रोजगार, डेयरी और मछली पालन... अमित शाह लॉन्च करेंगे नई सहकारी नीति; जानें अगले 20 साल का क्या होगा टारगेट?

भारत के सहकारी क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह 24 जुलाई, गुरुवार को राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 लॉन्च करेंगे, जो इस साल से अगले बीस वर्षों तक प्रभावी रहेगी. यह नीति 2002 की पुरानी नीति की जगह लेगी, जिसने सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक आधारभूत ढांचा प्रदान किया था. सहकारिता के पुनरुद्धार और आधुनिकीकरण पर जोरनई नीति का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और आधुनिक बनाना है. इसमें जमीनी स्तर पर रोडमैप तैयार कर ‘सहकारिता के माध्यम से समृद्धि’ हासिल करने की बात कही गई है. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सहकारी संस्थाएं सभी के लिए सुलभ हों, कुशलता और पेशेवर तरीके से संचालित हों, भविष्य की जरूरतों के अनुरूप हों और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार व आय के अवसर पैदा करें. 2002 की नीति क्यों बदली जा रही है?सहकारिता मंत्रालय का मानना है कि पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी नवाचार के कारण समाज, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बदलाव आया है. ऐसे में यह आवश्यक हो गया कि एक नई नीति लाई जाए, ताकि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में सहकारी संस्थाओं को अधिक सक्रिय और उपयोगी बनाया जा सके और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य में सहकारी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत किया जा सके. सहकारिता आंदोलन में गिरावट के तीन बड़े कारणअमित शाह ने सहकारी आंदोलन की गिरती स्थिति के लिए तीन मुख्य कारण बताए- पुराने कानून जो समय के साथ नहीं बदले सहकारी गतिविधियों का विकास और विस्तार नहीं हुआ भर्ती प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अब इन कानूनों में संशोधन किया है और इन समस्याओं के समाधान के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) की कल्पना की है. राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 से क्या उम्मीदें?नई नीति से देश के 140 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा और रोजगार के बड़े अवसर तैयार होंगे. अमित शाह ने बताया कि अगले पांच वर्षों में देश के हर गांव में सहकारी संस्थाएं स्थापित की जाएंगी. फरवरी 2026 तक 2 लाख प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज (PACS) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है. यह घोषणा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) 2025 के अवसर पर राज्य सहकारिता मंत्रियों की बैठक में की. डेयरी, मत्स्य और अनाज भंडारण पर भी जोरबैठक के दौरान सहकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा की गई. इसमें डेयरी और मछली पालन क्षेत्र में सहकारिता के विकास और सहकारी क्षेत्र के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई. राज्यों को सहकारी नीति लाने का निर्देशअमित शाह ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे 31 जनवरी 2026 तक अपनी-अपनी राज्य स्तरीय सहकारी नीतियां तैयार करें. उन्होंने यह भी बताया कि अब सहकारी बैंकों को बैंकिंग अधिनियम के तहत लाया गया है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी लचीला रुख अपनाते हुए कई समस्याओं का समाधान किया है. हर गांव तक पहुंचे सहकारिता की भावनाशाह ने कहा कि देश का कोई भी गांव ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कोई सहकारी संस्था न हो. इस लक्ष्य को पाने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव डेटाबेस का पूरा उपयोग किया जाएगा. 48 सदस्यीय समिति ने तैयार की नई नीतिनई राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु के नेतृत्व में बनी 48 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति ने तैयार किया है. इस समिति में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सहकारी संघों के प्रतिनिधि, विभिन्न क्षेत्रों की सहकारी समितियों के सदस्य, केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित मंत्रालयों या विभागों के अधिकारी और शिक्षाविद शामिल थे. सुझावों के आधार पर बनी नीतिइस नीति को समावेशी और भागीदारी आधारित बनाने के लिए समिति ने 17 बैठकें कीं और अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं. कुल 648 सुझाव विभिन्न हितधारकों से प्राप्त हुए, जिन्हें सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद नीति में शामिल किया गया.

