दुनिया युद्ध में उलझी रही, उधर चीन ने बना लिया ये खतरनाक तकनीकी हथियार, पड़ोसी देशों की बढ़ेगी चिंता
जब दुनिया के बड़े देश एक-दूसरे से जंग और राजनीति में उलझे हुए हैं, उस बीच चीन ने चुपचाप एक ऐसा घातक हथियार बना लिया है, जो आने वाले समय में युद्ध का पूरा तरीका बदल सकता है. चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई "कॉइल गन" (Coilgun) तकनीक तैयार की है, जो न सिर्फ बेहद तेज़ है, बल्कि इतनी खामोशी से चलती है कि दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा कि हमला कहां से हुआ. क्या है कॉइल गन और क्यों है खतरनाक? कॉइल गन एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बंदूक है जो पारंपरिक बारूद के बजाय बिजली की ताकत से गोले दागती है. अब तक ऐसी बंदूकें काफी धीमी होती थीं क्योंकि उन्हें फायरिंग से पहले कैपेसिटर चार्ज करना पड़ता था. लेकिन चीन ने इस तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है. चीनी वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसी कॉइल गन बनाई है जो कैपेसिटर के बिना सीधे लिथियम बैटरी से चलती है. इससे इसकी फायरिंग स्पीड कई गुना बढ़ गई है. एक मिनट में 3,000 राउंड फायर इस हथियार की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह एक मिनट में 3,000 गोलियां चला सकता है, जो कि मशहूर AK-47 से 5 गुना ज़्यादा तेज है. ये हथियार बिना आवाज और बिना चमक के काम करता है, जिससे यह गुप्त ऑपरेशनों और दंगा नियंत्रण दोनों के लिए बेहद कारगर बनता है. कैसी है इसकी बनावट? इस कॉइल गन में 20 इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉइल स्टेज हैं, जो एक कॉम्पैक्ट डिज़ाइन में लगे हैं. डिजाइन P90 सबमशीन गन से प्रेरित है. इसमें खास सेंसर और पावर चिप्स लगे हैं जो प्रोजेक्टाइल को बेहद तेज़ी से आगे बढ़ाते हैं. बैटरी गर्म न हो, इसके लिए खास हीट कंट्रोल सिस्टम भी लगाया गया है. क्यों बढ़ेगी पड़ोसी देशों की चिंता? चीन का यह हथियार फिलहाल एक प्रयोगात्मक मॉडल है, लेकिन इसकी क्षमता को देखते हुए साफ है कि अगर यह हथियार सेना में शामिल हुआ, तो भारत, जापान और ताइवान जैसे पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ सकती है. जहां दुनिया अभी भी पारंपरिक हथियारों और जंगी जहाज़ों में उलझी है, चीन ने तकनीकी जंग में एक कदम आगे बढ़ा दिया है. बिना बारूद के, बिना आवाज के और इतनी तेज़ स्पीड में गोली चलाने वाला हथियार आधुनिक युद्ध की दिशा को बदल सकता है. फिलहाल कुछ कमजोरियां भी हालांकि, इस हथियार में कुछ चुनौतियाँ भी हैं इसकी सटीकता अभी कम है और बैटरी चार्ज होने में करीब 1 घंटा लगता है. लेकिन चीन जिस तेज़ी से बैटरी तकनीक और चिप डिजाइन में आगे बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब ये हथियार पूरी तरह तैयार होकर मैदान में उतर सकेगा.

जब दुनिया के बड़े देश एक-दूसरे से जंग और राजनीति में उलझे हुए हैं, उस बीच चीन ने चुपचाप एक ऐसा घातक हथियार बना लिया है, जो आने वाले समय में युद्ध का पूरा तरीका बदल सकता है. चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई "कॉइल गन" (Coilgun) तकनीक तैयार की है, जो न सिर्फ बेहद तेज़ है, बल्कि इतनी खामोशी से चलती है कि दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा कि हमला कहां से हुआ.
क्या है कॉइल गन और क्यों है खतरनाक?
कॉइल गन एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बंदूक है जो पारंपरिक बारूद के बजाय बिजली की ताकत से गोले दागती है. अब तक ऐसी बंदूकें काफी धीमी होती थीं क्योंकि उन्हें फायरिंग से पहले कैपेसिटर चार्ज करना पड़ता था. लेकिन चीन ने इस तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है.
चीनी वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसी कॉइल गन बनाई है जो कैपेसिटर के बिना सीधे लिथियम बैटरी से चलती है. इससे इसकी फायरिंग स्पीड कई गुना बढ़ गई है.
एक मिनट में 3,000 राउंड फायर
इस हथियार की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह एक मिनट में 3,000 गोलियां चला सकता है, जो कि मशहूर AK-47 से 5 गुना ज़्यादा तेज है. ये हथियार बिना आवाज और बिना चमक के काम करता है, जिससे यह गुप्त ऑपरेशनों और दंगा नियंत्रण दोनों के लिए बेहद कारगर बनता है.
कैसी है इसकी बनावट?
- इस कॉइल गन में 20 इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉइल स्टेज हैं, जो एक कॉम्पैक्ट डिज़ाइन में लगे हैं.
- डिजाइन P90 सबमशीन गन से प्रेरित है.
- इसमें खास सेंसर और पावर चिप्स लगे हैं जो प्रोजेक्टाइल को बेहद तेज़ी से आगे बढ़ाते हैं.
- बैटरी गर्म न हो, इसके लिए खास हीट कंट्रोल सिस्टम भी लगाया गया है.
क्यों बढ़ेगी पड़ोसी देशों की चिंता?
चीन का यह हथियार फिलहाल एक प्रयोगात्मक मॉडल है, लेकिन इसकी क्षमता को देखते हुए साफ है कि अगर यह हथियार सेना में शामिल हुआ, तो भारत, जापान और ताइवान जैसे पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ सकती है.
जहां दुनिया अभी भी पारंपरिक हथियारों और जंगी जहाज़ों में उलझी है, चीन ने तकनीकी जंग में एक कदम आगे बढ़ा दिया है. बिना बारूद के, बिना आवाज के और इतनी तेज़ स्पीड में गोली चलाने वाला हथियार आधुनिक युद्ध की दिशा को बदल सकता है.
फिलहाल कुछ कमजोरियां भी
हालांकि, इस हथियार में कुछ चुनौतियाँ भी हैं इसकी सटीकता अभी कम है और बैटरी चार्ज होने में करीब 1 घंटा लगता है. लेकिन चीन जिस तेज़ी से बैटरी तकनीक और चिप डिजाइन में आगे बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब ये हथियार पूरी तरह तैयार होकर मैदान में उतर सकेगा.
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