Facebook का खुफिया खेल! ऐसे रखी Snapchat और YouTube पर पैनी नजर, जानें पूरी जानकारी
Facebook: साल 2013 में फेसबुक ने एक इजरायली कंपनी Onavo को करीब 120 मिलियन डॉलर में खरीदा. उस वक्त यह ऐप एक भरोसेमंद VPN के रूप में प्रचारित की गई थी जिसका उद्देश्य यूजर्स की प्राइवेसी की सुरक्षा, डेटा सेविंग और ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित बनाना बताया गया. लेकिन असलियत कुछ और थी. Onavo को अपने फोन में इंस्टॉल करते ही यूजर अनजाने में फेसबुक को अपने मोबाइल की हर गतिविधि पर नजर रखने की पूरी छूट दे देते थे कौन सी ऐप्स ओपन की गईं, कितनी देर इस्तेमाल हुईं, कौन-सी वेबसाइट विज़िट की गई और कब-कब. 3.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यह सोचकर ऐप डाउनलोड की कि वे अपनी प्राइवेसी बचा रहे हैं लेकिन असल में वे फेसबुक को अपने निजी डेटा तक सीधी पहुंच दे रहे थे. डेटा जासूसी के ज़रिए पहचानने लगे थे मुकाबला सार्वजनिक कोर्ट दस्तावेज़ों के रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक ने Onavo का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि कौन-सी ऐप्स तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. Houseparty, Amazon, YouTube और खासतौर पर Snapchat पर फेसबुक की नजर थी. इन ऐप्स की डिटेल्ड यूज़ डेटा को इकट्ठा कर के फेसबुक यह तय करता कि कौन-सी कंपनी आगे चलकर उसे टक्कर दे सकती है. Snapchat बना सबसे बड़ा निशाना 2016 तक Snapchat की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही थी. लेकिन चूंकि उसका ट्रैफिक एन्क्रिप्टेड था, फेसबुक सीधे यह नहीं देख सकता था कि यूजर उसमें क्या कर रहे हैं. इसके जवाब में फेसबुक ने एक सीक्रेट मिशन शुरू किया Project Ghostbusters. इस प्रोजेक्ट के तहत फेसबुक इंजीनियरों ने Onavo के आधार पर एक कस्टम कोड तैयार किया. इसने यूजर के फोन में एक root certificate इंस्टॉल किया. फेसबुक ने फिर Snapchat के सर्वर जैसे दिखने वाले नकली सर्टिफिकेट बनाए ताकि उसके ट्रैफिक को डिक्रिप्ट किया जा सके. इसका मकसद था यूजर की इनसाइड एक्टिविटी को समझना और उसी के आधार पर प्रोडक्ट या बिज़नेस स्ट्रैटेजी बनाना. खरीद नहीं सके Snapchat तो फीचर चुरा लिए जब फेसबुक ने Snapchat को 3 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की और Snap के CEO Evan Spiegel ने मना कर दिया, तो फेसबुक ने बैकफुट पर जाने की बजाय Instagram Stories लॉन्च कर दिया ठीक वैसा फीचर जो Snapchat की पहचान था. ये सिर्फ कॉपी-पेस्ट का मामला नहीं था बल्कि यह दिखाता है कि कैसे फेसबुक डेटा निगरानी का इस्तेमाल कर उभरते खतरे को पहचानता उसे खत्म करता और बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखता. Onavo पर बैन लेकिन फेसबुक तैयार था 2018 में Apple ने डेटा प्राइवेसी नियमों के उल्लंघन के चलते Onavo को App Store से हटा दिया. इसके बाद फेसबुक ने Project Atlas के नाम से Facebook Research ऐप शुरू की. इस बार कंपनी ने यूजर्स (कुछ केवल 13 साल के थे) को महीने के $20 तक का भुगतान कर इस ऐप को इंस्टॉल करवाया जिससे वह फिर से गहराई से यूजर डेटा ट्रैक कर सके. Apple ने जब यह पकड़ा, तो उसने फेसबुक के इंटरप्राइज़ सर्टिफिकेट ही रद्द कर दिए जिससे iOS पर फेसबुक की कई आंतरिक ऐप्स काम करना बंद कर गईं. आखिरकार जांच एजेंसियां हरकत में आईं 2020 में ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ता आयोग (ACCC) ने फेसबुक (अब Meta) पर केस किया, जिसमें कहा गया कि कंपनी ने Onavo के जरिए लोगों को उनके डेटा को लेकर गुमराह किया. 2023 में Meta की सहायक कंपनियों पर कुल 2 करोड़ ऑस्ट्रेलियन डॉलर का जुर्माना लगा यह टेक कंपनियों के खिलाफ दुर्लभ कानूनी कार्रवाई में से एक थी. यह भी पढ़ें: क्या आपने भी डाउनलोड किया ये फर्जी बैंकिंग ऐप? जानें कैसे ठग लगाते हैं चूना और क्या है बचने के उपाय

Facebook: साल 2013 में फेसबुक ने एक इजरायली कंपनी Onavo को करीब 120 मिलियन डॉलर में खरीदा. उस वक्त यह ऐप एक भरोसेमंद VPN के रूप में प्रचारित की गई थी जिसका उद्देश्य यूजर्स की प्राइवेसी की सुरक्षा, डेटा सेविंग और ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित बनाना बताया गया. लेकिन असलियत कुछ और थी. Onavo को अपने फोन में इंस्टॉल करते ही यूजर अनजाने में फेसबुक को अपने मोबाइल की हर गतिविधि पर नजर रखने की पूरी छूट दे देते थे कौन सी ऐप्स ओपन की गईं, कितनी देर इस्तेमाल हुईं, कौन-सी वेबसाइट विज़िट की गई और कब-कब. 3.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यह सोचकर ऐप डाउनलोड की कि वे अपनी प्राइवेसी बचा रहे हैं लेकिन असल में वे फेसबुक को अपने निजी डेटा तक सीधी पहुंच दे रहे थे.
