हार्वर्ड और एमआईटी के बच्चे भी बीच में छोड़ने लगे पढ़ाई, इस खास चीज को मान रहे करियर के लिए सबसे बड़ा खतरा
दुनिया के सबसे बड़े और नामी यूनिवर्सिटीज हार्वर्ड और एमआईटी जहां पढ़ना लाखों बच्चों का सपना होता है, वहां से अब छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ने लगे हैं. वजह वही है, जिसके बारे में इस वक्त पूरी दुनिया बात कर रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI). माना जा रहा है कि AI अब केवल एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि करियर और नौकरियों के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है. AI के डर से पढ़ाई छोड़ रहे स्टूडेंट्स रिपोर्ट्स के मुताबिक, हार्वर्ड और एमआईटी जैसे टॉप कॉलेजों के कई स्टूडेंट्स ने अचानक अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है. इन स्टूडेंट्स का कहना है कि जब भविष्य ही अनिश्चित हो, और AI इंसानों की जगह ले लेगा, तो पढ़ाई का क्या फायदा? कुछ छात्रों को तो यह डर भी सता रहा है कि AI के सुपर-इंटेलिजेंट रूप में बदलने से इंसान की जरूरत ही खत्म हो जाएगी. क्यों बढ़ रहा है यह डर? AI को अब तक इंसानों का सहायक माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में इसके तेज विकास ने ही इस डर को जन्म दिया है. अब मशीनें न केवल डेटा एनालिसिस, रिसर्च और मेडिकल जैसी फील्ड्स में इंसानों की बराबरी कर रही हैं, बल्कि कई मामलों में उन्हें पीछे भी छोड़ रही हैं. MIT के एक छात्र ने इंटरव्यू में कहा अगर AGI (Artificial General Intelligence) इंसानों से ज्यादा समझदार हो गया, तो इंसानों के लिए करियर और नौकरियों का कोई मतलब नहीं रहेगा. पढ़ाई छोड़ने के पीछे क्या सोच है? कई छात्रों का मानना है कि कॉलेज में डिग्री लेकर नौकरी पाना अब पहले जैसा सुरक्षित रास्ता नहीं रहा. उनका कहना है कि कंपनियां अब इंसानों के बजाय AI पर ज्यादा भरोसा करेंगी. इसी वजह से कई स्टूडेंट्स रिसर्च और इनोवेशन के लिए अलग रास्ता चुन रहे हैं. कुछ ने तो स्टार्टअप शुरू कर दिए हैं, जो AI से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं? टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह डर पूरी तरह से गलत नहीं है. AI तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में कई नौकरियां जरूर खत्म हो सकती हैं. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इंसानों की रचनात्मकता और भावनात्मक समझ को कोई मशीन पूरी तरह से रिप्लेस नहीं कर सकती. एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए करियर के रास्ते भी खुलेंगे, बशर्ते युवा खुद को नई टेक्नोलॉजी के हिसाब से ढालें. समाज पर असर AI का यह डर अब केवल टेक्निकल यूनिवर्सिटीज तक सीमित नहीं है. धीरे-धीरे आम समाज में भी लोग यही सवाल करने लगे हैं कि आने वाले समय में नौकरियां कैसी होंगी? क्या बच्चों की पढ़ाई का तरीका बदलना चाहिए? और क्या इंसान वाकई मशीनों से हार जाएगा? ये सवाल आज की शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं. यह भी पढ़ें- DSP सिराज, ग्रुप कैप्टन तेंदुलकर या लेफ्टिनेंट कर्नल एमएस धोनी, जानिए सबसे बड़ी पोस्ट पर है कौन सा खिलाड़ी?

दुनिया के सबसे बड़े और नामी यूनिवर्सिटीज हार्वर्ड और एमआईटी जहां पढ़ना लाखों बच्चों का सपना होता है, वहां से अब छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ने लगे हैं. वजह वही है, जिसके बारे में इस वक्त पूरी दुनिया बात कर रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI). माना जा रहा है कि AI अब केवल एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि करियर और नौकरियों के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है.
AI के डर से पढ़ाई छोड़ रहे स्टूडेंट्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हार्वर्ड और एमआईटी जैसे टॉप कॉलेजों के कई स्टूडेंट्स ने अचानक अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है. इन स्टूडेंट्स का कहना है कि जब भविष्य ही अनिश्चित हो, और AI इंसानों की जगह ले लेगा, तो पढ़ाई का क्या फायदा? कुछ छात्रों को तो यह डर भी सता रहा है कि AI के सुपर-इंटेलिजेंट रूप में बदलने से इंसान की जरूरत ही खत्म हो जाएगी.
क्यों बढ़ रहा है यह डर?
AI को अब तक इंसानों का सहायक माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में इसके तेज विकास ने ही इस डर को जन्म दिया है. अब मशीनें न केवल डेटा एनालिसिस, रिसर्च और मेडिकल जैसी फील्ड्स में इंसानों की बराबरी कर रही हैं, बल्कि कई मामलों में उन्हें पीछे भी छोड़ रही हैं. MIT के एक छात्र ने इंटरव्यू में कहा अगर AGI (Artificial General Intelligence) इंसानों से ज्यादा समझदार हो गया, तो इंसानों के लिए करियर और नौकरियों का कोई मतलब नहीं रहेगा.
पढ़ाई छोड़ने के पीछे क्या सोच है?
कई छात्रों का मानना है कि कॉलेज में डिग्री लेकर नौकरी पाना अब पहले जैसा सुरक्षित रास्ता नहीं रहा. उनका कहना है कि कंपनियां अब इंसानों के बजाय AI पर ज्यादा भरोसा करेंगी. इसी वजह से कई स्टूडेंट्स रिसर्च और इनोवेशन के लिए अलग रास्ता चुन रहे हैं. कुछ ने तो स्टार्टअप शुरू कर दिए हैं, जो AI से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं.
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह डर पूरी तरह से गलत नहीं है. AI तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में कई नौकरियां जरूर खत्म हो सकती हैं. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इंसानों की रचनात्मकता और भावनात्मक समझ को कोई मशीन पूरी तरह से रिप्लेस नहीं कर सकती. एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए करियर के रास्ते भी खुलेंगे, बशर्ते युवा खुद को नई टेक्नोलॉजी के हिसाब से ढालें.
समाज पर असर
AI का यह डर अब केवल टेक्निकल यूनिवर्सिटीज तक सीमित नहीं है. धीरे-धीरे आम समाज में भी लोग यही सवाल करने लगे हैं कि आने वाले समय में नौकरियां कैसी होंगी? क्या बच्चों की पढ़ाई का तरीका बदलना चाहिए? और क्या इंसान वाकई मशीनों से हार जाएगा? ये सवाल आज की शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं.
यह भी पढ़ें- DSP सिराज, ग्रुप कैप्टन तेंदुलकर या लेफ्टिनेंट कर्नल एमएस धोनी, जानिए सबसे बड़ी पोस्ट पर है कौन सा खिलाड़ी?
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