सिगरेट पीने से ज्यादा खतरनाक है भांग खाना, हो सकता है यह खौफनाक कैंसर
यह संभव है कि भांग भी कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भांग के धुएं में तंबाकू के धुएं जैसे ही कई कैंसर पैदा करने वाले एलिमेंट्स होते हैं. वहीं, जो लोग भांग पीते हैं…वे हर कश में ज्यादा स्मोक इनहेल करते हैं और उसे अपने लंग्स में तंबाकू सिगरेट पीने वालों की तुलना में ज्यादा देर तक होल्ड करके रखते हैं. ऐसे में लॉन्ग टाइम तक भांग यूज करने से कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है, स्पेशली लंग्स, हेड और नेक कैंसर का. नई स्टडी में सामने आई यह बात नई स्टडी ने ऐसे ही कई चौंकाने वाली तथ्य सामने रखे हैं. लंबे टाइम तक भांग का कंजम्पशन ओरल कैंसर के रिस्क को काफी बढ़ा सकता है. यह रिस्क इतना है कि यह रेगुलर सिगरेट पीने वालों के रिस्क के कंपेरेबल है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन डिएगो के रिसर्चर्स ने पाया है कि भांग यूज डिसऑर्डर वाले इंडिविजुअल्स में ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी बहुत ज्यादा होती है. इतने मरीजों पर की गई रिसर्च कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा 45,000 से ज्यादा पेशेंट्स की हेल्थ रिपोर्ट्स को एग्जामिन किया गया. इसमें पाया गया कि सीयूडी से पीड़ित इंडिविजुअल्स में पांच सालों के अंदर ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी उन लोगों की तुलना में थ्री टाइम्स ज्यादा होती है, जो भांग का कंजम्पशन नहीं करते. रिसर्चर्स ने बताया कि भांग के स्मोक में तंबाकू के स्मोक में पाए जाने वाले कई कार्सिनोजेनिक कंपाउंड्स होते हैं, जिनके मुह के एपिथेलियल टिशू पर हार्मफुल इफेक्ट्स पड़ते हैं. स्मोक में छिपे हार्मफुल केमिकल्स हमारा मुंह सेंसिटिव टिशूज, ब्लड वेसल्स और म्यूकस मेंब्रेन से बना होता है, जो लॉन्ग टर्म हॉट स्मोक, टॉक्सिक कंपाउंड्स या किसी भी ऐसी चीज के एक्सपोजर में आने पर बुरी तरह रिएक्ट कर सकते हैं, जो मुंह की लाइनिंग को इरिटेट करती है. जब आप भांग पीते हैं, तो आप अपने मुंह को वही हार्मफुल केमिकल्स के एक्सपोजर में लाते हैं, जो तंबाकू में भी पाए जाते हैं, जैसे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, वोल्टाइल आर्गेनिक कम्पाउंड्स आदि. ये वही टॉक्सिक एलिमेंट्स हैं, जो सेल्स को डैमेज करते हैं और कैंसर की डेवलपमेंट को प्रमोट करते हैं. भांग और सिगरेट में क्या है अंतर? तंबाकू को लंबे टाइम से ओरल कैंसर का कारण माना जाता रहा है. इस स्टडी से पता चलता है कि भांग भी उतना बेहतर नहीं है, खासकर अगर आप इसके रेगुलर यूजर हैं. दरअसल, जो लोग पांच या उससे ज्यादा सालों तक वीक में कम से कम एक बार भांग पीते थे, उनमें प्री-कैंसरस मुंह के घाव होने का रिस्क काफी ज्यादा था. यह स्टडी बस एक रिमाइंडर है कि हालाँकि भांग लीगल है और कई लोगों के लिए बेनेफिशियल भी है, लेकिन यह बायोलॉजी के रूल्स से अछूता नहीं है. ये भी पढ़ें: किडनी की इस बीमारी ने छीन लीं सत्यपाल मलिक की सांसें, जानिए कितनी गंभीर होती है ये दिक्कत? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह संभव है कि भांग भी कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भांग के धुएं में तंबाकू के धुएं जैसे ही कई कैंसर पैदा करने वाले एलिमेंट्स होते हैं. वहीं, जो लोग भांग पीते हैं…वे हर कश में ज्यादा स्मोक इनहेल करते हैं और उसे अपने लंग्स में तंबाकू सिगरेट पीने वालों की तुलना में ज्यादा देर तक होल्ड करके रखते हैं. ऐसे में लॉन्ग टाइम तक भांग यूज करने से कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है, स्पेशली लंग्स, हेड और नेक कैंसर का.
