असम को शिक्षा के क्षेत्र में मिला बड़ा तोहफा, गुवाहाटी में बनेगा देश का 22वां IIM

असम के छात्रों और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया. इस विधेयक के तहत गुवाहाटी में नया इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM Guwahati) स्थापित किया जाएगा. यह असम का पहला और देश का 22वां आईआईएम होगा. 555 करोड़ का कॉर्पस फंड सरकार की योजना के मुताबिक, गुवाहाटी में बनने वाले आईआईएम के लिए केंद्र 2025-26 से 2029-30 तक कुल 555 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड उपलब्ध कराएगी. यह फंड संस्थान की शुरुआती पांच साल की जरूरतों को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाएगा. पांच साल बाद आईआईएम गुवाहाटी को अपनी आय खुद पैदा करनी होगी और केंद्र सरकार से अतिरिक्त आर्थिक मदद नहीं मिलेगी. असम का पहला आईआईएम गौरतलब है कि असम की आबादी तीन करोड़ से ज्यादा है, लेकिन यहां अब तक कोई आईआईएम मौजूद नहीं था. देश के बाकी हिस्सों में प्रबंधन शिक्षा के लिए आईआईएम नेटवर्क काफी मजबूत है, लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र इस मामले में अब तक पीछे था. गुवाहाटी में आईआईएम खुलने से न सिर्फ असम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के छात्रों को फायदा मिलेगा. असम विकास पैकेज का हिस्सा यह परियोजना केवल शिक्षा से जुड़ी नहीं है, बल्कि असम के विकास पैकेज का भी अहम हिस्सा है. दरअसल, भारत सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के बीच हुए समझौते में यह प्रावधान शामिल था कि राज्य के विकास के लिए विशेष पैकेज लागू किया जाएगा. उसी समझौते के तहत गुवाहाटी में आईआईएम की स्थापना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना माना गया है. पूर्वोत्तर की शिक्षा में नई ऊर्जा केंद्र सरकार का कहना है कि गुवाहाटी में आईआईएम खुलने से पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी. यहां के छात्रों को प्रबंधन की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा अपने ही राज्य और क्षेत्र में मिलेगी, जिसके लिए पहले उन्हें देश के दूसरे हिस्सों में जाना पड़ता था. इससे न केवल शिक्षा बल्कि स्थानीय रोजगार और क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकार की मंशा बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि असम एक ऐसा राज्य है जिसकी बड़ी आबादी है लेकिन अब तक वहां कोई आईआईएम मौजूद नहीं है. इस संस्थान के खुलने से पूर्वोत्तर की प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा और क्षेत्रीय विकास को नई दिशा मिलेगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी लोकसभा में इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह न केवल असम बल्कि पूरे देश की प्रगति में योगदान देगा. छात्रों और अभिभावकों की उम्मीदें इस घोषणा के बाद असम और पूर्वोत्तर के छात्रों व अभिभावकों में उत्साह है. लंबे समय से यहां के लोग मांग कर रहे थे कि इस क्षेत्र में उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए जाएं. अब आईआईएम गुवाहाटी की स्थापना से यह सपना पूरा होता दिखाई दे रहा है. स्थानीय विकास को बढ़ावा आईआईएम गुवाहाटी से न केवल शिक्षा क्षेत्र में बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास को भी फायदा होगा. यहां आने वाले छात्रों और शिक्षकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, जिससे गुवाहाटी और आसपास के इलाकों में रोजगार और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी.इसे भी पढ़ें-कितनी मोटी सैलरी उठाते हैं मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, जिनके खिलाफ महाभियोग लाने जा रहा विपक्ष

Aug 19, 2025 - 19:30
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असम को शिक्षा के क्षेत्र में मिला बड़ा तोहफा, गुवाहाटी में बनेगा देश का 22वां IIM

असम के छात्रों और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया. इस विधेयक के तहत गुवाहाटी में नया इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM Guwahati) स्थापित किया जाएगा. यह असम का पहला और देश का 22वां आईआईएम होगा.

555 करोड़ का कॉर्पस फंड

सरकार की योजना के मुताबिक, गुवाहाटी में बनने वाले आईआईएम के लिए केंद्र 2025-26 से 2029-30 तक कुल 555 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड उपलब्ध कराएगी. यह फंड संस्थान की शुरुआती पांच साल की जरूरतों को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाएगा. पांच साल बाद आईआईएम गुवाहाटी को अपनी आय खुद पैदा करनी होगी और केंद्र सरकार से अतिरिक्त आर्थिक मदद नहीं मिलेगी.

असम का पहला आईआईएम

गौरतलब है कि असम की आबादी तीन करोड़ से ज्यादा है, लेकिन यहां अब तक कोई आईआईएम मौजूद नहीं था. देश के बाकी हिस्सों में प्रबंधन शिक्षा के लिए आईआईएम नेटवर्क काफी मजबूत है, लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र इस मामले में अब तक पीछे था. गुवाहाटी में आईआईएम खुलने से न सिर्फ असम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के छात्रों को फायदा मिलेगा.

असम विकास पैकेज का हिस्सा

यह परियोजना केवल शिक्षा से जुड़ी नहीं है, बल्कि असम के विकास पैकेज का भी अहम हिस्सा है. दरअसल, भारत सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के बीच हुए समझौते में यह प्रावधान शामिल था कि राज्य के विकास के लिए विशेष पैकेज लागू किया जाएगा. उसी समझौते के तहत गुवाहाटी में आईआईएम की स्थापना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना माना गया है.

पूर्वोत्तर की शिक्षा में नई ऊर्जा

केंद्र सरकार का कहना है कि गुवाहाटी में आईआईएम खुलने से पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी. यहां के छात्रों को प्रबंधन की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा अपने ही राज्य और क्षेत्र में मिलेगी, जिसके लिए पहले उन्हें देश के दूसरे हिस्सों में जाना पड़ता था. इससे न केवल शिक्षा बल्कि स्थानीय रोजगार और क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.

सरकार की मंशा

बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि असम एक ऐसा राज्य है जिसकी बड़ी आबादी है लेकिन अब तक वहां कोई आईआईएम मौजूद नहीं है. इस संस्थान के खुलने से पूर्वोत्तर की प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा और क्षेत्रीय विकास को नई दिशा मिलेगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी लोकसभा में इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह न केवल असम बल्कि पूरे देश की प्रगति में योगदान देगा.

छात्रों और अभिभावकों की उम्मीदें

इस घोषणा के बाद असम और पूर्वोत्तर के छात्रों व अभिभावकों में उत्साह है. लंबे समय से यहां के लोग मांग कर रहे थे कि इस क्षेत्र में उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए जाएं. अब आईआईएम गुवाहाटी की स्थापना से यह सपना पूरा होता दिखाई दे रहा है.

स्थानीय विकास को बढ़ावा

आईआईएम गुवाहाटी से न केवल शिक्षा क्षेत्र में बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास को भी फायदा होगा. यहां आने वाले छात्रों और शिक्षकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, जिससे गुवाहाटी और आसपास के इलाकों में रोजगार और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी.

इसे भी पढ़ें-कितनी मोटी सैलरी उठाते हैं मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, जिनके खिलाफ महाभियोग लाने जा रहा विपक्ष

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