साइलेंट किलर डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है, जानिए लक्षण, कारण और बचाव
Diabetic Retinopathy Symptoms: मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है. लोग अक्सर सोचते हैं कि डायबिटीज केवल शुगर लेवल बढ़ाती है, लेकिन सच यह है कि यह हृदय, गुर्दे, नसों और आंखों तक को नुकसान पहुंचा सकती है. आंख हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है और इसी की एक समस्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी, जिसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है. डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है? मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ऋतुराज बरुआ बताते हैं कि, रेटिना आंख का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है, जहां पर सबसे छोटे रक्त वाहिकाएं यानी कैपिलरीज़ मौजूद रहती हैं. जब डायबिटीज लंबे समय तक नियंत्रित नहीं रहती तो ये नाजुक रक्त वाहिकाएं कमजोर होकर लीक करने लगती हैं. इससे रेटिना के आसपास की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और धीरे-धीरे दृष्टि धुंधली होने लगती है. ये भी पढ़े- पशुपालन मंत्रालय की ऐतिहासिक पहल, जानवरों के लिए ब्लड बैंक और ट्रांसफ्यूजन SOP जारी शुरुआती खतरे क्यों नहीं समझ आते? डायबिटिक रेटिनोपैथी धीरे-धीरे बढ़ती है मरीज को शुरू में कोई दर्द या स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते यही वजह है कि जब तक व्यक्ति को धुंधलापन, धब्बे या दृष्टि बाधा महसूस होती है, तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है नियमित जांच है सबसे बड़ा बचाव हर 6 महीने में एक बार नेत्र विशेषज्ञ से रेटिना की जांच ज़रूर करानी चाहिए जांच से पहले दवा डालकर पुतलियों को फैलाया जाता है, ताकि डॉक्टर कैपिलरीज़ की स्थिति देख सकें यदि रिसाव शुरुआती स्तर पर दिखे तो इसका मतलब है कि शरीर के अन्य हिस्सों जैसे किडनी, नेफ्रोपैथी, नसें ऐसे समय पर सही इलाज से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है इलाज के विकल्प शुरुआती अवस्था – दवाओं और नियमित निगरानी से नियंत्रित किया जा सकता है मध्यम अवस्था – आंखों में लेजर ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है गंभीर अवस्था – डॉक्टर को आंख में इंजेक्शन या अन्य एडवांस इलाज करना पड़ता है लक्षण अनदेखा न करें दृष्टि धुंधली होना आंखों के सामने तैरते धब्बे या फ्लोटर्स दिखना दृष्टि क्षेत्र (Field of Vision) में किसी खास हिस्से पर साफ न देख पाना गंभीर स्थिति में दृष्टि लगभग समाप्त हो जाना डायबिटिक रेटिनोपैथी एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली समस्या है. समय पर जांच, ब्लड शुगर कंट्रोल और डॉक्टर की सलाह से इस खतरे को रोका जा सकता है. डायबिटीज केवल शुगर नहीं बढ़ाती, यह आंखों की रोशनी भी छीन सकती है. ये भी पढ़ें: बदल रहा है पेशाब का रंग, कहीं पित्त की थैली में पथरी तो नहीं? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Diabetic Retinopathy Symptoms: मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है. लोग अक्सर सोचते हैं कि डायबिटीज केवल शुगर लेवल बढ़ाती है, लेकिन सच यह है कि यह हृदय, गुर्दे, नसों और आंखों तक को नुकसान पहुंचा सकती है. आंख हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है और इसी की एक समस्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी, जिसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?
मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ऋतुराज बरुआ बताते हैं कि, रेटिना आंख का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है, जहां पर सबसे छोटे रक्त वाहिकाएं यानी कैपिलरीज़ मौजूद रहती हैं. जब डायबिटीज लंबे समय तक नियंत्रित नहीं रहती तो ये नाजुक रक्त वाहिकाएं कमजोर होकर लीक करने लगती हैं. इससे रेटिना के आसपास की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और धीरे-धीरे दृष्टि धुंधली होने लगती है.
ये भी पढ़े- पशुपालन मंत्रालय की ऐतिहासिक पहल, जानवरों के लिए ब्लड बैंक और ट्रांसफ्यूजन SOP जारी
शुरुआती खतरे क्यों नहीं समझ आते?
- डायबिटिक रेटिनोपैथी धीरे-धीरे बढ़ती है
- मरीज को शुरू में कोई दर्द या स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते
- यही वजह है कि जब तक व्यक्ति को धुंधलापन, धब्बे या दृष्टि बाधा महसूस होती है, तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है
- नियमित जांच है सबसे बड़ा बचाव
- हर 6 महीने में एक बार नेत्र विशेषज्ञ से रेटिना की जांच ज़रूर करानी चाहिए
- जांच से पहले दवा डालकर पुतलियों को फैलाया जाता है, ताकि डॉक्टर कैपिलरीज़ की स्थिति देख सकें
- यदि रिसाव शुरुआती स्तर पर दिखे तो इसका मतलब है कि शरीर के अन्य हिस्सों जैसे किडनी, नेफ्रोपैथी, नसें
- ऐसे समय पर सही इलाज से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है
इलाज के विकल्प
- शुरुआती अवस्था – दवाओं और नियमित निगरानी से नियंत्रित किया जा सकता है
- मध्यम अवस्था – आंखों में लेजर ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है
- गंभीर अवस्था – डॉक्टर को आंख में इंजेक्शन या अन्य एडवांस इलाज करना पड़ता है
लक्षण अनदेखा न करें
- दृष्टि धुंधली होना
- आंखों के सामने तैरते धब्बे या फ्लोटर्स दिखना
- दृष्टि क्षेत्र (Field of Vision) में किसी खास हिस्से पर साफ न देख पाना
- गंभीर स्थिति में दृष्टि लगभग समाप्त हो जाना
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली समस्या है. समय पर जांच, ब्लड शुगर कंट्रोल और डॉक्टर की सलाह से इस खतरे को रोका जा सकता है. डायबिटीज केवल शुगर नहीं बढ़ाती, यह आंखों की रोशनी भी छीन सकती है.
ये भी पढ़ें: बदल रहा है पेशाब का रंग, कहीं पित्त की थैली में पथरी तो नहीं?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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