नई स्टडी में सामने आई यह बात
नई स्टडी ने ऐसे ही कई चौंकाने वाली तथ्य सामने रखे हैं. लंबे टाइम तक भांग का कंजम्पशन ओरल कैंसर के रिस्क को काफी बढ़ा सकता है. यह रिस्क इतना है कि यह रेगुलर सिगरेट पीने वालों के रिस्क के कंपेरेबल है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन डिएगो के रिसर्चर्स ने पाया है कि भांग यूज डिसऑर्डर वाले इंडिविजुअल्स में ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी बहुत ज्यादा होती है.
इतने मरीजों पर की गई रिसर्च
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा 45,000 से ज्यादा पेशेंट्स की हेल्थ रिपोर्ट्स को एग्जामिन किया गया. इसमें पाया गया कि सीयूडी से पीड़ित इंडिविजुअल्स में पांच सालों के अंदर ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी उन लोगों की तुलना में थ्री टाइम्स ज्यादा होती है, जो भांग का कंजम्पशन नहीं करते. रिसर्चर्स ने बताया कि भांग के स्मोक में तंबाकू के स्मोक में पाए जाने वाले कई कार्सिनोजेनिक कंपाउंड्स होते हैं, जिनके मुह के एपिथेलियल टिशू पर हार्मफुल इफेक्ट्स पड़ते हैं.
स्मोक में छिपे हार्मफुल केमिकल्स
हमारा मुंह सेंसिटिव टिशूज, ब्लड वेसल्स और म्यूकस मेंब्रेन से बना होता है, जो लॉन्ग टर्म हॉट स्मोक, टॉक्सिक कंपाउंड्स या किसी भी ऐसी चीज के एक्सपोजर में आने पर बुरी तरह रिएक्ट कर सकते हैं, जो मुंह की लाइनिंग को इरिटेट करती है. जब आप भांग पीते हैं, तो आप अपने मुंह को वही हार्मफुल केमिकल्स के एक्सपोजर में लाते हैं, जो तंबाकू में भी पाए जाते हैं, जैसे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, वोल्टाइल आर्गेनिक कम्पाउंड्स आदि. ये वही टॉक्सिक एलिमेंट्स हैं, जो सेल्स को डैमेज करते हैं और कैंसर की डेवलपमेंट को प्रमोट करते हैं.
भांग और सिगरेट में क्या है अंतर?
तंबाकू को लंबे टाइम से ओरल कैंसर का कारण माना जाता रहा है. इस स्टडी से पता चलता है कि भांग भी उतना बेहतर नहीं है, खासकर अगर आप इसके रेगुलर यूजर हैं. दरअसल, जो लोग पांच या उससे ज्यादा सालों तक वीक में कम से कम एक बार भांग पीते थे, उनमें प्री-कैंसरस मुंह के घाव होने का रिस्क काफी ज्यादा था. यह स्टडी बस एक रिमाइंडर है कि हालाँकि भांग लीगल है और कई लोगों के लिए बेनेफिशियल भी है, लेकिन यह बायोलॉजी के रूल्स से अछूता नहीं है.
ये भी पढ़ें: किडनी की इस बीमारी ने छीन लीं सत्यपाल मलिक की सांसें, जानिए कितनी गंभीर होती है ये दिक्कत?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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