राहुल गांधी के दावों पर चुनाव आयोग ने कसा तंज, कहा- ‘मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देना नई आदत’
ECI on Rahul Gandhi Remarks: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की ओर से लगातार धांधली का आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि, चुनाव आयोग की तरफ से राहुल गांधी के इस आरोप का एक बार पहले भी सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया जा चुका है. इसके बाद एक बार फिर से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार (7 जून, 2025) को महाराष्ट्र चुनाव में हेराफेरी का बड़ा आरोप लगाया और एक-एक कर बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कैसे धांधली की गई और भाजपा (BJP) को फायदा पहुंचाया गया. राहुल गांधी ने इसे नाम दिया 'चुनाव कैसे चुराया जाए?' दरअसल, अंग्रेजी अखबार में छपे 'मैच-फिक्सिंग महाराष्ट्र' शीर्षक वाले लेख को राहुल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया. इसमें उन्होंने 'चुनाव कैसे चुराया जाता है?' के नाम से चरणबद्ध तरीके से बताया कि उनके अनुसार इस चुनाव में कैसे यह गड़बड़ी की गई. राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में पर लिखा, “2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की एक सुनियोजित योजना थी.” उन्होंने ट्वीट में यह भी दावा कर दिया कि बीजेपी की नजर अब बिहार विधानसभा चुनाव पर है, जो इस साल के अंत में होने वाला है. राहुल गांधी ने लिखा, “महाराष्ट्र में जो मैच-फिक्सिंग हुई, वही अब बिहार में होगी और फिर यह हर उस जगह पहुंचेगी, जहां बीजेपी हार रही है.” राहुल ने लगाए आरोप तो चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से एक बार फिर से जवाब दिया गया है. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा, ''मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देना अब एक नई और बेतुकी आदत बन चुकी है.'' चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को उनकी तरफ से किए गए सवालों का जवाब पहले ही 24 दिसंबर, 2024 को दिया जा चुका है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि उन्हें दिया गया जवाब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद और कानून का अपमान बताया. इस तरह का बयान चुनाव आयोग के साथ देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला चुनाव आयोग ने इसके साथ ही कहा कि इस तरह की भाषा लोकतंत्र के लिए जहर जैसी है. चुनाव आयोग को बदनाम करना, केवल एक संस्थान पर नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है. इससे पहले भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए आधारहीन और अनुचित दावों का बिंदुवार जवाब दिया था और वास्तविक तथ्यों को सामने रखा था. तब राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता के साथ समझौता किया गया है. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का तब उदाहरण दिया था. इसका जवाब चुनाव आयोग की तरफ से दिया गया था. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की दावों को किया खारिज राहुल गांधी ने तब मतदान के आखिरी दो घंटों में 65 लाख वोट डाले जाने के चुनाव आयोग के तर्क पर सवाल उठाते हुए इसे असंभव बताया था. चुनाव आयोग ने इसके बाद जारी बयान में कांग्रेस सांसद के दावों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े तथ्य और डेटा साझा किए थे. आयोग ने तब कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 से शाम 6 बजे तक कुल 6,40,87,588 मतदाता मतदान केंद्र पहुंचे और अपने वोट डाले. औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के हिसाब से अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाताओं का वोट डालना संभव था. कांग्रेस के एजेंटों ने चुनाव में किसी भी असामान्य मतदान के आरोप नहीं लगाए थे- आयोग निर्वाचन आयोग ने तब कहा था कि इसके अलावा उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंटों के सामने मतदान हो रहा था. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (RO) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय भी किसी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुख्ता आरोप नहीं लगाए थे. मतदाता सूची में नाम जोड़ने के आरोप पर आयोग ने दिया बयान मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम जोड़े जाने के आरोप पर चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र सहित देश में मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की गई है. नियम के अनुसार, या तो चुनाव से ठीक पहले और/या हर साल एक बार, मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूची की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है. आयोग ने आगे कहा था कि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (डीएम) के समक्ष केवल 89 अपील दायर की गई और द्वितीय अपीलीय प्राधिकरण (सीईओ) के समक्ष केवल एक अपील दायर की गई. आयोग ने तब कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2024 से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं थी. चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि उसने 24 दिसंबर, 2024 को कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के मुद्दों को बार-बार उठाकर इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है. चुनाव आयोग ने पार्टी के आरोप को कहा शासन का अपमान चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा था, "मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए ERO की ओर से नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की ओर से 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें कांग्रेस की ओर से 27,099 एजेंट नियुक्त किए गए थे. इस

ECI on Rahul Gandhi Remarks: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की ओर से लगातार धांधली का आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि, चुनाव आयोग की तरफ से राहुल गांधी के इस आरोप का एक बार पहले भी सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया जा चुका है. इसके बाद एक बार फिर से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार (7 जून, 2025) को महाराष्ट्र चुनाव में हेराफेरी का बड़ा आरोप लगाया और एक-एक कर बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कैसे धांधली की गई और भाजपा (BJP) को फायदा पहुंचाया गया.