डेटा जासूसी के ज़रिए पहचानने लगे थे मुकाबला
सार्वजनिक कोर्ट दस्तावेज़ों के रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक ने Onavo का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि कौन-सी ऐप्स तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. Houseparty, Amazon, YouTube और खासतौर पर Snapchat पर फेसबुक की नजर थी. इन ऐप्स की डिटेल्ड यूज़ डेटा को इकट्ठा कर के फेसबुक यह तय करता कि कौन-सी कंपनी आगे चलकर उसे टक्कर दे सकती है.
Snapchat बना सबसे बड़ा निशाना
2016 तक Snapchat की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही थी. लेकिन चूंकि उसका ट्रैफिक एन्क्रिप्टेड था, फेसबुक सीधे यह नहीं देख सकता था कि यूजर उसमें क्या कर रहे हैं. इसके जवाब में फेसबुक ने एक सीक्रेट मिशन शुरू किया Project Ghostbusters.
इस प्रोजेक्ट के तहत फेसबुक इंजीनियरों ने Onavo के आधार पर एक कस्टम कोड तैयार किया. इसने यूजर के फोन में एक root certificate इंस्टॉल किया. फेसबुक ने फिर Snapchat के सर्वर जैसे दिखने वाले नकली सर्टिफिकेट बनाए ताकि उसके ट्रैफिक को डिक्रिप्ट किया जा सके. इसका मकसद था यूजर की इनसाइड एक्टिविटी को समझना और उसी के आधार पर प्रोडक्ट या बिज़नेस स्ट्रैटेजी बनाना.
खरीद नहीं सके Snapchat तो फीचर चुरा लिए
जब फेसबुक ने Snapchat को 3 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की और Snap के CEO Evan Spiegel ने मना कर दिया, तो फेसबुक ने बैकफुट पर जाने की बजाय Instagram Stories लॉन्च कर दिया ठीक वैसा फीचर जो Snapchat की पहचान था.
ये सिर्फ कॉपी-पेस्ट का मामला नहीं था बल्कि यह दिखाता है कि कैसे फेसबुक डेटा निगरानी का इस्तेमाल कर उभरते खतरे को पहचानता उसे खत्म करता और बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखता.
Onavo पर बैन लेकिन फेसबुक तैयार था
2018 में Apple ने डेटा प्राइवेसी नियमों के उल्लंघन के चलते Onavo को App Store से हटा दिया. इसके बाद फेसबुक ने Project Atlas के नाम से Facebook Research ऐप शुरू की. इस बार कंपनी ने यूजर्स (कुछ केवल 13 साल के थे) को महीने के $20 तक का भुगतान कर इस ऐप को इंस्टॉल करवाया जिससे वह फिर से गहराई से यूजर डेटा ट्रैक कर सके. Apple ने जब यह पकड़ा, तो उसने फेसबुक के इंटरप्राइज़ सर्टिफिकेट ही रद्द कर दिए जिससे iOS पर फेसबुक की कई आंतरिक ऐप्स काम करना बंद कर गईं.
आखिरकार जांच एजेंसियां हरकत में आईं
2020 में ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ता आयोग (ACCC) ने फेसबुक (अब Meta) पर केस किया, जिसमें कहा गया कि कंपनी ने Onavo के जरिए लोगों को उनके डेटा को लेकर गुमराह किया. 2023 में Meta की सहायक कंपनियों पर कुल 2 करोड़ ऑस्ट्रेलियन डॉलर का जुर्माना लगा यह टेक कंपनियों के खिलाफ दुर्लभ कानूनी कार्रवाई में से एक थी.
यह भी पढ़ें:
क्या आपने भी डाउनलोड किया ये फर्जी बैंकिंग ऐप? जानें कैसे ठग लगाते हैं चूना और क्या है बचने के उपाय
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