भू-राजनीतिक तनाव के बाद भारत की रेटिंग की होगी समीक्षा, इंटरनेशनल एजेंसी मूडीज करने जा रही बैठक
Moody To Review India Sovereign Rating: वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज आज यानी गुरुवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग की समीक्षा के लिए सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रही है. पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के साथ हुए तनाव और टैरिफ ट्रेड टेंशन के बाद मूडीज की तरफ से इस तरह की ये पहली कवायद है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, मूडीज रेटिंग के सीनियर वाइस क्रिश्चियन डी गजमैन का कहना है कि वे रिव्यू कर रहे हैं और इसके लिए उनके पास छह महीने का समय है. उन्होंने कहा कि इस वक्त रेटिंग में पाकिस्तान के साथ भारत के टकराव जैसे रिस्क भी शामिल है. बीएए प्लस बरकरार फिलहाल मूडीज की तरफ से भारत की सॉवरेन रेटिंग बीएए प्लस रखी गई है, जो निवेश के ग्रेड में सबसे निचले स्तर की रेटिंग है. गजमैन का कहना है कि जब सरकार के साथ बातचीत की जाती है तो फिर हर विषय पर बात होती है. इसमें पाकिस्तान के साथ संघर्ष बढ़ने और जो घटनाएं हुईं वो भी शामिल है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और इसकी स्थानीय इकाई इक्रा रेटिंग्स ने बुधवार को कहा कि भारतीय कंपनियां सीमा शुल्क और भू-राजनीतिक दबाव के प्रभाव से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि बाहरी चुनौतियों की वजह से इंडियन इंडस्ट्री नए फाइनेंशियल ईयर में निवेश के फैसले बहुत ही सोच-समझकर करेंगी. घरेलू कंपनियां एक्सपोर्ट पर कम करेंगी निर्भरता मूडीज के बयान में कहा कि भारत की गैर-वित्तीय कंपनियां घरेलू खपत पर फोकस करने और एक्सपोर्ट पर अपनी निर्भरता कम निर्भरता के चलते अमेरिकी आयात शुल्क से सीधे प्रभावित नहीं होती हैं. उसने कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल वैश्विक मांग के कमजोर दृष्टिकोण को दूर करने में मदद करेगी. भारतीय कंपनियां घरेलू खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए क्षमता सृजन में निवेश करना जारी रखेंगी. मूडीज का अनुमान है कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त गैर-वित्तीय कंपनियां अगले दो वर्षों में पूंजीगत व्यय में सालाना लगभग 50 अरब डॉलर खर्च करेंगी ये भी पढ़ें: आईएमएफ का पैसा भी पाकिस्तान के लिए कम पड़ रहा, अब इस देश के सामने फैलाया हाथ, भारत का करारा विरोध

Moody To Review India Sovereign Rating: वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज आज यानी गुरुवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग की समीक्षा के लिए सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रही है. पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के साथ हुए तनाव और टैरिफ ट्रेड टेंशन के बाद मूडीज की तरफ से इस तरह की ये पहली कवायद है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, मूडीज रेटिंग के सीनियर वाइस क्रिश्चियन डी गजमैन का कहना है कि वे रिव्यू कर रहे हैं और इसके लिए उनके पास छह महीने का समय है. उन्होंने कहा कि इस वक्त रेटिंग में पाकिस्तान के साथ भारत के टकराव जैसे रिस्क भी शामिल है.
बीएए प्लस बरकरार
फिलहाल मूडीज की तरफ से भारत की सॉवरेन रेटिंग बीएए प्लस रखी गई है, जो निवेश के ग्रेड में सबसे निचले स्तर की रेटिंग है. गजमैन का कहना है कि जब सरकार के साथ बातचीत की जाती है तो फिर हर विषय पर बात होती है. इसमें पाकिस्तान के साथ संघर्ष बढ़ने और जो घटनाएं हुईं वो भी शामिल है.
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और इसकी स्थानीय इकाई इक्रा रेटिंग्स ने बुधवार को कहा कि भारतीय कंपनियां सीमा शुल्क और भू-राजनीतिक दबाव के प्रभाव से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि बाहरी चुनौतियों की वजह से इंडियन इंडस्ट्री नए फाइनेंशियल ईयर में निवेश के फैसले बहुत ही सोच-समझकर करेंगी.
घरेलू कंपनियां एक्सपोर्ट पर कम करेंगी निर्भरता
मूडीज के बयान में कहा कि भारत की गैर-वित्तीय कंपनियां घरेलू खपत पर फोकस करने और एक्सपोर्ट पर अपनी निर्भरता कम निर्भरता के चलते अमेरिकी आयात शुल्क से सीधे प्रभावित नहीं होती हैं. उसने कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल वैश्विक मांग के कमजोर दृष्टिकोण को दूर करने में मदद करेगी.
भारतीय कंपनियां घरेलू खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए क्षमता सृजन में निवेश करना जारी रखेंगी. मूडीज का अनुमान है कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त गैर-वित्तीय कंपनियां अगले दो वर्षों में पूंजीगत व्यय में सालाना लगभग 50 अरब डॉलर खर्च करेंगी
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