सोते-सोते क्यों हो जाती है लोगों की मौत? जानें इसके लक्षण और जान बचाने का तरीका
अक्सर कहा जाता है कि नींद में मौत सबसे शांति से जाने का तरीका है. लेकिन मेडिकल साइंस बताता है कि यह अक्सर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत होता है. डॉक्टरों के अनुसार, नींद के दौरान अचानक मौत ज़्यादातर हार्ट, लंग्स या ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के कारण होती है. चलिए आपको बताते हैं कि यह कैसे होता है और इसके पीछे कौन सी चीजें जिम्मेदार होती हैं. क्यों आता है अचानक हार्ट अटैक कार्डियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि नींद में मौत की सबसे बड़ी वजह Sudden Cardiac Arrest (SCA) है. इसमें दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है. यह समस्या खासतौर पर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, अनियमित धड़कन (arrhythmia) और हार्ट वॉल्व डिज़ऑर्डर से जुड़ी होती है. डॉ. प्रमोद कुमार (कार्डियोलॉजिस्ट, दिल्ली) बताते हैं, “यदि हार्ट डिजीज का समय पर पता चल जाए और मरीज नियमित जांच कराए, तो नींद में हार्ट फेल्योर से मौत का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है.” Obstructive Sleep Apnea (OSA) एक गंभीर नींद से जुड़ा विकार है, जिसमें सोते समय सांस रुक-रुक कर चलती है. इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरता है और दिल पर दबाव बढ़ता है. यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अचानक मौत का कारण बन सकता है. डॉ. मधुमाला कहती हैं कि कहती हैं, “CPAP थेरेपी, वजन कंट्रोल और शराब व धूम्रपान से परहेज़ नींद की गुणवत्ता सुधारने और OSA के खतरों को कम करने में मददगार हैं.” डायबिटीज टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीजों में रात में लो ब्लड शुगर (Hypoglycemia) के कारण अचानक मौत हो सकती है. इसे “Dead in Bed Syndrome” कहा जाता है. एंडोक्रिनोलॉजिस्ट्स की सलाह है कि मरीजों को सोने से पहले शुगर लेवल चेक करना चाहिए और इंसुलिन डोज़ डॉक्टर की गाइडलाइन के अनुसार ही लेनी चाहिए. एपीलिस्पी और एसयूडेप मिर्गी के मरीजों में Sudden Unexpected Death in Epilepsy (SUDEP) का खतरा होता है, जो अक्सर नींद के दौरान होता है.न्यूरोलॉजिस्ट्स के अनुसार, दवाइयां समय पर लेना, सीज़र मॉनिटरिंग डिवाइस का उपयोग करना और डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना SUDEP के खतरे को काफी हद तक कम करता है. स्ट्रोक और अन्य समस्याएं हाई बीपी , ब्लॉकेज या ब्रेन एनुरम रात में स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं. डॉ. संजय वर्मा (न्यूरोलॉजिस्ट) बताते हैं, “हाई बीपी को कंट्रोल रखना, कोलेस्ट्रॉल का ध्यान रखना और नियमित हेल्थ चेकअप कराना स्ट्रोक से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका है.” रिस्पेरिटरी की दिक्कत COPD, गंभीर अस्थमा या फेफड़ों के इंफेक्शन नींद के दौरान सांस रुकने की वजह बन सकते हैं. ऐसे मरीजों को नियमित दवा, इनहेलर और प्रदूषण से बचाव की सलाह दी जाती है. क्या-क्या चीज होती है जिम्मेदार धूम्रपान अधिक शराब मोटापा अनरेगुलर नींद ये सभी फैक्टर्स हार्ट और लंग्स की बीमारियों का खतरा बढ़ाकर नींद में मौत की संभावना को कई गुना कर देते हैं. नींद में मौत भले ही शांतिपूर्ण मानी जाती हो, लेकिन यह अक्सर गंभीर और छिपी हुई बीमारियों की तरफ इशारा करती है. हार्ट डिज़ीज, स्लीप एपनिया, डायबिटीज, स्ट्रोक और मिर्गी जैसी स्थितियां इसके पीछे की बड़ी वजहें हैं. डॉक्टरों की सलाह है कि समय पर जांच, दवाओं का पालन और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इन खतरों को काफी हद तक टाला जा सकता है. इसे भी पढ़ें- इस 1 विटामिन की कमी से आ सकता है हार्ट अटैक, कहीं आप में तो नहीं है इसकी कमी Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

अक्सर कहा जाता है कि नींद में मौत सबसे शांति से जाने का तरीका है. लेकिन मेडिकल साइंस बताता है कि यह अक्सर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत होता है. डॉक्टरों के अनुसार, नींद के दौरान अचानक मौत ज़्यादातर हार्ट, लंग्स या ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के कारण होती है. चलिए आपको बताते हैं कि यह कैसे होता है और इसके पीछे कौन सी चीजें जिम्मेदार होती हैं.
