Bachelor of Law: लॉ ग्रैजुएट सीधे नहीं दे सकेंगे सिविल जज की परीक्षा, 3 साल की कानूनी प्रैक्टिस जरूरी: सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court on Law Student: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि युवा बैचलर ऑफ लॉ होते ही न्यायिक सेवा परीक्षा यानी ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में शामिल नहीं हो सकते हैं और प्रवेश स्तर के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल वकालत करना अनिवार्य है. इस फैसले का न्यायिक सेवा के अभ्यर्थियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य प्रधान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भावी जस्टिसों के लिए कोर्ट के अनुभव के महत्व को दोहराया. प्रधान जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘नए बैचलर ऑफ लॉ की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं, जैसा कि कई हाई कोर्ट ने कहा है. न्यायिक दक्षता और क्षमता सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट में व्यावहारिक अनुभव आवश्यक है.’’ पीठ ने कहा कि निम्न श्रेणी कैडर के प्रवेश स्तर के सिविल जस्टिस पदों के लिए न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के वास्ते न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य है. अभी विस्तृत फैसले का इंतजार है यह फैसला अखिल भारतीय जस्टिस संघ ने दायर याचिका पर आया. प्रधान जस्टिस ने कहा कि नए बैचलर ऑफ लॉ को न्यायपालिका में सीधे प्रवेश की अनुमति देने से व्यावहारिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, जैसा कि विभिन्न हाई कोर्ट ने प्रस्तुत रिपोर्टों में परिलक्षित होता है. विस्तृत फैसले का इंतजार है. यह भी पढ़ें - राहुल गांधी को BJP नेता ने बताया 'मीर जाफर', कहा- 'मिलेगा निशान-ए-पाकिस्तान'

Supreme Court on Law Student: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि युवा बैचलर ऑफ लॉ होते ही न्यायिक सेवा परीक्षा यानी ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में शामिल नहीं हो सकते हैं और प्रवेश स्तर के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल वकालत करना अनिवार्य है. इस फैसले का न्यायिक सेवा के अभ्यर्थियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.
न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य
प्रधान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भावी जस्टिसों के लिए कोर्ट के अनुभव के महत्व को दोहराया. प्रधान जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘नए बैचलर ऑफ लॉ की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं, जैसा कि कई हाई कोर्ट ने कहा है. न्यायिक दक्षता और क्षमता सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट में व्यावहारिक अनुभव आवश्यक है.’’ पीठ ने कहा कि निम्न श्रेणी कैडर के प्रवेश स्तर के सिविल जस्टिस पदों के लिए न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के वास्ते न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य है.
अभी विस्तृत फैसले का इंतजार है
यह फैसला अखिल भारतीय जस्टिस संघ ने दायर याचिका पर आया. प्रधान जस्टिस ने कहा कि नए बैचलर ऑफ लॉ को न्यायपालिका में सीधे प्रवेश की अनुमति देने से व्यावहारिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, जैसा कि विभिन्न हाई कोर्ट ने प्रस्तुत रिपोर्टों में परिलक्षित होता है. विस्तृत फैसले का इंतजार है.
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