iPhone अमेरिका में क्यों नहीं बनता? जानें भारत या चीन में उत्पादन के पीछे की पूरी कहानी

Apple iPhone: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Apple को सख्त संदेश देते हुए कहा कि iPhone अब अमेरिका में ही बनना चाहिए, न कि भारत या किसी और देश में. यदि Apple ऐसा नहीं करता, तो उसे iPhones पर 25% अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा. ट्रंप का उद्देश्य साफ है – अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती देना और Apple जैसी दिग्गज कंपनी को इस मुहिम का केंद्र बनाना. iPhone अमेरिका में क्यों नहीं बनता? Apple एक अमेरिकी कंपनी जरूर है, लेकिन आज तक iPhone का निर्माण अमेरिका में नहीं हुआ. 1980 के दशक में थोड़े समय के लिए Mac कंप्यूटर्स वहां बने थे, लेकिन iPhone का पूरा उत्पादन एशिया में होता रहा है, पहले चीन और अब भारत जैसे देशों में. “Designed in California” टैग जरूर इसका अमेरिकी जुड़ाव दिखाता है, लेकिन असल में इसके पुर्जे तक अमेरिका में नहीं बनते. सबसे बड़ा कारण Apple के CEO टिम कुक का मानना है कि चीन का निर्माण तंत्र पूरी दुनिया से बेहतर है. अमेरिका में उत्पादन करना बहुत महंगा है, वहां श्रमिक कानून कड़े हैं मजदूरी ज्यादा है और उत्पादन ढांचे को खड़ा करना बेहद खर्चीला है. Counterpoint Research के निदेशक तरुण पाठक के मुताबिक, अगर iPhone अमेरिका में बने तो इसकी कीमत $100 से $200 तक बढ़ सकती है जिससे दुनियाभर के ग्राहक, खासकर भारत जैसे संवेदनशील बाजारों के लोग, इससे दूर हो सकते हैं. चीन और भारत क्यों हैं बेहतर विकल्प? चीन और अब भारत ने Apple को ऐसा इकोसिस्टम दिया है, जहां न सिर्फ पुर्जे आसानी से उपलब्ध हैं बल्कि प्रशिक्षित श्रमिक, आधुनिक मशीनें और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी तैयार हैं. Foxconn जैसी कंपनियों ने चीन में iPhone असेंबल करने की मजबूत व्यवस्था बनाई है और अब वही मॉडल भारत में अपनाया जा रहा है. चीन पर निर्भरता कम करने के लिए Apple ने भारत में Pegatron और Tata जैसी कंपनियों के साथ मिलकर उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है, जिसमें PLI (Production-Linked Incentive) योजना की भी बड़ी भूमिका रही है. भारत में iPhone निर्माण का विस्तार Make in India अभियान और सरकारी सहयोग की वजह से Apple ने भारत को चीन के विकल्प के रूप में चुना. आज iPhone उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत के राज्यों, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हो रहा है. खुद टिम कुक ने बताया है कि साल 2027 तक भारत में बने iPhones अमेरिका में बेचे जाएंगे. अप्रैल में टैक्स लागू होने से पहले ही Apple ने भारत से 5 कार्गो प्लेन भरकर iPhones अमेरिका भेजे, ताकि कीमतें ना बढ़ें. क्या अमेरिका में iPhone बन सकता है? सैद्धांतिक तौर पर जवाब ‘हां’ है, लेकिन व्यावहारिक रूप से ये बेहद चुनौतीपूर्ण है. अमेरिका में कुछ पुर्जे जरूर बनते हैं जैसे कि Corning का ग्लास या Broadcom के चिप्स लेकिन iPhone का पूरा निर्माण वहां संभव नहीं है जब तक कि अमेरिका सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन और कंपोनेंट निर्माण में बड़े स्तर पर निवेश न करे. Apple भले ही अमेरिका में $500 अरब निवेश की योजना बना रहा हो लेकिन एशियाई सप्लाई चेन को उखाड़कर अमेरिका में बसाना आसान नहीं है. यह भी पढ़ें: आ गई रैंकिंग, इस मामले में भारत को झटका, 10 नंबर पर इंडिया, जानें पाकिस्तान कौन से स्थान पर

