Sawan 2025: सावन में कैलाश छोड़ कहां निवास करते हैं महादेव, क्या है पौराणिक कथा?

Sawan Month 2025: सावन या श्रावण महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है. यह महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत के लिए समर्पित होता है. इस महीने शिवभक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और व्रत आदि से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. कावड़ यात्रा (Kawad Yatra) की शुरुआत भी सावन में ही होती है. इन्हीं कारणों से हिंदू धर्म में सावन को पवित्र मास माना जाता है. साथ ही यह भगवान शिव का प्रिय महीना भी है. इसी के साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी सावन महीने का महत्व काफी बढ़ जाता है. दरअसल पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने भगवान शिव कैलाश छोड़कर सरपरिवार पृथ्वी पर निवास करते हैं. पृथ्वी पर रहते हुए शिवजी अपने भक्तों पर विशेष कृपा भी बरसाते हैं. आइये जानते हैं कैलाश से भूलोक पर आकर शिवजी कहां कहते हैं? कनखल में निवास करते हैं महादेव पौराणिक कथा के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ आकर हरिद्वार के कनखल में निवास करते हैं, जोकि शिवजी का ससुराल भी है. शिव पुराण के अनुसार, एक बार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के कनखल में एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने शिव जी को आमंत्रित नहीं किया. लेकिन सती बिना बुलाए ही पिता के घर यज्ञ पर जाने की जिद्द करने लगी. जब सती पिता के घर पहुंची तो पिता दक्ष प्रजापति ने सभी देवताओं के  शिव जी का बहुत अपमान किया, जोकि सती सहन न कर सकी और यज्ञ की अग्नि में ही अपने प्राणों की आहुति दे दी. इस बात से क्रोधित होकर शिव ने वीरभद्र रूप धारण कर लिया और दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन देवताओं के प्रार्थना पर शिव ने दक्ष को बकरे का सिर लगाकर पुनः जीवित कर दिया. इसके बाद दक्ष ने शिवजी से माफी मांगी और भोलेनाथ से वचन लिया कि वे हर साल सावन में उनके यहां निवास करेंने और सेवा-सत्कार का मौका देंगे. इसके बाद से ही ऐसी मान्यता है कि हरिद्वार के कनखल में शिवजी दक्षेश्वर रूप में विराजमान होते हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन भी करते हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jul 4, 2025 - 14:30
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Sawan 2025: सावन में कैलाश छोड़ कहां निवास करते हैं महादेव, क्या है पौराणिक कथा?

Sawan Month 2025: सावन या श्रावण महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है. यह महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत के लिए समर्पित होता है. इस महीने शिवभक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और व्रत आदि से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. कावड़ यात्रा (Kawad Yatra) की शुरुआत भी सावन में ही होती है. इन्हीं कारणों से हिंदू धर्म में सावन को पवित्र मास माना जाता है. साथ ही यह भगवान शिव का प्रिय महीना भी है.

इसी के साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी सावन महीने का महत्व काफी बढ़ जाता है. दरअसल पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने भगवान शिव कैलाश छोड़कर सरपरिवार पृथ्वी पर निवास करते हैं. पृथ्वी पर रहते हुए शिवजी अपने भक्तों पर विशेष कृपा भी बरसाते हैं. आइये जानते हैं कैलाश से भूलोक पर आकर शिवजी कहां कहते हैं?

कनखल में निवास करते हैं महादेव

पौराणिक कथा के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ आकर हरिद्वार के कनखल में निवास करते हैं, जोकि शिवजी का ससुराल भी है. शिव पुराण के अनुसार, एक बार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के कनखल में एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने शिव जी को आमंत्रित नहीं किया. लेकिन सती बिना बुलाए ही पिता के घर यज्ञ पर जाने की जिद्द करने लगी. जब सती पिता के घर पहुंची तो पिता दक्ष प्रजापति ने सभी देवताओं के  शिव जी का बहुत अपमान किया, जोकि सती सहन न कर सकी और यज्ञ की अग्नि में ही अपने प्राणों की आहुति दे दी.

इस बात से क्रोधित होकर शिव ने वीरभद्र रूप धारण कर लिया और दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन देवताओं के प्रार्थना पर शिव ने दक्ष को बकरे का सिर लगाकर पुनः जीवित कर दिया. इसके बाद दक्ष ने शिवजी से माफी मांगी और भोलेनाथ से वचन लिया कि वे हर साल सावन में उनके यहां निवास करेंने और सेवा-सत्कार का मौका देंगे. इसके बाद से ही ऐसी मान्यता है कि हरिद्वार के कनखल में शिवजी दक्षेश्वर रूप में विराजमान होते हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन भी करते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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