अब नहीं पड़ेगी AC की जरूरत! IIT कानपुर ने तैयार की इंसुलेशन शीट, घर को कर देगी 12 डिग्री तक ठंडा

हर साल मई-जून का महीना आते ही शहरों में रह रहे लोगों की टेंशन भी बढ़ जाती है, वजह है- पिघला देने वाली गर्मी. आलम यह हो जाता है कि एयर कंडीशनर (AC) भी किसी काम की नहीं रहती. इसी समस्या को सुलझाने का प्रयास किया है आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने.आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विशेष इंसुलेशन शीट तैयार की है, जो इमारतों का तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तक कम करने में सक्षम है. इसके इस्तेमाल से एयर कंडीशनर पर आने वाला खर्च काफी हद तक घटाया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक, यह शीट खास किस्म के कपड़े और इंसुलेशन मटीरियल से बनाई गई है, जो बारिश के मौसम में भी खराब नहीं होती और इसे साफ करना बेहद आसान है. इसकी कीमत लगभग 50 से 60 रुपये प्रति वर्ग फीट है, जो बाज़ार में उपलब्ध अन्य शीटों की तुलना में काफी सस्ती है. छत और दीवारों पर लगाई जा सकती है शीट आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित यह शीट घरों की छत या इमारतों की दीवारों पर लगाई जा सकती है. खास बात यह है कि इसे किसी भी फ्रेम, लोहे या लकड़ी के ढांचे की आवश्यकता नहीं होती, इसे सीधे दीवार, छत या पानी की टंकी पर चिपकाया या बांधा जा सकता है. परीक्षणों में पाया गया कि इस शीट को लगाने के बाद तापमान 10–12 डिग्री तक घट जाता है. वर्तमान में बाजार में मिलने वाली शीटों की कीमत 100 से 200 रुपये प्रति वर्ग फीट तक होती है, जबकि आईआईटी की शीट आधी कीमत में उपलब्ध है. इस तकनीक पर एक साल पहले पेटेंट लिया जा चुका है और लैब टेस्टिंग के बाद इसे कुछ भवनों में प्रयोग भी किया गया है. अब आईआईटी की रिसर्च टीम इसे अपनी स्टार्टअप कंपनी के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचा रही है. ये है गर्मी कम करने का साइंस आईआईटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अनिमांग्सु घटक के अनुसार, यह शीट सिंथेटिक पॉलिमर की मदद से बनाई गई है, जिसे "पेपर कोटेड विद पॉलिमर" कहा जा सकता है. इसमें एक विशेष प्रकार के कपड़े पर पॉलिमर की कोटिंग इस तरह की गई है कि यह किसी भी सतह,चाहे वह छत हो, दीवार हो या पानी की टंकी पर चिपकने के बाद इंसुलेशन का कार्य करने लगे. पॉलिमर की परतों के बीच सामान्य वायु फंस जाती है, जो ऊष्मा को पार होने से रोकती है. शीट की बाहरी सतह पूरी तरह सफेद रखी गई है, जिससे सूरज की सीधी किरणें परावर्तित हो जाती हैं और गर्मी का असर कम हो जाता है. यदि कुछ ऊष्मा अंदर प्रवेश करती भी है, तो वह कपड़े और पॉलिमर कोटिंग के बीच की परत में अटक जाती है. इस तरह अंदर के हिस्से पर न तो तेज गर्मी का असर पड़ता है और न ही ज्यादा ठंड का. छत, दीवार और पानी की टंकी पर सफल प्रयोग आईआईटी की स्टार्टअप कंपनी गिटीटेक ने इसका उत्पादन शुरू कर दिया है. कंपनी के सीईओ आदित्य सिंह के अनुसार, इसे कई घरों में सफलतापूर्वक लगाया गया है. पानी की टंकियों पर इसका इस्तेमाल सबसे अधिक किया जा रहा है, जिससे गर्मियों में पानी को गरम होने से बचाया जा सकता है और सर्दियों में पानी बहुत ठंडा नहीं होता. यह शीट न सिर्फ मकान की दीवारों और छतों पर लगाई जा सकती है, बल्कि इसे आसानी से साफ करके दूसरी जगह भी लगाया जा सकता है. कानपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में कुछ फैक्ट्रियों में भी इसका उपयोग किया गया, जहां जून महीने में एयर कंडीशनर की बिजली खपत में 25–30% तक की कमी दर्ज की गई. इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग खिड़की के पर्दे बनाने में भी किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: असम को शिक्षा के क्षेत्र में मिला बड़ा तोहफा, गुवाहाटी में बनेगा देश का 22वां IIM