Jul 23, 2025 - 21:30
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रोजगार, डेयरी और मछली पालन... अमित शाह लॉन्च करेंगे नई सहकारी नीति; जानें अगले 20 साल का क्या होगा टारगेट?

भारत के सहकारी क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह 24 जुलाई, गुरुवार को राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 लॉन्च करेंगे, जो इस साल से अगले बीस वर्षों तक प्रभावी रहेगी. यह नीति 2002 की पुरानी नीति की जगह लेगी, जिसने सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक आधारभूत ढांचा प्रदान किया था.

सहकारिता के पुनरुद्धार और आधुनिकीकरण पर जोर
नई नीति का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और आधुनिक बनाना है. इसमें जमीनी स्तर पर रोडमैप तैयार कर ‘सहकारिता के माध्यम से समृद्धि’ हासिल करने की बात कही गई है. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सहकारी संस्थाएं सभी के लिए सुलभ हों, कुशलता और पेशेवर तरीके से संचालित हों, भविष्य की जरूरतों के अनुरूप हों और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार व आय के अवसर पैदा करें.

2002 की नीति क्यों बदली जा रही है?
सहकारिता मंत्रालय का मानना है कि पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी नवाचार के कारण समाज, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बदलाव आया है. ऐसे में यह आवश्यक हो गया कि एक नई नीति लाई जाए, ताकि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में सहकारी संस्थाओं को अधिक सक्रिय और उपयोगी बनाया जा सके और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य में सहकारी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत किया जा सके.

सहकारिता आंदोलन में गिरावट के तीन बड़े कारण
अमित शाह ने सहकारी आंदोलन की गिरती स्थिति के लिए तीन मुख्य कारण बताए-

  • पुराने कानून जो समय के साथ नहीं बदले
  • सहकारी गतिविधियों का विकास और विस्तार नहीं हुआ
  • भर्ती प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अब इन कानूनों में संशोधन किया है और इन समस्याओं के समाधान के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) की कल्पना की है.

राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 से क्या उम्मीदें?
नई नीति से देश के 140 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा और रोजगार के बड़े अवसर तैयार होंगे. अमित शाह ने बताया कि अगले पांच वर्षों में देश के हर गांव में सहकारी संस्थाएं स्थापित की जाएंगी. फरवरी 2026 तक 2 लाख प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज (PACS) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है. यह घोषणा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) 2025 के अवसर पर राज्य सहकारिता मंत्रियों की बैठक में की.

डेयरी, मत्स्य और अनाज भंडारण पर भी जोर
बैठक के दौरान सहकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा की गई. इसमें डेयरी और मछली पालन क्षेत्र में सहकारिता के विकास और सहकारी क्षेत्र के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई.

राज्यों को सहकारी नीति लाने का निर्देश
अमित शाह ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे 31 जनवरी 2026 तक अपनी-अपनी राज्य स्तरीय सहकारी नीतियां तैयार करें. उन्होंने यह भी बताया कि अब सहकारी बैंकों को बैंकिंग अधिनियम के तहत लाया गया है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी लचीला रुख अपनाते हुए कई समस्याओं का समाधान किया है.

हर गांव तक पहुंचे सहकारिता की भावना
शाह ने कहा कि देश का कोई भी गांव ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कोई सहकारी संस्था न हो. इस लक्ष्य को पाने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव डेटाबेस का पूरा उपयोग किया जाएगा.

48 सदस्यीय समिति ने तैयार की नई नीति
नई राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु के नेतृत्व में बनी 48 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति ने तैयार किया है. इस समिति में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सहकारी संघों के प्रतिनिधि, विभिन्न क्षेत्रों की सहकारी समितियों के सदस्य, केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित मंत्रालयों या विभागों के अधिकारी और शिक्षाविद शामिल थे.

सुझावों के आधार पर बनी नीति
इस नीति को समावेशी और भागीदारी आधारित बनाने के लिए समिति ने 17 बैठकें कीं और अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं. कुल 648 सुझाव विभिन्न हितधारकों से प्राप्त हुए, जिन्हें सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद नीति में शामिल किया गया.

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