'स्टेबलाइजर भी खराब हो सकता है...', एअर इंडिया विमान हादसे पर बोले एक्सपर्ट

विमानन क्षेत्र के एक सलाहकर और अनुभवी पायलट ने सुझाव दिया है कि एअर इंडिया विमान दुर्घटना के जांचकर्ताओं को उड़ान संख्या एआई171 के स्टेबलाइजर में संभावित खराबी पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसके बारे में उनका मानना है कि संभवत: उससे विमान दुर्घटना के लिए हालात पैदा हुए. एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई171 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए प्रस्थान करने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में विमान में सवार 241 लोग और इलाके में अन्य 19 लोग मारे गए थे. गत 12 जुलाई को जारी जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, चालक दल ने अहमदाबाद में इंजीनियरों को स्टेबलाइजर में खराबी की सूचना दी थी, जिन्होंने उसे ठीक कर दिया था. विमानन विशेषज्ञ कैप्टन एहसान खालिद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जांचकर्ताओं को स्टेबलाइजर इनपुट डेटा के लिए भी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच करनी चाहिए, कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे सही से दुरुस्त नहीं किया गया हो और बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के उड़ान भरते ही दुर्घटना के हालात पैदा हो गए हों. स्टेबलाइजर विमान के पिछले हिस्से में होता है और पायलट के आदेश पर विमान के अगले हिस्से को ऊपर-नीचे करने में मदद करता है. खालिद ने कहा कि अगर ‘टेकऑफ रोल’ के दौरान स्टेबलाइजर में कोई खराबी आती है, तो उड़ान भरने वाले पायलट को निम्नलिखित याद किए गए नियम का पालन करना होता है: 'कंट्रोल कॉलम से एक हाथ हटाकर, झुककर थ्रस्ट लीवर असेंबली के नीचे स्थित स्टेबलाइजर कंट्रोल स्विच को बंद कर दें.' खालिद ने कहा कि हो सकता है कि विमान उड़ा रहे प्रथम अधिकारी ने स्टेबलाइजर को बंद करने के इरादे से गलती से दोनों इंजनों का ईंधन बंद कर दिया हो, जबकि दोनों स्विच छूने पर अलग-अलग महसूस होते हैं. उन्होंने कहा कि उड़ान भरने के दौरान पायलट विमान के आगे की तरफ ही देखते हैं और कहीं भी नहीं देखते ताकि विमान सुरक्षित रूप से ऊपर की ओर बढ़े. उन्होंने कहा, 'मुझे बोइंग के इस सिद्धांत से समस्या है. खराबी आने पर स्टेबलाइजर को बंद करने की जिम्मेदारी उड़ान भरने वाले पायलट की होती है, दूसरे पायलट की नहीं.'

Jul 17, 2025 - 17:30
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'स्टेबलाइजर भी खराब हो सकता है...', एअर इंडिया विमान हादसे पर बोले एक्सपर्ट

विमानन क्षेत्र के एक सलाहकर और अनुभवी पायलट ने सुझाव दिया है कि एअर इंडिया विमान दुर्घटना के जांचकर्ताओं को उड़ान संख्या एआई171 के स्टेबलाइजर में संभावित खराबी पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसके बारे में उनका मानना है कि संभवत: उससे विमान दुर्घटना के लिए हालात पैदा हुए.

एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई171 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए प्रस्थान करने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में विमान में सवार 241 लोग और इलाके में अन्य 19 लोग मारे गए थे.

गत 12 जुलाई को जारी जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, चालक दल ने अहमदाबाद में इंजीनियरों को स्टेबलाइजर में खराबी की सूचना दी थी, जिन्होंने उसे ठीक कर दिया था. विमानन विशेषज्ञ कैप्टन एहसान खालिद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जांचकर्ताओं को स्टेबलाइजर इनपुट डेटा के लिए भी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच करनी चाहिए, कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे सही से दुरुस्त नहीं किया गया हो और बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के उड़ान भरते ही दुर्घटना के हालात पैदा हो गए हों.

स्टेबलाइजर विमान के पिछले हिस्से में होता है और पायलट के आदेश पर विमान के अगले हिस्से को ऊपर-नीचे करने में मदद करता है. खालिद ने कहा कि अगर ‘टेकऑफ रोल’ के दौरान स्टेबलाइजर में कोई खराबी आती है, तो उड़ान भरने वाले पायलट को निम्नलिखित याद किए गए नियम का पालन करना होता है: 'कंट्रोल कॉलम से एक हाथ हटाकर, झुककर थ्रस्ट लीवर असेंबली के नीचे स्थित स्टेबलाइजर कंट्रोल स्विच को बंद कर दें.'

खालिद ने कहा कि हो सकता है कि विमान उड़ा रहे प्रथम अधिकारी ने स्टेबलाइजर को बंद करने के इरादे से गलती से दोनों इंजनों का ईंधन बंद कर दिया हो, जबकि दोनों स्विच छूने पर अलग-अलग महसूस होते हैं.

उन्होंने कहा कि उड़ान भरने के दौरान पायलट विमान के आगे की तरफ ही देखते हैं और कहीं भी नहीं देखते ताकि विमान सुरक्षित रूप से ऊपर की ओर बढ़े. उन्होंने कहा, 'मुझे बोइंग के इस सिद्धांत से समस्या है. खराबी आने पर स्टेबलाइजर को बंद करने की जिम्मेदारी उड़ान भरने वाले पायलट की होती है, दूसरे पायलट की नहीं.'

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