Aug 19, 2025 - 19:30
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अब नहीं पड़ेगी AC की जरूरत! IIT कानपुर ने तैयार की इंसुलेशन शीट, घर को कर देगी 12 डिग्री तक ठंडा

हर साल मई-जून का महीना आते ही शहरों में रह रहे लोगों की टेंशन भी बढ़ जाती है, वजह है- पिघला देने वाली गर्मी. आलम यह हो जाता है कि एयर कंडीशनर (AC) भी किसी काम की नहीं रहती. इसी समस्या को सुलझाने का प्रयास किया है आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने.आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विशेष इंसुलेशन शीट तैयार की है, जो इमारतों का तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तक कम करने में सक्षम है. इसके इस्तेमाल से एयर कंडीशनर पर आने वाला खर्च काफी हद तक घटाया जा सकता है.

जानकारी के मुताबिक, यह शीट खास किस्म के कपड़े और इंसुलेशन मटीरियल से बनाई गई है, जो बारिश के मौसम में भी खराब नहीं होती और इसे साफ करना बेहद आसान है. इसकी कीमत लगभग 50 से 60 रुपये प्रति वर्ग फीट है, जो बाज़ार में उपलब्ध अन्य शीटों की तुलना में काफी सस्ती है.

छत और दीवारों पर लगाई जा सकती है शीट

आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित यह शीट घरों की छत या इमारतों की दीवारों पर लगाई जा सकती है. खास बात यह है कि इसे किसी भी फ्रेम, लोहे या लकड़ी के ढांचे की आवश्यकता नहीं होती, इसे सीधे दीवार, छत या पानी की टंकी पर चिपकाया या बांधा जा सकता है. परीक्षणों में पाया गया कि इस शीट को लगाने के बाद तापमान 1012 डिग्री तक घट जाता है. वर्तमान में बाजार में मिलने वाली शीटों की कीमत 100 से 200 रुपये प्रति वर्ग फीट तक होती है, जबकि आईआईटी की शीट आधी कीमत में उपलब्ध है. इस तकनीक पर एक साल पहले पेटेंट लिया जा चुका है और लैब टेस्टिंग के बाद इसे कुछ भवनों में प्रयोग भी किया गया है. अब आईआईटी की रिसर्च टीम इसे अपनी स्टार्टअप कंपनी के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचा रही है.

ये है गर्मी कम करने का साइंस

आईआईटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अनिमांग्सु घटक के अनुसार, यह शीट सिंथेटिक पॉलिमर की मदद से बनाई गई है, जिसे "पेपर कोटेड विद पॉलिमर" कहा जा सकता है. इसमें एक विशेष प्रकार के कपड़े पर पॉलिमर की कोटिंग इस तरह की गई है कि यह किसी भी सतह,चाहे वह छत हो, दीवार हो या पानी की टंकी पर चिपकने के बाद इंसुलेशन का कार्य करने लगे. पॉलिमर की परतों के बीच सामान्य वायु फंस जाती है, जो ऊष्मा को पार होने से रोकती है. शीट की बाहरी सतह पूरी तरह सफेद रखी गई है, जिससे सूरज की सीधी किरणें परावर्तित हो जाती हैं और गर्मी का असर कम हो जाता है. यदि कुछ ऊष्मा अंदर प्रवेश करती भी है, तो वह कपड़े और पॉलिमर कोटिंग के बीच की परत में अटक जाती है. इस तरह अंदर के हिस्से पर न तो तेज गर्मी का असर पड़ता है और न ही ज्यादा ठंड का.

छत, दीवार और पानी की टंकी पर सफल प्रयोग

आईआईटी की स्टार्टअप कंपनी गिटीटेक ने इसका उत्पादन शुरू कर दिया है. कंपनी के सीईओ आदित्य सिंह के अनुसार, इसे कई घरों में सफलतापूर्वक लगाया गया है. पानी की टंकियों पर इसका इस्तेमाल सबसे अधिक किया जा रहा है, जिससे गर्मियों में पानी को गरम होने से बचाया जा सकता है और सर्दियों में पानी बहुत ठंडा नहीं होता. यह शीट न सिर्फ मकान की दीवारों और छतों पर लगाई जा सकती है, बल्कि इसे आसानी से साफ करके दूसरी जगह भी लगाया जा सकता है. कानपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में कुछ फैक्ट्रियों में भी इसका उपयोग किया गया, जहां जून महीने में एयर कंडीशनर की बिजली खपत में 2530% तक की कमी दर्ज की गई. इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग खिड़की के पर्दे बनाने में भी किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: असम को शिक्षा के क्षेत्र में मिला बड़ा तोहफा, गुवाहाटी में बनेगा देश का 22वां IIM

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