यूपी के कई स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक, डिजिटल एजुकेशन से लेकर इन मामलों में भी पिछड़ा
उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हाल ही में सामने आई रिपोर्ट ने कई चिंताओं को जन्म दिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी की गई UDISE+ 2024-25 रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 9,508 ऐसे स्कूल हैं जिनमें केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है. ये अकेले शिक्षक कुल 6.2 लाख छात्रों को पढ़ा रहे हैं. वहीं, राज्य के 81 स्कूलों में कोई छात्र नहीं है, फिर भी वहां 56 शिक्षक तैनात हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 2.6 लाख स्कूल हैं, जिनमें 4.3 करोड़ छात्र और 16.2 लाख शिक्षक कार्यरत हैं. इसका मतलब है कि प्रति शिक्षक औसतन 26 छात्र हैं. हालांकि, स्कूलों में शिक्षक और छात्रों का वितरण असमान है. हर स्कूल में औसतन छह शिक्षक और 163 छात्र हैं. पूरे भारत में 1 लाख स्कूल ऐसे हैं जिन्हें केवल एक शिक्षक चला रहा है और उत्तर प्रदेश अकेले लगभग 9% ऐसे स्कूलों और 18% छात्रों का हिस्सा रखता है. पड़ोसी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की स्थिति काफी चिंताजनक है. दिल्ली में 5,556 स्कूल हैं जिनमें 44.9 लाख छात्र पढ़ते हैं, लेकिन केवल 62 स्कूलों में ही एक शिक्षक है, और ये 771 छात्रों को पढ़ाते हैं. हरियाणा में 23,494 स्कूल हैं, जिनमें 57.7 लाख छात्र हैं, और केवल 1,066 स्कूलों में एक ही शिक्षक है, जो 43,400 छात्रों को पढ़ा रहे हैं. रिपोर्ट में हुआ खुलासा रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर प्रदेश ने अंतिम बड़ी भर्ती TET 2011 के आधार पर लगभग 70,000 प्राथमिक शिक्षक की थी. मार्च में रिपोर्ट में बताया गया कि गाजियाबाद के कम से कम 30 सरकारी प्राथमिक स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे थे, जबकि 25 स्कूलों में केवल एक शिक्षक था. अप्रैल में और 10 शिक्षक, जिनमें तीन प्रिंसिपल भी शामिल हैं, सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे कई स्कूल गंभीर रूप से कम स्टाफ वाले हो जाएंगे, जिनमें छात्र संख्या 200 से अधिक भी हो सकती है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रदेश के 7,087 स्कूलों (5.2%) में लड़कियों के लिए कार्यशील शौचालय नहीं हैं, जो किशोरियों के स्कूल छोड़ने का बड़ा कारण बन रहे हैं. कुल 1,36,979 सरकारी लड़कियों या सह-शिक्षा स्कूलों में 1,33,311 स्कूलों (97.3%) में लड़कियों के लिए शौचालय हैं, लेकिन केवल 1,29,892 (94.8%) ही कार्यशील हैं. इसका मतलब है कि 3,668 स्कूलों (2.7%) में अलग से लड़कियों के शौचालय नहीं हैं और 3,419 स्कूलों में शौचालय हैं, लेकिन कार्य नहीं कर रहे. डिजिटल एजुकेशन में पिछड़ा डिजिटल एजुकेशन में भी उत्तर प्रदेश पीछे है. प्रदेश में 1,37,172 सरकारी स्कूल, 8,262 सहायता प्राप्त स्कूल और 1,04,580 निजी अनुदान रहित स्कूल हैं. इनमें केवल 51,295 स्कूलों (19.6%) में कार्यशील कंप्यूटर हैं. सरकारी स्कूलों में सिर्फ 4,729 (3.4%) स्कूलों में कंप्यूटर हैं, जबकि सहायता प्राप्त स्कूलों में 3,114 (37.7%) और निजी अनुदान रहित स्कूलों में 41,491 (39.7%) में कंप्यूटर हैं. लैपटॉप और टैबलेट के मामले में भी हालत खस्ता लैपटॉप और टैबलेट की स्थिति और खराब है. पूरे प्रदेश में केवल 37,498 स्कूलों (14.3%) में लैपटॉप और 69,001 स्कूलों (26.3%) में टैबलेट हैं. सरकारी स्कूलों में केवल 1,094 (0.8%) स्कूलों में लैपटॉप और 61,522 (44.8%) स्कूलों में टैबलेट उपलब्ध हैं. वहीं निजी अनुदान रहित स्कूलों में 31,684 (30.2%) स्कूलों में लैपटॉप और 6,831 (6.5%) स्कूलों में टैबलेट हैं. सरकारी स्कूलों में केवल 28,558 (20%) में ही स्मार्ट क्लासरूम हैं. यानी 79% स्कूल अभी भी डिजिटल शिक्षा से दूर हैं. यह भी पढ़ें - सोशल मीडिया पर शेयर किया SSC का क्वेश्चन पेपर तो खैर नहीं, लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना

उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हाल ही में सामने आई रिपोर्ट ने कई चिंताओं को जन्म दिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी की गई UDISE+ 2024-25 रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 9,508 ऐसे स्कूल हैं जिनमें केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है. ये अकेले शिक्षक कुल 6.2 लाख छात्रों को पढ़ा रहे हैं. वहीं, राज्य के 81 स्कूलों में कोई छात्र नहीं है, फिर भी वहां 56 शिक्षक तैनात हैं.
