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि भारतीय नंबरों के सिम का ISI और उसके हैंडलर्स तीन तरह से प्रयोग करते थे.
1. पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले ISI के हैंडलर्स अपने खुद के भारतीय नंबर से कभी भी अपने जासूसों से बात नहीं करते थे. वो हमेशा अपने जासूसों से बातचीत उन्हीं भारतीय नंबरों से करते थे, जो उन्हें या तो वीजा आवेदक ने मुहैया करवाया या फिर उनके ही किसी जासूस ने, क्योंकि अगर उनका जासूस पकड़ा जाता है तो उनके पास deniability का ऑप्शन रहता है कि नंबर उनका नहीं है और जांच एजेंसी के आरोप निराधार हैं.
2. चूंकि कॉल पर बातचीत हमेशा Encrypted प्लेटफार्म टेलीग्राउदाहरण के लिए साल 2023 से भारतीय सैनिकों और पुलिसकर्मियों को वॉट्सऐप पर जो spyware भेजे जा रहे हैं वो सभी +91 कोड के भारतीय नंबरों से ही भेजे जा रहे हैं और उच्चायोग में पोस्टेड ISI के हैंडलर्स इस्लामाबाद में ISI के साइबर कमांड सेंटर में बैठे हैकरों को इन नंबरों से whatsapp log in करवाते थे, ताकि भारतीय सेना और पुलिस की जासूसी की जा सके और उनका फोन हैक किया जा सके.
3. तीसरा और सबसे बड़ा प्रयोग इन भारतीय सिम कार्ड का ISI सैनिकों और जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मियों के फोन को हैक करने या फिर उनसे गुप्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए करती है.
सामने आए कई उदाहरण
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, चूंकि नंबर +91 कोड का होता है और ISI का हैकर या फिर हैंडलर शुद्ध हिंदी में कभी भारतीय रक्षा विभाग का अधिकारी बन कर तो कभी किसी अन्य विभाग का अधिकारी बन बात करता था, ऐसे में सैनिक या फिर पुलिसकर्मी की उसके झांसे में फंसने की संभावना बढ़ जाती थी.म या फिर Signal या फिर Whatsapp पर होती है. ऐसे में ना ही कॉल हिस्ट्री निकलती है और ना ही एजेंसी को इन नंबरों की कॉल टैप करने पर कुछ सबूत मिलता है.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ISI हमेशा ऐसा सेफ गेम खेलती है, जिससे उसका नापाक काम भी हो जाए और उस पर सवाल भी ना उठे. आज इंटरनेट पर कई ऐसे ऐप और वेबसाइट हैं जो किसी भी देश के कोड का नंबर पैसे देकर दे देती है, लेकिन ISI को हमेशा डर रहता है कि अगर उन्होंने इन ऐप्स या फिर वेबसाइट से ई-सिम ली और अगर भारतीय एजेंसियों द्वारा खरीददार और खरीदने वाले देश का डेटा इन ऐप या वेबसाइट ने भारत को दे दिया तो उसकी पोल खुल जाएगी. इसीलिए सिम कार्ड का रैकेट उच्चायोग में बैठे ISI के पोस्टेड हैंडलर्स चलाते हैं.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, SIM card की modus operandi का चौथा सबसे कारण भारत में पिछले कई सालों से ISI सोशल मीडिया पर misinformation campaign चला रही है, ताकि भारत में गृहयुद्ध भड़के या फिर उसका एजेंडा सफल हो. ऐसे में ये भारतीय सिम कार्ड भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. उदाहरण के लिए भारत में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन #BabriZindaHai Trend X और फेसबुक पर चला था. इस ट्रेंड पर हजारों लोगों ने ट्वीट भी किया था, लेकिन रिवर्स analysis में सामने आया था कि पहला ट्वीट तो पाकिस्तान से हुआ जिसमें हैशटैग introduce हुआ फिर बाकी के 70% ट्वीट भारत के ही IP से दिखा रहे थे और हैशटैग भारत में ट्रेंड कर रहा था, जबकि ये 70% ट्वीट जिन X अकाउंट से किए गए थे उनमें से आधे से भी कई ज्यादा अकाउंट पाकिस्तान के ही थे.
इसमें या तो DP पाकिस्तानी क्रिकेटर या नेता की थी या फिर अकाउंट ट्रेंड से पहले सिर्फ़ पाकिस्तान के विषय में ही उर्दू में ट्वीट करता था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस तरह के misinformation campaign चलाने में भी ये भारतीय नंबर ISI की मदद करते हैं, जिससे वो भारत में misinformation campaign भी फैला देता है और दुनिया को दिखाता है कि भारत में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं और भारत के लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं और हैशटैग ट्रेंड करवा रहे हैं.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ISI misinformation campaign VPN से भी फैला सकती थी. जहां सिर्फ़ भारत की लोकेशन चूज करने से उसका काम हो जाता लेकिन फिर Reverse IP analysis में पकड़ लिया जाता कि misinformation campaign VPN का प्रयोग करके भारत की लोकेशन लगा कर फैलाई गई है. ऐसे में भारतीय सिम का प्रयोग करके उच्चायोग से ही बॉट आर्मी लगा कर पूरी misinformation कैंपेन भारत में भारतीय सिम के सहारे ISI हैंडलर्स चलते थे और हैं.
ISI और आतंक के नेटवर्क के साथ जुड़े तार
आखिरी और सबसे बड़ा इस कार्ड की Modus का तार ISI और आतंक के नेटवर्क के साथ जुड़ता है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक भारतीय सिमों से Whatsapp या टेलीग्राम या फिर सिग्नल या फिर कोई अन्य encrypted app एक्टिवेट करके ISI के हैंडलर और pakistan में बैठे आतंकी कमांडर भारत में बांका करने आए आतंकियों से भी बात करते हैं, जिससे मुठभेड़ में मारे जाने के बाद या फिर पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान से साथ बातचीत का कोई सुराग ना मिले, उन्हें भी एक बड़ी मात्रा में नंबर उच्चायोग वाली Sim Card Modus Operadi से ही मिलते हैं.
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