ट्रंप की धमकियों का नहीं असर, भारत के बाद चीन ने भी किया क्लियर; रूस से तेल की खरीद रहेगी जारी
China Crude Oil Import: अमेरिका चाहता है कि रूस और ईरान से तेल की खरीदारी नहीं की जाए. इस क्रम में इन दोनों से तेल खरीदने वाले देशों पर सख्ती बरती जा रही है. अमेरिका की यही डिमांड चीन से भी है. अब चीन ने इस पर अपनी राय जाहिर की है. दोनों देशों के अधिकारियों के बीच स्टॉकहोम में चली दो दिनों की वार्ता के बाद बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, चीन अपनी एनर्जी सप्लाई को अपने नेशनल इंटरेस्ट के हिसाब से सुनिश्चित करेगा. इस पोस्ट में आगे लिखा गया, जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा. चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा. बैठक में इस बात पर बनी सहमति अमेरिका में चीनी आयात पर भारी-भरकम टैरिफ की घोषणा और व्यापार प्रतिबंधों को सुलझाने के मकसद से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच स्टॉकहोम में बैठक हुई. इसमें अमेरिका की तरफ से वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट शामिल हुए थे, जबकि चीन का प्रतिनिधित्व वहां के उप प्रधानमंत्री हे लाइफेंग ने किया था. इस बैठक के बाद तय हुआ कि दोनों देश फिलहाल एक-दूसरे पर टैरिफ नहीं बढ़ाएंगे. अमेरिका चीनी वस्तुओं के आयात पर 30 परसेंट टैरिफ वसूलेगा, जबकि चीन अमेरिकी आयात पर 10 परसेंट ही टैरिफ लगाएगा. हालांकि, इस पर आखिरी फैसला ट्रंप ही लेंगे. बेसेंट की दी गई जानकारी के मुताबिक, दोनों में फिर से शायद 90 दिनों में एक और बैठक हो सकती है. इस बीच, उर्जा की खरीद को लेकर चीन के इस स्पष्ट और कठोर रूख का क्या असर होगा, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा. चीन के लिए अपनी संप्रभुता सबसे आगे स्टॉकहोम में चली वार्ता के बाद जब बेसेंट से जब रूस से तेल खरीद की खरीद को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बताया, ''चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है. इसमें हम खलल नहीं डालना चाहेंगे. चीन भी शायद 100 परसेंट टैरिफ देना चाहेगा.'' बता दें कि ट्रंप ने चेतावनी दी है कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा उस पर 100 परसेंट तक टैरिफ लगाया जाएगा. रूस में क्यों सस्ता है तेल? रूस दरअसल दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक है. यहां से दूसरे देशों को बड़े पैमाने पर ऑयल एक्सपोर्ट भी किया जाता है. रूस से तेल सस्ता मिलता है क्योंकि एक तो तेल का उत्पादन यहीं होता और यूक्रेन से जंग के बाद तमाम पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए, जिससे रूस में कच्चे तेल की कीमतें गिर गईं. इस मौके का फायदा भारत और चीन जैसे कई एशियाई देशों ने उठाया और रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना शुरू कर दिया. 2024 में भी चीन ने रूस से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात किया, जो चीन के कुल कच्चे तेल के आयात का 21.5 परसेंट था. जबकि 2018-21 में औसतन लगभग 15.5 परसेंट कच्चे तेल का आयात रूस से किया गया था. रूस यूराल क्रूड ऑयल पर छूट देता है, जिसकी कीमत ब्रेंट ब्लेंड और दुबई से कम होती है और चीन को यही बात अपनी ओर आकर्षित करता है. ये भी पढ़ें: बढ़ सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमत, रूस-अमेरिका के बीच टेंशन का ग्लोबल ऑयल की सप्लाई पर असर

China Crude Oil Import: अमेरिका चाहता है कि रूस और ईरान से तेल की खरीदारी नहीं की जाए. इस क्रम में इन दोनों से तेल खरीदने वाले देशों पर सख्ती बरती जा रही है. अमेरिका की यही डिमांड चीन से भी है. अब चीन ने इस पर अपनी राय जाहिर की है.
दोनों देशों के अधिकारियों के बीच स्टॉकहोम में चली दो दिनों की वार्ता के बाद बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, चीन अपनी एनर्जी सप्लाई को अपने नेशनल इंटरेस्ट के हिसाब से सुनिश्चित करेगा. इस पोस्ट में आगे लिखा गया, जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा. चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा.
बैठक में इस बात पर बनी सहमति
अमेरिका में चीनी आयात पर भारी-भरकम टैरिफ की घोषणा और व्यापार प्रतिबंधों को सुलझाने के मकसद से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच स्टॉकहोम में बैठक हुई. इसमें अमेरिका की तरफ से वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट शामिल हुए थे, जबकि चीन का प्रतिनिधित्व वहां के उप प्रधानमंत्री हे लाइफेंग ने किया था.
इस बैठक के बाद तय हुआ कि दोनों देश फिलहाल एक-दूसरे पर टैरिफ नहीं बढ़ाएंगे. अमेरिका चीनी वस्तुओं के आयात पर 30 परसेंट टैरिफ वसूलेगा, जबकि चीन अमेरिकी आयात पर 10 परसेंट ही टैरिफ लगाएगा. हालांकि, इस पर आखिरी फैसला ट्रंप ही लेंगे. बेसेंट की दी गई जानकारी के मुताबिक, दोनों में फिर से शायद 90 दिनों में एक और बैठक हो सकती है. इस बीच, उर्जा की खरीद को लेकर चीन के इस स्पष्ट और कठोर रूख का क्या असर होगा, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.
चीन के लिए अपनी संप्रभुता सबसे आगे
स्टॉकहोम में चली वार्ता के बाद जब बेसेंट से जब रूस से तेल खरीद की खरीद को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बताया, ''चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है. इसमें हम खलल नहीं डालना चाहेंगे. चीन भी शायद 100 परसेंट टैरिफ देना चाहेगा.'' बता दें कि ट्रंप ने चेतावनी दी है कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा उस पर 100 परसेंट तक टैरिफ लगाया जाएगा.
रूस में क्यों सस्ता है तेल?
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बढ़ सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमत, रूस-अमेरिका के बीच टेंशन का ग्लोबल ऑयल की सप्लाई पर असर
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