स्नैकिंग सिर्फ स्वाद नहीं, सेहत भी है जरूरी...कितने परसेंट लोग अब भी खोज रहे टेस्ट
Healthy Snacking With Taste: कभी मूड फ्रेश करने के लिए, तो कभी भूख मिटाने के लिए, स्नैक्स आज हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन अब सवाल यह है कि लोग सिर्फ स्वाद के पीछे भाग रहे हैं या फिर सेहत को भी उतनी ही अहमियत दे रहे हैं? आज की फास्ट-फूड और फिटनेस के बीच झूलती दुनिया में एक नई सोच उभर रही है, स्वाद भी चाहिए और सेहत भी! हेल्दी स्नैकिंग ट्रेंड अब तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि स्वाद की तलाश अभी भी लोगों की पहली प्राथमिकता बनी हुई है. आइए जानते हैं Healthy Snacking Report 2025 के आधार पर लोग क्या सोचते हैं, कितने लोग हेल्दी विकल्प चुनते हैं और स्वाद की तलाश में क्या-क्या समझौते करते हैं. ये भी पढ़े- रेबीज के इंजेक्शन लगाने के बाद भी कुछ लोगों की क्यों हो जाती है मौत? ये रहा जवाब स्नैकिंग का बदलता नजरिया पहले स्नैक का मतलब था कुछ चटपटा, क्रिस्पी और टेस्टी, चाहे समोसा हो, चिप्स हों या नमकीन. लेकिन अब लोग धीरे-धीरे हेल्दी ऑप्शन्स की ओर बढ़ रहे हैं. हेल्थ अवेयरनेस बढ़ने के साथ-साथ लोगों ने यह समझा है कि, बार-बार जंक फूड खाना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार... 72% लोग अब हेल्दी विकल्प खोजते हैं वे ऐसे स्नैक्स चाहते हैं जो कम फैट, कम शुगर और हाई फाइबर वाले हों. 94% लोग अब भी स्वाद को पहली प्राथमिकता मानते हैं लोग हेल्दी स्नैक तो चाहते हैं, लेकिन स्वाद के बिना कुछ भी नहीं चलेगा कहते हैं. क्या-क्या पसंद करते हैं लोग मखाना में मसालेदार फ्लेवर ओट्स या रागी से बने चिप्स बेक्ड स्नैक्स जिनमें टेस्ट भी बना रहे शुगर फ्री बिस्किट जिनका स्वाद मीठा महसूस हो इसका मतलब यह है कि टेस्ट अभी भी सबसे बड़ा ट्रिगर बना हुआ है. लोग कितनी बार खाते हैं स्नैक्स? रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 84% लोग हफ्ते में कई बार पैकेज्ड स्नैक्स खाते हैं. यानि स्नैकिंग अब सिर्फ कभी-कभार की आदत नहीं, बल्कि एक फिक्स्ड लाइफस्टाइल बन चुकी है. आज का उपभोक्ता समझदार हो चुका है. वह जानता है कि सिर्फ स्वाद से काम नहीं चलेगा, सेहत भी जरूरी है. लेकिन यह भी सच है कि स्वाद से कोई समझौता नहीं करना चाहता है. ये भी पढ़ें: हार्ट से लेकर किडनी तक, ज्यादा नमक खाने से ये चीजें हो सकती हैं खराब Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Healthy Snacking With Taste: कभी मूड फ्रेश करने के लिए, तो कभी भूख मिटाने के लिए, स्नैक्स आज हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन अब सवाल यह है कि लोग सिर्फ स्वाद के पीछे भाग रहे हैं या फिर सेहत को भी उतनी ही अहमियत दे रहे हैं? आज की फास्ट-फूड और फिटनेस के बीच झूलती दुनिया में एक नई सोच उभर रही है, स्वाद भी चाहिए और सेहत भी!
हेल्दी स्नैकिंग ट्रेंड अब तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि स्वाद की तलाश अभी भी लोगों की पहली प्राथमिकता बनी हुई है. आइए जानते हैं Healthy Snacking Report 2025 के आधार पर लोग क्या सोचते हैं, कितने लोग हेल्दी विकल्प चुनते हैं और स्वाद की तलाश में क्या-क्या समझौते करते हैं.
ये भी पढ़े- रेबीज के इंजेक्शन लगाने के बाद भी कुछ लोगों की क्यों हो जाती है मौत? ये रहा जवाब
स्नैकिंग का बदलता नजरिया
पहले स्नैक का मतलब था कुछ चटपटा, क्रिस्पी और टेस्टी, चाहे समोसा हो, चिप्स हों या नमकीन. लेकिन अब लोग धीरे-धीरे हेल्दी ऑप्शन्स की ओर बढ़ रहे हैं. हेल्थ अवेयरनेस बढ़ने के साथ-साथ लोगों ने यह समझा है कि, बार-बार जंक फूड खाना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार...
72% लोग अब हेल्दी विकल्प खोजते हैं
वे ऐसे स्नैक्स चाहते हैं जो कम फैट, कम शुगर और हाई फाइबर वाले हों.
94% लोग अब भी स्वाद को पहली प्राथमिकता मानते हैं
लोग हेल्दी स्नैक तो चाहते हैं, लेकिन स्वाद के बिना कुछ भी नहीं चलेगा कहते हैं.
क्या-क्या पसंद करते हैं लोग
मखाना में मसालेदार फ्लेवर
ओट्स या रागी से बने चिप्स
बेक्ड स्नैक्स जिनमें टेस्ट भी बना रहे
शुगर फ्री बिस्किट जिनका स्वाद मीठा महसूस हो
इसका मतलब यह है कि टेस्ट अभी भी सबसे बड़ा ट्रिगर बना हुआ है.
लोग कितनी बार खाते हैं स्नैक्स?
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 84% लोग हफ्ते में कई बार पैकेज्ड स्नैक्स खाते हैं. यानि स्नैकिंग अब सिर्फ कभी-कभार की आदत नहीं, बल्कि एक फिक्स्ड लाइफस्टाइल बन चुकी है.
आज का उपभोक्ता समझदार हो चुका है. वह जानता है कि सिर्फ स्वाद से काम नहीं चलेगा, सेहत भी जरूरी है. लेकिन यह भी सच है कि स्वाद से कोई समझौता नहीं करना चाहता है.
ये भी पढ़ें: हार्ट से लेकर किडनी तक, ज्यादा नमक खाने से ये चीजें हो सकती हैं खराब
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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