उत्तर प्रदेश में कुल 2.6 लाख स्कूल हैं, जिनमें 4.3 करोड़ छात्र और 16.2 लाख शिक्षक कार्यरत हैं. इसका मतलब है कि प्रति शिक्षक औसतन 26 छात्र हैं. हालांकि, स्कूलों में शिक्षक और छात्रों का वितरण असमान है. हर स्कूल में औसतन छह शिक्षक और 163 छात्र हैं. पूरे भारत में 1 लाख स्कूल ऐसे हैं जिन्हें केवल एक शिक्षक चला रहा है और उत्तर प्रदेश अकेले लगभग 9% ऐसे स्कूलों और 18% छात्रों का हिस्सा रखता है.
पड़ोसी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की स्थिति काफी चिंताजनक है. दिल्ली में 5,556 स्कूल हैं जिनमें 44.9 लाख छात्र पढ़ते हैं, लेकिन केवल 62 स्कूलों में ही एक शिक्षक है, और ये 771 छात्रों को पढ़ाते हैं. हरियाणा में 23,494 स्कूल हैं, जिनमें 57.7 लाख छात्र हैं, और केवल 1,066 स्कूलों में एक ही शिक्षक है, जो 43,400 छात्रों को पढ़ा रहे हैं.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर प्रदेश ने अंतिम बड़ी भर्ती TET 2011 के आधार पर लगभग 70,000 प्राथमिक शिक्षक की थी. मार्च में रिपोर्ट में बताया गया कि गाजियाबाद के कम से कम 30 सरकारी प्राथमिक स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे थे, जबकि 25 स्कूलों में केवल एक शिक्षक था. अप्रैल में और 10 शिक्षक, जिनमें तीन प्रिंसिपल भी शामिल हैं, सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे कई स्कूल गंभीर रूप से कम स्टाफ वाले हो जाएंगे, जिनमें छात्र संख्या 200 से अधिक भी हो सकती है.
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रदेश के 7,087 स्कूलों (5.2%) में लड़कियों के लिए कार्यशील शौचालय नहीं हैं, जो किशोरियों के स्कूल छोड़ने का बड़ा कारण बन रहे हैं. कुल 1,36,979 सरकारी लड़कियों या सह-शिक्षा स्कूलों में 1,33,311 स्कूलों (97.3%) में लड़कियों के लिए शौचालय हैं, लेकिन केवल 1,29,892 (94.8%) ही कार्यशील हैं. इसका मतलब है कि 3,668 स्कूलों (2.7%) में अलग से लड़कियों के शौचालय नहीं हैं और 3,419 स्कूलों में शौचालय हैं, लेकिन कार्य नहीं कर रहे.
डिजिटल एजुकेशन में पिछड़ा
डिजिटल एजुकेशन में भी उत्तर प्रदेश पीछे है. प्रदेश में 1,37,172 सरकारी स्कूल, 8,262 सहायता प्राप्त स्कूल और 1,04,580 निजी अनुदान रहित स्कूल हैं. इनमें केवल 51,295 स्कूलों (19.6%) में कार्यशील कंप्यूटर हैं. सरकारी स्कूलों में सिर्फ 4,729 (3.4%) स्कूलों में कंप्यूटर हैं, जबकि सहायता प्राप्त स्कूलों में 3,114 (37.7%) और निजी अनुदान रहित स्कूलों में 41,491 (39.7%) में कंप्यूटर हैं.
लैपटॉप और टैबलेट के मामले में भी हालत खस्ता
लैपटॉप और टैबलेट की स्थिति और खराब है. पूरे प्रदेश में केवल 37,498 स्कूलों (14.3%) में लैपटॉप और 69,001 स्कूलों (26.3%) में टैबलेट हैं. सरकारी स्कूलों में केवल 1,094 (0.8%) स्कूलों में लैपटॉप और 61,522 (44.8%) स्कूलों में टैबलेट उपलब्ध हैं. वहीं निजी अनुदान रहित स्कूलों में 31,684 (30.2%) स्कूलों में लैपटॉप और 6,831 (6.5%) स्कूलों में टैबलेट हैं. सरकारी स्कूलों में केवल 28,558 (20%) में ही स्मार्ट क्लासरूम हैं. यानी 79% स्कूल अभी भी डिजिटल शिक्षा से दूर हैं.
यह भी पढ़ें - सोशल मीडिया पर शेयर किया SSC का क्वेश्चन पेपर तो खैर नहीं, लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना
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