राहुल गांधी ने इसे नाम दिया 'चुनाव कैसे चुराया जाए?'
दरअसल, अंग्रेजी अखबार में छपे 'मैच-फिक्सिंग महाराष्ट्र' शीर्षक वाले लेख को राहुल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया. इसमें उन्होंने 'चुनाव कैसे चुराया जाता है?' के नाम से चरणबद्ध तरीके से बताया कि उनके अनुसार इस चुनाव में कैसे यह गड़बड़ी की गई.
राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में पर लिखा, “2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की एक सुनियोजित योजना थी.” उन्होंने ट्वीट में यह भी दावा कर दिया कि बीजेपी की नजर अब बिहार विधानसभा चुनाव पर है, जो इस साल के अंत में होने वाला है. राहुल गांधी ने लिखा, “महाराष्ट्र में जो मैच-फिक्सिंग हुई, वही अब बिहार में होगी और फिर यह हर उस जगह पहुंचेगी, जहां बीजेपी हार रही है.”
राहुल ने लगाए आरोप तो चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब
राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से एक बार फिर से जवाब दिया गया है. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा, ''मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देना अब एक नई और बेतुकी आदत बन चुकी है.''
चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को उनकी तरफ से किए गए सवालों का जवाब पहले ही 24 दिसंबर, 2024 को दिया जा चुका है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि उन्हें दिया गया जवाब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद और कानून का अपमान बताया.
इस तरह का बयान चुनाव आयोग के साथ देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला
चुनाव आयोग ने इसके साथ ही कहा कि इस तरह की भाषा लोकतंत्र के लिए जहर जैसी है. चुनाव आयोग को बदनाम करना, केवल एक संस्थान पर नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है.
इससे पहले भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए आधारहीन और अनुचित दावों का बिंदुवार जवाब दिया था और वास्तविक तथ्यों को सामने रखा था.
तब राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता के साथ समझौता किया गया है. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का तब उदाहरण दिया था. इसका जवाब चुनाव आयोग की तरफ से दिया गया था.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की दावों को किया खारिज
राहुल गांधी ने तब मतदान के आखिरी दो घंटों में 65 लाख वोट डाले जाने के चुनाव आयोग के तर्क पर सवाल उठाते हुए इसे असंभव बताया था. चुनाव आयोग ने इसके बाद जारी बयान में कांग्रेस सांसद के दावों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े तथ्य और डेटा साझा किए थे.
आयोग ने तब कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 से शाम 6 बजे तक कुल 6,40,87,588 मतदाता मतदान केंद्र पहुंचे और अपने वोट डाले. औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के हिसाब से अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाताओं का वोट डालना संभव था.
कांग्रेस के एजेंटों ने चुनाव में किसी भी असामान्य मतदान के आरोप नहीं लगाए थे- आयोग
निर्वाचन आयोग ने तब कहा था कि इसके अलावा उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंटों के सामने मतदान हो रहा था. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (RO) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय भी किसी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुख्ता आरोप नहीं लगाए थे.
मतदाता सूची में नाम जोड़ने के आरोप पर आयोग ने दिया बयान
मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम जोड़े जाने के आरोप पर चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र सहित देश में मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की गई है. नियम के अनुसार, या तो चुनाव से ठीक पहले और/या हर साल एक बार, मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूची की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है.
आयोग ने आगे कहा था कि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (डीएम) के समक्ष केवल 89 अपील दायर की गई और द्वितीय अपीलीय प्राधिकरण (सीईओ) के समक्ष केवल एक अपील दायर की गई. आयोग ने तब कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2024 से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं थी.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि उसने 24 दिसंबर, 2024 को कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के मुद्दों को बार-बार उठाकर इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने पार्टी के आरोप को कहा शासन का अपमान
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा था, "मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए ERO की ओर से नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की ओर से 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें कांग्रेस की ओर से 27,099 एजेंट नियुक्त किए गए थे. इसलिए, महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं."
गलत सूचना फैलाने पर चुनाव आयोग ने की आलोचना
आयोग ने गलत सूचना फैलाने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना भी की थी और इसे कानून के शासन का अपमान बताया था. उसने बयान में कहा था, "किसी की ओर से फैलाई जा रही कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को भी बदनाम करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों को हतोत्साहित करती है, जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं."
राहुल गांधी की टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने जताई आपत्ति
राहुल गांधी की 'चुनाव आयोग की निष्पक्षता से समझौता' वाली टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आयोग ने कहा था कि ऐसी टिप्पणियों का उद्देश्य चुनाव आयोग को बदनाम करना है, जो पूरी तरह से बेतुका है. आयोग की तरफ से पूरी बात क्रमवार रख देने के बाद एक बार फिर से राहुल गांधी ने वही किया जो वह पहले कर चुके थे, उन्होंने एक बार फिर लेख लिखकर महाराष्ट्र चुनाव और चुनाव आयोग दोनों पर सवाल उठाया. जिसका जवाब चुनाव आयोग की तरफ से दिया गया.
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