मैन्युफैक्चरिंग PMI घटकर मई में तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर आया, लेकिन GDP ग्रोथ की उम्मीद बरकरार
Manufacturing PMI Declines: प्राइवेट सेक्टर की तरफ से किए गए एक सर्वेक्षण से ये पता चला है कि देश की मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पिछले तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर चली गई है और ये 57.6 के स्तर पर आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 2 अप्रैल को टैरिफ का ऐलान किया गया था. इसके बाद एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मई के महीने में पहली बार गिरावट आयी. इस बारे में एचएसबीसीइंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी का कहना है कि मई के महीने में भारत की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मे मजबूती थी. लेकिन प्रोडक्शन और नए ऑर्डर में बढ़ोतरी पिछले महीने की तुलना में कम रही. मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में गिरावट अगर मई की बात की जाए तो उस महीने की पीएमआई आंकड़ा 58.3 के प्रारंभिक डेटा से कम है. चार जून को सर्विस सेक्टर के आंकड़े जारी किए जाएंगे. भारतीय इकोनॉमी ने जनवरी से मार्च के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया है. आरबीआई ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ का लक्ष्य 6.5 फीसदी रखा है. पीएमआई के तहत स्कोर अगर 50 के ऊपर रहता है तो यह प्रोडक्शन का विस्तार हुआ माना जाता है लेकिन अगर ये उससे नीचे रहता है तो फिर प्रोडक्शन में गिरावट माना जाता है. भारत के उच्च विकास दर की वजह से आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत का अनुमान लगाया है. चौथी तिमाही के दौरान देश का जीडीपी ग्रोथ भी 6.2 प्रतिशत के उछलकर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गया. यह इकोनॉमिक ग्रो वित्त वर्ष 2025 के अनुमान के मुताबिक है. बनी रहेगी इकोनॉमी की रफ्तार इससे पहले, आरबीआई ने अपने अनुमान में कहा था कि देश की जीडीपी क्वार्टर-1 में 6.5 प्रतशत, क्वार्टर-2 के दौरान 6.7 प्रतिशत, क्वार्टर-3 के दौरान 6.6 प्रतिशत, और क्वार्टर-4 के दौरान 6.3% बनी रह सकती है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि यह अनुमान अनुमान वर्तमान डेटा और संतुलित जोखिम पर बेस्ड है. उन्होंने ये कहा था कि इंडियन इकोनॉमी ग्रोथ के रास्ते पर है. परंतु वैश्विक व्यापार के मुद्दे से अछूता नहीं रह सकता है. ये भी पढ़ें: लोगों ने जमकर किए डिजिटल पेमेंट, मई में टूटा रिकॉर्ड, जानें कितने करोड़ का हुआ UPI ट्रांजेक्शन

Manufacturing PMI Declines: प्राइवेट सेक्टर की तरफ से किए गए एक सर्वेक्षण से ये पता चला है कि देश की मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पिछले तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर चली गई है और ये 57.6 के स्तर पर आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 2 अप्रैल को टैरिफ का ऐलान किया गया था. इसके बाद एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मई के महीने में पहली बार गिरावट आयी.
इस बारे में एचएसबीसीइंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी का कहना है कि मई के महीने में भारत की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मे मजबूती थी. लेकिन प्रोडक्शन और नए ऑर्डर में बढ़ोतरी पिछले महीने की तुलना में कम रही.
मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में गिरावट
अगर मई की बात की जाए तो उस महीने की पीएमआई आंकड़ा 58.3 के प्रारंभिक डेटा से कम है. चार जून को सर्विस सेक्टर के आंकड़े जारी किए जाएंगे. भारतीय इकोनॉमी ने जनवरी से मार्च के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया है. आरबीआई ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ का लक्ष्य 6.5 फीसदी रखा है.
पीएमआई के तहत स्कोर अगर 50 के ऊपर रहता है तो यह प्रोडक्शन का विस्तार हुआ माना जाता है लेकिन अगर ये उससे नीचे रहता है तो फिर प्रोडक्शन में गिरावट माना जाता है. भारत के उच्च विकास दर की वजह से आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत का अनुमान लगाया है. चौथी तिमाही के दौरान देश का जीडीपी ग्रोथ भी 6.2 प्रतिशत के उछलकर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गया. यह इकोनॉमिक ग्रो वित्त वर्ष 2025 के अनुमान के मुताबिक है.
बनी रहेगी इकोनॉमी की रफ्तार
इससे पहले, आरबीआई ने अपने अनुमान में कहा था कि देश की जीडीपी क्वार्टर-1 में 6.5 प्रतशत, क्वार्टर-2 के दौरान 6.7 प्रतिशत, क्वार्टर-3 के दौरान 6.6 प्रतिशत, और क्वार्टर-4 के दौरान 6.3% बनी रह सकती है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि यह अनुमान अनुमान वर्तमान डेटा और संतुलित जोखिम पर बेस्ड है. उन्होंने ये कहा था कि इंडियन इकोनॉमी ग्रोथ के रास्ते पर है. परंतु वैश्विक व्यापार के मुद्दे से अछूता नहीं रह सकता है.
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