बैठे-बैठे बढ़ जाती है दिल की धड़कन? हो सकती है यह गंभीर बीमारी
आज की बिजी और स्ट्रेस भरी लाइफ में सेहत को लेकर छोटी-छोटी बातें भी बड़ी परेशानी का संकेत हो सकती हैं. अक्सर हम यह मान लेते हैं कि सिर्फ दौड़ने, तेज चलना या सीढ़ियां चढ़ने पर ही दिल की धड़कन तेज होती है जो कि एक नेचुरल प्रोसेस है. लेकिन अगर आप बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के, आराम से बैठे हुए भी बार-बार दिल की धड़कन बढ़ने जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति शरीर में चल रही किसी अंदरूनी गड़बड़ी या मेंटल हेल्थ का संकेत हो सकती है. बैठे-बैठे अचानक दिल की धड़कन तेज होना कई बार फिजिकल और मेंटल हेल्थ से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करता है. कभी-कभी इसे हम नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि शायद स्ट्रेस या थकावट की वजह से ऐसा हुआ होगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ना कौन सी गंभीर बीमारी हो सकती है. बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ना कौन सी गंभीर बीमारी? बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ रही है या बिना किसी खास वजह के सीने में बेचैनी, सांस फूलना या कमजोरी जैसे लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो यह सिर्फ थकान या स्ट्रेस नहीं बल्कि एक गंभीर दिल की बीमारी एरिथमिया का संकेत हो सकता है. एरिथमिया एक मेडिकल स्थिति है जिसमें दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है यानी दिल कभी बहुत तेज, कभी बहुत धीमी, या अनियमित तरीके से धड़कता है. यह समस्या दिल के पावर सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होती है, जिससे हार्ट सही तरीके से पंप नहीं कर पाता है. किन कारणों से हो सकती है बैठे-बैठे दिल की धड़कन तेज? 1. ज्यादा तनाव या एंग्जायटी - मेंटल स्ट्रेस, चिंता या पैनिक अटैक हार्ट स्पीड को असर कर सकते हैं. 2. कैफीन, शराब या धूम्रपान का ज्यादा सेवन - चाय-कॉफी, शराब या सिगरेट से हार्ट रेट असामान्य रूप से बढ़ सकता है. 3. कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स - कुछ दवाएं भी दिल की गति पर असर डालती हैं. 4. दिल की मांसपेशियों में गड़बड़ी या हार्ट डिजीज - दिल की पहले से मौजूद कोई बीमारी भी एरिथमिया का कारण हो सकती है. 5. डिहाइड्रेशन - अगर शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो खून का बहाव कम हो जाता है. ऐसे में दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे धड़कन तेज हो सकती है. 6. इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस - शरीर में पोटैशियम, मैग्नीशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स का सही बैलेंस जरूरी होता है. इनकी कमी से दिल की स्पीड बिगड़ सकती है और बैठने पर भी धड़कन तेज हो सकती है. 7. हाइपरथायरायडिज्म - जब थायराइड ग्रंथि ज्यादा हार्मोन बनाती है, तो मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है. इससे आराम के समय भी दिल तेजी से धड़कने लगता है. 8. लो ब्लड शुगर - जब शरीर में शुगर का लेवल बहुत कम हो जाता है, तो घबराहट, कमजोरी, पसीना आना और दिल की धड़कन तेज हो सकती है. यह स्थिति अक्सर डायबिटीज के मरीजों में देखी जाती है. 9. दिल की बीमारियां - हाई ब्लड प्रेशर या कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसे हार्ट संबंधी बीमारियों में बैठे-बैठे भी हार्ट रेट बढ़ सकता है. ऐसे मरीजों को यह संकेत नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यह भी पढ़ें: पेट के बल सोने से हो सकती हैं ये 6 परेशानियां, आज से छोड़ दें ये खराब आदत

आज की बिजी और स्ट्रेस भरी लाइफ में सेहत को लेकर छोटी-छोटी बातें भी बड़ी परेशानी का संकेत हो सकती हैं. अक्सर हम यह मान लेते हैं कि सिर्फ दौड़ने, तेज चलना या सीढ़ियां चढ़ने पर ही दिल की धड़कन तेज होती है जो कि एक नेचुरल प्रोसेस है. लेकिन अगर आप बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के, आराम से बैठे हुए भी बार-बार दिल की धड़कन बढ़ने जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति शरीर में चल रही किसी अंदरूनी गड़बड़ी या मेंटल हेल्थ का संकेत हो सकती है. बैठे-बैठे अचानक दिल की धड़कन तेज होना कई बार फिजिकल और मेंटल हेल्थ से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करता है. कभी-कभी इसे हम नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि शायद स्ट्रेस या थकावट की वजह से ऐसा हुआ होगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ना कौन सी गंभीर बीमारी हो सकती है.
बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ना कौन सी गंभीर बीमारी?
बैठे-बैठे दिल की धड़कन बढ़ रही है या बिना किसी खास वजह के सीने में बेचैनी, सांस फूलना या कमजोरी जैसे लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो यह सिर्फ थकान या स्ट्रेस नहीं बल्कि एक गंभीर दिल की बीमारी एरिथमिया का संकेत हो सकता है. एरिथमिया एक मेडिकल स्थिति है जिसमें दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है यानी दिल कभी बहुत तेज, कभी बहुत धीमी, या अनियमित तरीके से धड़कता है. यह समस्या दिल के पावर सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होती है, जिससे हार्ट सही तरीके से पंप नहीं कर पाता है.
किन कारणों से हो सकती है बैठे-बैठे दिल की धड़कन तेज?
1. ज्यादा तनाव या एंग्जायटी - मेंटल स्ट्रेस, चिंता या पैनिक अटैक हार्ट स्पीड को असर कर सकते हैं.
2. कैफीन, शराब या धूम्रपान का ज्यादा सेवन - चाय-कॉफी, शराब या सिगरेट से हार्ट रेट असामान्य रूप से बढ़ सकता है.
3. कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स - कुछ दवाएं भी दिल की गति पर असर डालती हैं.
4. दिल की मांसपेशियों में गड़बड़ी या हार्ट डिजीज - दिल की पहले से मौजूद कोई बीमारी भी एरिथमिया का कारण हो सकती है.
5. डिहाइड्रेशन - अगर शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो खून का बहाव कम हो जाता है. ऐसे में दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे धड़कन तेज हो सकती है.
6. इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस - शरीर में पोटैशियम, मैग्नीशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स का सही बैलेंस जरूरी होता है. इनकी कमी से दिल की स्पीड बिगड़ सकती है और बैठने पर भी धड़कन तेज हो सकती है.
7. हाइपरथायरायडिज्म - जब थायराइड ग्रंथि ज्यादा हार्मोन बनाती है, तो मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है. इससे आराम के समय भी दिल तेजी से धड़कने लगता है.
8. लो ब्लड शुगर - जब शरीर में शुगर का लेवल बहुत कम हो जाता है, तो घबराहट, कमजोरी, पसीना आना और दिल की धड़कन तेज हो सकती है. यह स्थिति अक्सर डायबिटीज के मरीजों में देखी जाती है.
9. दिल की बीमारियां - हाई ब्लड प्रेशर या कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसे हार्ट संबंधी बीमारियों में बैठे-बैठे भी हार्ट रेट बढ़ सकता है. ऐसे मरीजों को यह संकेत नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
यह भी पढ़ें: पेट के बल सोने से हो सकती हैं ये 6 परेशानियां, आज से छोड़ दें ये खराब आदत
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