May 25, 2025 - 12:30
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iPhone अमेरिका में क्यों नहीं बनता? जानें भारत या चीन में उत्पादन के पीछे की पूरी कहानी

Apple iPhone: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Apple को सख्त संदेश देते हुए कहा कि iPhone अब अमेरिका में ही बनना चाहिए, न कि भारत या किसी और देश में. यदि Apple ऐसा नहीं करता, तो उसे iPhones पर 25% अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा. ट्रंप का उद्देश्य साफ है – अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती देना और Apple जैसी दिग्गज कंपनी को इस मुहिम का केंद्र बनाना.

iPhone अमेरिका में क्यों नहीं बनता?

Apple एक अमेरिकी कंपनी जरूर है, लेकिन आज तक iPhone का निर्माण अमेरिका में नहीं हुआ. 1980 के दशक में थोड़े समय के लिए Mac कंप्यूटर्स वहां बने थे, लेकिन iPhone का पूरा उत्पादन एशिया में होता रहा है, पहले चीन और अब भारत जैसे देशों में. “Designed in California” टैग जरूर इसका अमेरिकी जुड़ाव दिखाता है, लेकिन असल में इसके पुर्जे तक अमेरिका में नहीं बनते.

सबसे बड़ा कारण

Apple के CEO टिम कुक का मानना है कि चीन का निर्माण तंत्र पूरी दुनिया से बेहतर है. अमेरिका में उत्पादन करना बहुत महंगा है, वहां श्रमिक कानून कड़े हैं मजदूरी ज्यादा है और उत्पादन ढांचे को खड़ा करना बेहद खर्चीला है. Counterpoint Research के निदेशक तरुण पाठक के मुताबिक, अगर iPhone अमेरिका में बने तो इसकी कीमत $100 से $200 तक बढ़ सकती है जिससे दुनियाभर के ग्राहक, खासकर भारत जैसे संवेदनशील बाजारों के लोग, इससे दूर हो सकते हैं.

चीन और भारत क्यों हैं बेहतर विकल्प?

चीन और अब भारत ने Apple को ऐसा इकोसिस्टम दिया है, जहां न सिर्फ पुर्जे आसानी से उपलब्ध हैं बल्कि प्रशिक्षित श्रमिक, आधुनिक मशीनें और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी तैयार हैं. Foxconn जैसी कंपनियों ने चीन में iPhone असेंबल करने की मजबूत व्यवस्था बनाई है और अब वही मॉडल भारत में अपनाया जा रहा है. चीन पर निर्भरता कम करने के लिए Apple ने भारत में Pegatron और Tata जैसी कंपनियों के साथ मिलकर उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है, जिसमें PLI (Production-Linked Incentive) योजना की भी बड़ी भूमिका रही है.

भारत में iPhone निर्माण का विस्तार

Make in India अभियान और सरकारी सहयोग की वजह से Apple ने भारत को चीन के विकल्प के रूप में चुना. आज iPhone उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत के राज्यों, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हो रहा है. खुद टिम कुक ने बताया है कि साल 2027 तक भारत में बने iPhones अमेरिका में बेचे जाएंगे. अप्रैल में टैक्स लागू होने से पहले ही Apple ने भारत से 5 कार्गो प्लेन भरकर iPhones अमेरिका भेजे, ताकि कीमतें ना बढ़ें.

क्या अमेरिका में iPhone बन सकता है?

सैद्धांतिक तौर पर जवाब ‘हां’ है, लेकिन व्यावहारिक रूप से ये बेहद चुनौतीपूर्ण है. अमेरिका में कुछ पुर्जे जरूर बनते हैं जैसे कि Corning का ग्लास या Broadcom के चिप्स लेकिन iPhone का पूरा निर्माण वहां संभव नहीं है जब तक कि अमेरिका सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन और कंपोनेंट निर्माण में बड़े स्तर पर निवेश न करे. Apple भले ही अमेरिका में $500 अरब निवेश की योजना बना रहा हो लेकिन एशियाई सप्लाई चेन को उखाड़कर अमेरिका में बसाना आसान नहीं है.

यह भी पढ़ें:

आ गई रैंकिंग, इस मामले में भारत को झटका, 10 नंबर पर इंडिया, जानें पाकिस्तान कौन से स्थान पर

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