Gold Price: सोने के दाम में आ सकती है बड़ी गिरावट, सिर्फ इतने में मिलेगा 24 कैरेट सोना
Gold Price: सोने की कीमतों में बीते कुछ दिनों में जोरदार गिरावट देखी गई है. 22 अप्रैल को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोना 99,358 प्रति 10 ग्राम के हाई लेवल पर था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगभग 7 फीसदी की गिरावट आई है. अब हालात ऐसे बन रहे हैं कि कीमतें 50-दिन की मूविंग एवरेज के नीचे बंद हो सकती हैं, जो कि दिसंबर 2023 के बाद पहली बार होगा. यह तकनीकी रूप से एक बड़ा संकेत हो सकता है कि सोने की कीमतों में और गिरावट संभव है. अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण Axis Securities के अनुसार, सोने की मौजूदा चाल को देखकर ऐसा लगता है कि यह एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है. 16 मई से 20 मई के बीच का समय बेहद अहम है क्योंकि इस दौरान कीमतों में बड़ा ट्रेंड रिवर्सल या नई दिशा देखने को मिल सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 3,136 डॉलर का स्तर एक महत्वपूर्ण सपोर्ट माना जा रहा है और अगर कीमतें इस स्तर से नीचे जाती हैं, तो यह गिरावट 2,875 डॉलर से 2,950 डॉलर तक जा सकती है. भारतीय बाजार में इसका असर 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक दिखाई दे सकता है. वैश्विक आर्थिक संकेतों का असर सोने की गिरती कीमतों के पीछे कई वैश्विक कारण भी जिम्मेदार हैं. हाल के दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम होती दिख रही हैं, जिससे निवेशकों की धारणा में बदलाव आया है. इसके साथ ही बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभावों को लेकर आशंकाएं घटने से भी सोना एक सुरक्षित निवेश के रूप में कमजोर हुआ है. सोने में रिटर्न नहीं मिलने और ब्याज दरों के बढ़ने की स्थिति में निवेशक अन्य विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. दबाव में है सोना Augmont की रिपोर्ट के अनुसार, 3200 डॉलर का डबल-टॉप सपोर्ट टूटने के बाद तकनीकी तौर पर सोना और गिर सकता है और इसकी कीमतें 87,000 रुपये से 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक आ सकती हैं. हालांकि, इस गिरावट को लॉन्ग टर्म निवेशक एक मौके के रूप में भी देख सकते हैं. घरेलू बाजार में तकनीकी स्तर Augmont की रिपोर्ट में भारतीय बाजार के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्तर भी बताए गए हैं. इसके मुताबिक, सोने को 92,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर सपोर्ट मिल रहा है, जबकि 94,000 रुपये का स्तर इसके लिए एक तरह का रेजिस्टेंस है. हालांकि यह सीमित रेंज में कारोबार कर रहा है, लेकिन बाजार की धारणा फिलहाल नकारात्मक बनी हुई है और आगे इसमें और गिरावट की संभावना जताई जा रही है. लॉन्ग टर्म नजरिया अब भी मजबूत एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भले ही अभी शॉर्ट टर्म में दबाव बना हुआ हो, लेकिन लॉन्ग टर्म सोने की बुनियादी मजबूती बरकरार है. उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक आर्थिक हालात अपेक्षा से तेज़ी से सुधरते हैं और जोखिम रहित निवेश की आवश्यकता घटती है, तो सोने में एक और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. उन्होंने अनुमान लगाया कि इस स्थिति में सोना 3000 डॉलर से 3050 डॉलर के दायरे में पहुंच सकता है. निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो? मौजूदा माहौल को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहना होगा. जिनका नजरिया शॉर्ट टर्म है, उनके लिए यह समय जोखिम भरा हो सकता है. वहीं लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह गिरावट एक अवसर साबित हो सकती है. विशेषज्ञों की राय है कि निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय संकेतों, फेडरल रिजर्व की नीतियों और तकनीकी स्तरों पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए और किसी भी फैसले को जल्दबाज़ी में नहीं लेना चाहिए. ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन और रूस में अशांति! भारत के पास मौका, तिजोरी में आ सकते हैं अरबों डॉलर

Gold Price: सोने की कीमतों में बीते कुछ दिनों में जोरदार गिरावट देखी गई है. 22 अप्रैल को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोना 99,358 प्रति 10 ग्राम के हाई लेवल पर था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगभग 7 फीसदी की गिरावट आई है. अब हालात ऐसे बन रहे हैं कि कीमतें 50-दिन की मूविंग एवरेज के नीचे बंद हो सकती हैं, जो कि दिसंबर 2023 के बाद पहली बार होगा. यह तकनीकी रूप से एक बड़ा संकेत हो सकता है कि सोने की कीमतों में और गिरावट संभव है.
अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण
Axis Securities के अनुसार, सोने की मौजूदा चाल को देखकर ऐसा लगता है कि यह एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है. 16 मई से 20 मई के बीच का समय बेहद अहम है क्योंकि इस दौरान कीमतों में बड़ा ट्रेंड रिवर्सल या नई दिशा देखने को मिल सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 3,136 डॉलर का स्तर एक महत्वपूर्ण सपोर्ट माना जा रहा है और अगर कीमतें इस स्तर से नीचे जाती हैं, तो यह गिरावट 2,875 डॉलर से 2,950 डॉलर तक जा सकती है. भारतीय बाजार में इसका असर 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक दिखाई दे सकता है.
वैश्विक आर्थिक संकेतों का असर
सोने की गिरती कीमतों के पीछे कई वैश्विक कारण भी जिम्मेदार हैं. हाल के दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम होती दिख रही हैं, जिससे निवेशकों की धारणा में बदलाव आया है. इसके साथ ही बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभावों को लेकर आशंकाएं घटने से भी सोना एक सुरक्षित निवेश के रूप में कमजोर हुआ है. सोने में रिटर्न नहीं मिलने और ब्याज दरों के बढ़ने की स्थिति में निवेशक अन्य विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं.
दबाव में है सोना
Augmont की रिपोर्ट के अनुसार, 3200 डॉलर का डबल-टॉप सपोर्ट टूटने के बाद तकनीकी तौर पर सोना और गिर सकता है और इसकी कीमतें 87,000 रुपये से 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक आ सकती हैं. हालांकि, इस गिरावट को लॉन्ग टर्म निवेशक एक मौके के रूप में भी देख सकते हैं.
घरेलू बाजार में तकनीकी स्तर
Augmont की रिपोर्ट में भारतीय बाजार के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्तर भी बताए गए हैं. इसके मुताबिक, सोने को 92,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर सपोर्ट मिल रहा है, जबकि 94,000 रुपये का स्तर इसके लिए एक तरह का रेजिस्टेंस है. हालांकि यह सीमित रेंज में कारोबार कर रहा है, लेकिन बाजार की धारणा फिलहाल नकारात्मक बनी हुई है और आगे इसमें और गिरावट की संभावना जताई जा रही है.
लॉन्ग टर्म नजरिया अब भी मजबूत
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भले ही अभी शॉर्ट टर्म में दबाव बना हुआ हो, लेकिन लॉन्ग टर्म सोने की बुनियादी मजबूती बरकरार है. उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक आर्थिक हालात अपेक्षा से तेज़ी से सुधरते हैं और जोखिम रहित निवेश की आवश्यकता घटती है, तो सोने में एक और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. उन्होंने अनुमान लगाया कि इस स्थिति में सोना 3000 डॉलर से 3050 डॉलर के दायरे में पहुंच सकता है.
निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो?
मौजूदा माहौल को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहना होगा. जिनका नजरिया शॉर्ट टर्म है, उनके लिए यह समय जोखिम भरा हो सकता है. वहीं लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह गिरावट एक अवसर साबित हो सकती है. विशेषज्ञों की राय है कि निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय संकेतों, फेडरल रिजर्व की नीतियों और तकनीकी स्तरों पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए और किसी भी फैसले को जल्दबाज़ी में नहीं लेना चाहिए.
ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन और रूस में अशांति! भारत के पास मौका, तिजोरी में आ सकते हैं अरबों डॉलर
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