हॉस्पिटल में देने वाले इंजेक्शन की शुरुआत कैसे हुई थी, जानिए इसका पूरा इतिहास और कितने का है कारोबार?
History of Injection: हम सभी ने कभी न कभी अस्पताल में इंजेक्शन तो जरूर लगवाया है. चाहे वह बुखार के इलाज के लिए हो, किसी गंभीर बीमारी के लिए, या टीकाकरण के दौरान, इंजेक्शन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस सिरिंज से दवा आपके शरीर में डाली जाती है, उसकी खोज कैसे हुई थी? क्या आप जानते हैं कि कभी सिरिंज जानवर के पेशाब से बनाई जाती थी और आज वही सिरिंज का कारोबार अरबों रुपये का हो चुका है। सिरिंज क्या होता है? सिरिंज एक मेडिकल उपकरण होता है जो किसी दवा या तरल को शरीर में इंजेक्ट करने या निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसमें एक बेलनाकार ट्यूब और एक प्लंजर होता है, जो दवा को खींचने और छोड़ने का काम करता है. जब इस ट्यूब के साथ एक सुई जोड़ दी जाती है, तो यह इंजेक्शन का रूप ले लेता है. ये भी पढ़े- इस खतरनाक बीमारी की दवा लिवर को रखती है हेल्दी, नई रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला सच कैसे हुई शुरुआत? सिरिंज का इतिहास 5वीं सदी में शुरू हुआ.सन् 1656 में ब्रिटेन के फिजिसिस्ट क्रिस्टोफर रेन ने सबसे पहले जानवरों की नसों में ड्रग्स डालने के लिए सिरिंज जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया था. उस समय सिरिंज का निर्माण जानवरों के पेशाब के थैले और हड्डी की ट्यूब से किया गया था. धीरे-धीरे वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों पर इस्तेमाल के लायक बनाया और 11वीं सदी के अंत तक धातु और ग्लास से बनी सिरिंज का उपयोग शुरू हो गया. कैसे बदल गया सिरिंज का स्वरूप? शुरुआत में सिरिंज को बार-बार उबालकर इस्तेमाल किया जाता था फिर डिस्पोजेबल प्लास्टिक सिरिंज की शुरुआत हुई, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो गया आज की तारीख में ऑटो-डिसेबल सिरिंज, प्रीफिल्ड सिरिंज और सेफ्टी सिरिंज का इस्तेमाल हो रहा है, जो सुरक्षित और सुविधाजनक हैं कितना बड़ा है ये मार्केट? भारत में मेडिकल डिवाइस सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और सिरिंज इसका अहम हिस्सा है भारत का सिरिंज मार्केट वर्ष 2023 में लगभग ₹3,198 करोड़ का रहा ग्लोबल सिरिंज मार्केट 2023 में करीब ₹55,230 करोड़ तक पहुंच चुका है सिरिंज का इतिहास जितना रोचक है, उतना ही इसका विकास भी प्रेरणादायक है. जानवरों के अंगों से बनी उपकरण से लेकर आज की अत्याधुनिक, सुरक्षित और सिंगल-यूज़ सिरिंज तक का सफर मेडिकल साइंस की एक बड़ी उपलब्धि है. आज यह न सिर्फ लोगों की जिंदगी बचा रहा है, बल्कि देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दे रहा है. ये भी पढ़ें: गैस की वजह से दर्द या हार्ट अटैक? समझें दोनों में अंतर, जो समझ नहीं पाते लोग Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

History of Injection: हम सभी ने कभी न कभी अस्पताल में इंजेक्शन तो जरूर लगवाया है. चाहे वह बुखार के इलाज के लिए हो, किसी गंभीर बीमारी के लिए, या टीकाकरण के दौरान, इंजेक्शन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस सिरिंज से दवा आपके शरीर में डाली जाती है, उसकी खोज कैसे हुई थी? क्या आप जानते हैं कि कभी सिरिंज जानवर के पेशाब से बनाई जाती थी और आज वही सिरिंज का कारोबार अरबों रुपये का हो चुका है।
सिरिंज क्या होता है?
सिरिंज एक मेडिकल उपकरण होता है जो किसी दवा या तरल को शरीर में इंजेक्ट करने या निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसमें एक बेलनाकार ट्यूब और एक प्लंजर होता है, जो दवा को खींचने और छोड़ने का काम करता है. जब इस ट्यूब के साथ एक सुई जोड़ दी जाती है, तो यह इंजेक्शन का रूप ले लेता है.
ये भी पढ़े- इस खतरनाक बीमारी की दवा लिवर को रखती है हेल्दी, नई रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला सच
कैसे हुई शुरुआत?
सिरिंज का इतिहास 5वीं सदी में शुरू हुआ.सन् 1656 में ब्रिटेन के फिजिसिस्ट क्रिस्टोफर रेन ने सबसे पहले जानवरों की नसों में ड्रग्स डालने के लिए सिरिंज जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया था. उस समय सिरिंज का निर्माण जानवरों के पेशाब के थैले और हड्डी की ट्यूब से किया गया था. धीरे-धीरे वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों पर इस्तेमाल के लायक बनाया और 11वीं सदी के अंत तक धातु और ग्लास से बनी सिरिंज का उपयोग शुरू हो गया.
कैसे बदल गया सिरिंज का स्वरूप?
- शुरुआत में सिरिंज को बार-बार उबालकर इस्तेमाल किया जाता था
- फिर डिस्पोजेबल प्लास्टिक सिरिंज की शुरुआत हुई, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो गया
- आज की तारीख में ऑटो-डिसेबल सिरिंज, प्रीफिल्ड सिरिंज और सेफ्टी सिरिंज का इस्तेमाल हो रहा है, जो सुरक्षित और सुविधाजनक हैं
कितना बड़ा है ये मार्केट?
- भारत में मेडिकल डिवाइस सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और सिरिंज इसका अहम हिस्सा है
- भारत का सिरिंज मार्केट वर्ष 2023 में लगभग ₹3,198 करोड़ का रहा
- ग्लोबल सिरिंज मार्केट 2023 में करीब ₹55,230 करोड़ तक पहुंच चुका है
सिरिंज का इतिहास जितना रोचक है, उतना ही इसका विकास भी प्रेरणादायक है. जानवरों के अंगों से बनी उपकरण से लेकर आज की अत्याधुनिक, सुरक्षित और सिंगल-यूज़ सिरिंज तक का सफर मेडिकल साइंस की एक बड़ी उपलब्धि है. आज यह न सिर्फ लोगों की जिंदगी बचा रहा है, बल्कि देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दे रहा है.
ये भी पढ़ें: गैस की वजह से दर्द या हार्ट अटैक? समझें दोनों में अंतर, जो समझ नहीं पाते लोग
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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