CBSE का मातृभाषा मंत्र- अब हिंदी और लोकल लेंग्वेज में होगी कक्षा 2 तक की पढ़ाई, यहां जानिए

अब तक देश के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में जो तस्वीर देखने को मिलती रही है, वो कुछ ऐसी रही कि क्लासरूम में अंग्रेजी बोलने पर जोर, मातृभाषा बोलने पर टोका-टाकी और हिंदी बोलने पर हिचकिचाहट. मगर अब ये रुख बदलने वाला है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों को एक बड़ा निर्देश जारी किया है, जिसमें सभी संबद्ध स्कूलों को कहा गया है कि वे अपने छात्रों की मातृभाषा की पहचान करें और जल्द से जल्द करें. इस नई गाइडलाइन के जरिए CBSE ने साफ कर दिया है कि मातृभाषा सिर्फ घर की दीवारों तक सीमित न रहे, बल्कि स्कूल की दीवारों में भी उसकी गूंज होनी चाहिए. बोर्ड का मानना है कि बच्चों का संपूर्ण विकास तभी संभव है जब उन्हें उस भाषा में सोचने और समझने का अवसर मिले जिसमें उनका दिल और दिमाग सहज हो. CBSE ने भाषा को लेकर जारी की नई गाईडलाइन! गौरतलब है कि इस समय देशभर के सीबीएसई स्कूलों में विशेष रूप से प्राइमरी कक्षाओं में अंग्रेजी को ही मुख्य शिक्षण भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि कई छोटे बच्चों को शुरुआत में ही भाषाई बोझ का सामना करना पड़ता है. CBSE का यह नया फैसला न सिर्फ बच्चों की जड़ों को मजबूत करेगा, बल्कि देश की भाषाई विविधता को भी शिक्षा व्यवस्था में आदर और जगह देगा. CBSE की नई गाइडलाइन के मुताबिक, स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई को अब ‘मूलभूत चरण’ यानी फाउंडेशनल स्टेज माना जाएगा. ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत लाया गया है. इस स्टेज में छात्रों को जिस भाषा के जरिए पढ़ाया जाएगा, वो उनकी घरेलू भाषा, मातृभाषा या कोई ऐसी क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए जो उन्हें पहले से समझ में आती हो. यह भी पढ़ें: NEET PG 2025 के फॉर्म में सुधार का आखिरी मौका, सही करें गलती वरना छूट सकती है परीक्षा! जल्द बना लें एनसीएफ कार्यान्वयन समिति, स्कूलों को निर्देश CBSE ने इस पढ़ाई की भाषा को ‘R1’ नाम दिया है और इसे आदर्श रूप से बच्चों की मातृभाषा के रूप में अपनाने की बात कही है. इसका मतलब साफ है कि शुरुआती कक्षाओं में पढ़ाई ऐसी भाषा में होनी चाहिए, जो बच्चे के दिल-दिमाग से जुड़ी हो, जिसे वो महसूस कर सके और जिसमें वो खुद को आसानी से अभिव्यक्त कर सके. सीबीएसई ने अपने सर्कुलर में सभी स्कूलों को कहा है कि मई के आखिर तक वे एक ‘एनसीएफ कार्यान्वयन समिति’ बना ले. ये समिति छात्रों की मातृभाषाओं, भाषा संसाधनों को मैप करेगी. वहीं, स्कूलों को भी जल्द से जल्द लैंग्वेज मैपिंग एक्सरसाइज पूरा करने के लिए कहा गया है. यह भी पढ़ें: LOC पर सबसे आगे रहती है ये फोर्स, DG को मिलती है हैरान कर देने वाली सैलरी

May 25, 2025 - 13:30
 0
CBSE का मातृभाषा मंत्र- अब हिंदी और लोकल लेंग्वेज में होगी कक्षा 2 तक की पढ़ाई, यहां जानिए

अब तक देश के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में जो तस्वीर देखने को मिलती रही है, वो कुछ ऐसी रही कि क्लासरूम में अंग्रेजी बोलने पर जोर, मातृभाषा बोलने पर टोका-टाकी और हिंदी बोलने पर हिचकिचाहट. मगर अब ये रुख बदलने वाला है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों को एक बड़ा निर्देश जारी किया है, जिसमें सभी संबद्ध स्कूलों को कहा गया है कि वे अपने छात्रों की मातृभाषा की पहचान करें और जल्द से जल्द करें. इस नई गाइडलाइन के जरिए CBSE ने साफ कर दिया है कि मातृभाषा सिर्फ घर की दीवारों तक सीमित न रहे, बल्कि स्कूल की दीवारों में भी उसकी गूंज होनी चाहिए. बोर्ड का मानना है कि बच्चों का संपूर्ण विकास तभी संभव है जब उन्हें उस भाषा में सोचने और समझने का अवसर मिले जिसमें उनका दिल और दिमाग सहज हो.

CBSE ने भाषा को लेकर जारी की नई गाईडलाइन!

गौरतलब है कि इस समय देशभर के सीबीएसई स्कूलों में विशेष रूप से प्राइमरी कक्षाओं में अंग्रेजी को ही मुख्य शिक्षण भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि कई छोटे बच्चों को शुरुआत में ही भाषाई बोझ का सामना करना पड़ता है. CBSE का यह नया फैसला न सिर्फ बच्चों की जड़ों को मजबूत करेगा, बल्कि देश की भाषाई विविधता को भी शिक्षा व्यवस्था में आदर और जगह देगा.

CBSE की नई गाइडलाइन के मुताबिक, स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई को अब ‘मूलभूत चरण’ यानी फाउंडेशनल स्टेज माना जाएगा. ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत लाया गया है. इस स्टेज में छात्रों को जिस भाषा के जरिए पढ़ाया जाएगा, वो उनकी घरेलू भाषा, मातृभाषा या कोई ऐसी क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए जो उन्हें पहले से समझ में आती हो.

यह भी पढ़ें: NEET PG 2025 के फॉर्म में सुधार का आखिरी मौका, सही करें गलती वरना छूट सकती है परीक्षा!

जल्द बना लें एनसीएफ कार्यान्वयन समिति, स्कूलों को निर्देश

CBSE ने इस पढ़ाई की भाषा को ‘R1’ नाम दिया है और इसे आदर्श रूप से बच्चों की मातृभाषा के रूप में अपनाने की बात कही है. इसका मतलब साफ है कि शुरुआती कक्षाओं में पढ़ाई ऐसी भाषा में होनी चाहिए, जो बच्चे के दिल-दिमाग से जुड़ी हो, जिसे वो महसूस कर सके और जिसमें वो खुद को आसानी से अभिव्यक्त कर सके. सीबीएसई ने अपने सर्कुलर में सभी स्कूलों को कहा है कि मई के आखिर तक वे एक ‘एनसीएफ कार्यान्वयन समिति’ बना ले. ये समिति छात्रों की मातृभाषाओं, भाषा संसाधनों को मैप करेगी. वहीं, स्कूलों को भी जल्द से जल्द लैंग्वेज मैपिंग एक्सरसाइज पूरा करने के लिए कहा गया है.

यह भी पढ़ें: LOC पर सबसे आगे रहती है ये फोर्स, DG को मिलती है हैरान कर देने वाली सैलरी

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow