रुपये की दहाड़ के आगे सहम गया ट्रंप का डॉलर, चीन से डील के बाद भी नहीं जा रहा डर
Indian Rupee Stronger: सीमा पर पाकिस्तान से सीजफायर के बाद से भारतीय रुपये में लगातार उछाल देखा जा रहा है. एक समय डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी के रिकॉर्ड 86 पर पहुंचने के बाद एक बार फिर से इसमें उछाल देखने को मिल रहा है. बुधवार 14 मई को रुपया शुरुआती कारोबार में 31 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मानना है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल की वजह से आने वाले दिनों में रुपये पर दबाव पड़ सकता है. हालांकि, पिछले कुछ सत्रों में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 66 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है. साथ ही, फॉरेन कैपिटल की निकासी ने भी घरेलू मुद्रा की बढ़त को कुछ हद तक सीमित किया. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 85.05 पर खुला जो पिछले बंद भाव से 31 पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपये में दिखा जोश शुरुआती कारोबार में ये डॉलर के मुकाबले 85.23 पर भी पहुंचा था. मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.36 पर स्थिर रहा था. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.95 पर रहा. शेयर बाजार की बात करे तो इसमें उछाल देखा गया. घरेलू शेयर बाजार में BSE सेंसेक्स 250.80 अंक की बढ़त के साथ 81,399.02 अंक पर जबकि निफ्टी 58.45 अंक चढ़कर 24,636.80 अंक पर रहा. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 66.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा. शेयर बाजार में भी उछाल शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक मंगलवार को बिकवाली कर रहे थे. उन्होंने शुद्ध रूप से 476.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. गौरतलब है कि सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई. इससे RBI के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी. मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी. ये भी पढ़ें: ट्रंप नहीं इस्तेमाल कर पाएंगे 3000 हजार करोड़ वाला बेशकीमती गिफ्ट, जानें क्या है वजह

Indian Rupee Stronger: सीमा पर पाकिस्तान से सीजफायर के बाद से भारतीय रुपये में लगातार उछाल देखा जा रहा है. एक समय डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी के रिकॉर्ड 86 पर पहुंचने के बाद एक बार फिर से इसमें उछाल देखने को मिल रहा है. बुधवार 14 मई को रुपया शुरुआती कारोबार में 31 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मानना है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल की वजह से आने वाले दिनों में रुपये पर दबाव पड़ सकता है. हालांकि, पिछले कुछ सत्रों में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 66 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है. साथ ही, फॉरेन कैपिटल की निकासी ने भी घरेलू मुद्रा की बढ़त को कुछ हद तक सीमित किया. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 85.05 पर खुला जो पिछले बंद भाव से 31 पैसे की बढ़त दर्शाता है.
रुपये में दिखा जोश
शुरुआती कारोबार में ये डॉलर के मुकाबले 85.23 पर भी पहुंचा था. मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.36 पर स्थिर रहा था. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.95 पर रहा.
शेयर बाजार की बात करे तो इसमें उछाल देखा गया. घरेलू शेयर बाजार में BSE सेंसेक्स 250.80 अंक की बढ़त के साथ 81,399.02 अंक पर जबकि निफ्टी 58.45 अंक चढ़कर 24,636.80 अंक पर रहा. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 66.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा.
शेयर बाजार में भी उछाल
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक मंगलवार को बिकवाली कर रहे थे. उन्होंने शुद्ध रूप से 476.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. गौरतलब है कि सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई.
इससे RBI के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी. मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी.
ये भी पढ़ें: ट्रंप नहीं इस्तेमाल कर पाएंगे 3000 हजार करोड़ वाला बेशकीमती गिफ्ट, जानें क्या है वजह
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