Arafah 2025: अरफा क्या है, इस्लाम में क्या है महत्व और हज से क्या है कनेक्शन

Arafah 2025: अरफा इस्लामिक कैलेंडर धुल-हिज्जा के 9वें दिन पड़ता है, जोकि इस 5 जून 2025 को है. अरफा ईद उल-अजहा यानी बकरीद से एक दिन पहले होता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार अरफा के दिन ही अल्लाह (SWT) ने अपने धर्म को पूरा किया, पैगंबर मुहम्मद पर अपने उपकारों को पूरा किया और इस्लामिक जीवन को एक बेहतर रूप में स्वीकार किया गया. इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के सूरा अल-माइदा में भी अरफा के दिन का जिक्र मिलता है. हदीस में अरफा के दिन को लेकर कहा गया है कि- अल्लाह तआला लोगों को आग से सबसे ज्यादा आजाद करने का दिन है, अरफा का दिन. वह उन लोगों के करीब आता है, फिर अपने फरिश्तों के सामने नाजिल करता है कि ये लोग क्या चाहते हैं? अरफा के दिन मुसलमान क्या करते हैं? अरफा का दिन अल्लाह से आशीर्वाद पाने के लिए श्रेष्ठ होता है. मुसलमान इस दिन विभिन्न रूप से अल्लाह की इबादत करते हैं और अच्छे कर्मों के जरिए सवाब हासिल करते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह ऐसा दिन है जब पैगंबर मोहम्मद ने अपने विदाई का उपदेश दिया था. यह दिन हज यात्रा से भी जुड़ा है, जहां अराफात के मैदानों पर खड़े होना हज संस्कारों का शिकार माना जाता है. इस दिन मुसलमान इबादत और दुआ में शामिल होते हैं, व्यक्तिगत पापों पर चिंतन कर अल्लाह से क्षमा मांगते हैं, कुरान का पाठ करते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ते हैं, इस्लामिक ज्ञान को प्राप्त करने के लिए धार्मिक उपदेश सुनते हैं, जो लोग हज पर नहीं जा पाते उनके लिए काबा के चारों ओर नफ्ल तवाफ और सई करना भी अरफा के दिन किए जाने वाले कामों में सबसे सराहनीय कार्य माना जाता है. अरफा के दिन की दुआ (Arafah Dua) ला इलाहा इल-अल्लाहु, वदहु ला शारिका लाह, लाहुल-मुल्कू वा लाहुल-हम्दु, वा हुवा अला कुल्ली शायिन कादिर। अर्थ: अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं. हुकूमत और तारीफ उसी के लिए है और वह हर चीज़ पर हुकूमत करने वाला है. ये भी पढ़ें: Eid al-Adha 2025: जून में मुसलमान कब मनाएंगे ईद उल अजहा, नोट कर लें बकरीद की तारीख Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jun 2, 2025 - 16:30
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Arafah 2025: अरफा क्या है, इस्लाम में क्या है महत्व और हज से क्या है कनेक्शन

Arafah 2025: अरफा इस्लामिक कैलेंडर धुल-हिज्जा के 9वें दिन पड़ता है, जोकि इस 5 जून 2025 को है. अरफा ईद उल-अजहा यानी बकरीद से एक दिन पहले होता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार अरफा के दिन ही अल्लाह (SWT) ने अपने धर्म को पूरा किया, पैगंबर मुहम्मद पर अपने उपकारों को पूरा किया और इस्लामिक जीवन को एक बेहतर रूप में स्वीकार किया गया. इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के सूरा अल-माइदा में भी अरफा के दिन का जिक्र मिलता है.

हदीस में अरफा के दिन को लेकर कहा गया है कि- अल्लाह तआला लोगों को आग से सबसे ज्यादा आजाद करने का दिन है, अरफा का दिन. वह उन लोगों के करीब आता है, फिर अपने फरिश्तों के सामने नाजिल करता है कि ये लोग क्या चाहते हैं?

अरफा के दिन मुसलमान क्या करते हैं?

अरफा का दिन अल्लाह से आशीर्वाद पाने के लिए श्रेष्ठ होता है. मुसलमान इस दिन विभिन्न रूप से अल्लाह की इबादत करते हैं और अच्छे कर्मों के जरिए सवाब हासिल करते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह ऐसा दिन है जब पैगंबर मोहम्मद ने अपने विदाई का उपदेश दिया था. यह दिन हज यात्रा से भी जुड़ा है, जहां अराफात के मैदानों पर खड़े होना हज संस्कारों का शिकार माना जाता है.

इस दिन मुसलमान इबादत और दुआ में शामिल होते हैं, व्यक्तिगत पापों पर चिंतन कर अल्लाह से क्षमा मांगते हैं, कुरान का पाठ करते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ते हैं, इस्लामिक ज्ञान को प्राप्त करने के लिए धार्मिक उपदेश सुनते हैं, जो लोग हज पर नहीं जा पाते उनके लिए काबा के चारों ओर नफ्ल तवाफ और सई करना भी अरफा के दिन किए जाने वाले कामों में सबसे सराहनीय कार्य माना जाता है.

अरफा के दिन की दुआ (Arafah Dua)

ला इलाहा इल-अल्लाहु, वदहु ला शारिका लाह, लाहुल-मुल्कू वा लाहुल-हम्दु, वा हुवा अला कुल्ली शायिन कादिर।

अर्थ: अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं. हुकूमत और तारीफ उसी के लिए है और वह हर चीज़ पर हुकूमत करने वाला है.

ये भी पढ़ें: Eid al-Adha 2025: जून में मुसलमान कब मनाएंगे ईद उल अजहा, नोट कर लें बकरीद की तारीख

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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