क्यों आता है अचानक हार्ट अटैक
कार्डियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि नींद में मौत की सबसे बड़ी वजह Sudden Cardiac Arrest (SCA) है. इसमें दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है. यह समस्या खासतौर पर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, अनियमित धड़कन (arrhythmia) और हार्ट वॉल्व डिज़ऑर्डर से जुड़ी होती है. डॉ. प्रमोद कुमार (कार्डियोलॉजिस्ट, दिल्ली) बताते हैं, “यदि हार्ट डिजीज का समय पर पता चल जाए और मरीज नियमित जांच कराए, तो नींद में हार्ट फेल्योर से मौत का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है.”
Obstructive Sleep Apnea (OSA) एक गंभीर नींद से जुड़ा विकार है, जिसमें सोते समय सांस रुक-रुक कर चलती है. इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरता है और दिल पर दबाव बढ़ता है. यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अचानक मौत का कारण बन सकता है. डॉ. मधुमाला कहती हैं कि कहती हैं, “CPAP थेरेपी, वजन कंट्रोल और शराब व धूम्रपान से परहेज़ नींद की गुणवत्ता सुधारने और OSA के खतरों को कम करने में मददगार हैं.”
डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीजों में रात में लो ब्लड शुगर (Hypoglycemia) के कारण अचानक मौत हो सकती है. इसे “Dead in Bed Syndrome” कहा जाता है. एंडोक्रिनोलॉजिस्ट्स की सलाह है कि मरीजों को सोने से पहले शुगर लेवल चेक करना चाहिए और इंसुलिन डोज़ डॉक्टर की गाइडलाइन के अनुसार ही लेनी चाहिए.
एपीलिस्पी और एसयूडेप
मिर्गी के मरीजों में Sudden Unexpected Death in Epilepsy (SUDEP) का खतरा होता है, जो अक्सर नींद के दौरान होता है.
न्यूरोलॉजिस्ट्स के अनुसार, दवाइयां समय पर लेना, सीज़र मॉनिटरिंग डिवाइस का उपयोग करना और डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना SUDEP के खतरे को काफी हद तक कम करता है.
स्ट्रोक और अन्य समस्याएं
हाई बीपी , ब्लॉकेज या ब्रेन एनुरम रात में स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं. डॉ. संजय वर्मा (न्यूरोलॉजिस्ट) बताते हैं, “हाई बीपी को कंट्रोल रखना, कोलेस्ट्रॉल का ध्यान रखना और नियमित हेल्थ चेकअप कराना स्ट्रोक से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका है.”
रिस्पेरिटरी की दिक्कत
COPD, गंभीर अस्थमा या फेफड़ों के इंफेक्शन नींद के दौरान सांस रुकने की वजह बन सकते हैं. ऐसे मरीजों को नियमित दवा, इनहेलर और प्रदूषण से बचाव की सलाह दी जाती है.
क्या-क्या चीज होती है जिम्मेदार
- धूम्रपान
- अधिक शराब
- मोटापा
- अनरेगुलर नींद
ये सभी फैक्टर्स हार्ट और लंग्स की बीमारियों का खतरा बढ़ाकर नींद में मौत की संभावना को कई गुना कर देते हैं.
नींद में मौत भले ही शांतिपूर्ण मानी जाती हो, लेकिन यह अक्सर गंभीर और छिपी हुई बीमारियों की तरफ इशारा करती है. हार्ट डिज़ीज, स्लीप एपनिया, डायबिटीज, स्ट्रोक और मिर्गी जैसी स्थितियां इसके पीछे की बड़ी वजहें हैं. डॉक्टरों की सलाह है कि समय पर जांच, दवाओं का पालन और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इन खतरों को काफी हद तक टाला जा सकता है.
इसे भी पढ़ें- इस 1 विटामिन की कमी से आ सकता है हार्ट अटैक, कहीं आप में तो नहीं है इसकी कमी
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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