Happy Independence Day 2025: आजादी के जश्न के वक्त बंगाल में किस मुस्लिम के घर रुके थे महात्मा गांधी, जानें आखिर क्यों?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश की आजादी के महानायक रहे. स्वतंत्रता के लिए उनके योगदान का जितना भी उन्हें श्रेय दिया जाए, कम होगा. हालांकि, भारत को जिस दिन आजादी मिली, उस दिन महात्मा गांधी ने खुद को इसके जश्न और हर तरह के उत्सव से दूर कर लिया था. वो उन दिनों बंगाल के कलकत्ता अब (कोलकाता) में एक मुस्लिम परिवार के यहां रह रहे थे. उस दौर की घटनाओं पर लिखी गई लैरी कॉलिन्स और डोमिनिक लैपियर की किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में जिक्र किया गया है कि जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब गांधी जी बंगाल में हिंदू-मुस्लिम के बीच हुए भयंकर दंगों को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे. कलकत्ता में कहां रह रहे थे गांधी ?महात्मा गांधी उन दिनों बंगाल के कलकत्ता में एक मुस्लिम बहुल इलाके हैदरी मंजिल में रह रहे थे. गांधी जी ने तब बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एस. सुहरावर्दी के साथ मिलकर शांति की अपील की थी. आपको बता दें कि हैदरी मंजिल कलकत्ता के एक बेहद पिछड़े इलाके बेलियाघाट में एक मुसलमान का घर था. यहीं पर गांधी ने अपना बसेरा बनाया था. यह एक बहुत ही जोखिम भरा कदम था. खतरा होने के बावजूद डटे रहे बेलियाघाट स्थित मुसलमान के घर में रहना गांधी के लिए खतरे से खाली नहीं था, इसके बावजूद वो निडर होकर डटे रहे. वो यह संदेश देना चाहते थे कि हर धर्म और समुदाय के साथ खड़े हैं. महात्मा गांधी इस बात से बहुत ज्यादा दुखी थे कि जिस अहिंसा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष में बिताया, उसी की कीमत पर भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने उस दौरान जवाहर लाल नेहरू को लिखे पत्र में कहा था कि मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता, लेकिन मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं. दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं. ये भी पढ़ें India Independence Day: भारत का बंटवारा करने वालों को कैसे मिली मौत? किसी का हुआ कत्ल, कोई....

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश की आजादी के महानायक रहे. स्वतंत्रता के लिए उनके योगदान का जितना भी उन्हें श्रेय दिया जाए, कम होगा. हालांकि, भारत को जिस दिन आजादी मिली, उस दिन महात्मा गांधी ने खुद को इसके जश्न और हर तरह के उत्सव से दूर कर लिया था. वो उन दिनों बंगाल के कलकत्ता अब (कोलकाता) में एक मुस्लिम परिवार के यहां रह रहे थे.
उस दौर की घटनाओं पर लिखी गई लैरी कॉलिन्स और डोमिनिक लैपियर की किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में जिक्र किया गया है कि जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब गांधी जी बंगाल में हिंदू-मुस्लिम के बीच हुए भयंकर दंगों को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे.
कलकत्ता में कहां रह रहे थे गांधी ?
महात्मा गांधी उन दिनों बंगाल के कलकत्ता में एक मुस्लिम बहुल इलाके हैदरी मंजिल में रह रहे थे. गांधी जी ने तब बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एस. सुहरावर्दी के साथ मिलकर शांति की अपील की थी. आपको बता दें कि हैदरी मंजिल कलकत्ता के एक बेहद पिछड़े इलाके बेलियाघाट में एक मुसलमान का घर था. यहीं पर गांधी ने अपना बसेरा बनाया था. यह एक बहुत ही जोखिम भरा कदम था.
खतरा होने के बावजूद डटे रहे
बेलियाघाट स्थित मुसलमान के घर में रहना गांधी के लिए खतरे से खाली नहीं था, इसके बावजूद वो निडर होकर डटे रहे. वो यह संदेश देना चाहते थे कि हर धर्म और समुदाय के साथ खड़े हैं. महात्मा गांधी इस बात से बहुत ज्यादा दुखी थे कि जिस अहिंसा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष में बिताया, उसी की कीमत पर भारत को आजादी मिली.
गांधी जी ने उस दौरान जवाहर लाल नेहरू को लिखे पत्र में कहा था कि मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता, लेकिन मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं. दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं.
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