'भारत ने सुधारी सिंधु जल संधि वाली गलती', PM मोदी ने संसद से पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश- खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद से खड़े होकर पाकिस्तान को एक बार फिर कड़ा संदेश दे दिया कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद की गई अपनी बड़ी गलती को सुधार लिया है और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है.  ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने पर सहमत हो गए थे. उन्होंने कहा, 'भारत के हितों को गिरवी रखना कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही आदत रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंडित नेहरू द्वारा साइन की गई सिंधु जल संधि है. ये नदियां भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, हमारी जड़ें इनसे जुड़ी हैं. पंडित नेहरू भारत का 80% पानी पाकिस्तान को देने के लिए सहमत हुए थे.' लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाईप्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी मैं नेहरू की चर्चा करता हूं तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है. मैं एक शेर सुना करता था, 'लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई.' आजादी के बाद जो फैसले लिए गए, उनकी सजा देश आज तक भुगत रहा है. डिसिल्टिंग तक की इजाजत पाकिस्तान को दी गईउन्होंने कहा कि जब भी कहीं बांध बनता है तो उसमें डिसिल्टिंग का एक मैकेनिज्म होता है, लेकिन नेहरू ने पाकिस्तान के कहने पर यह शर्त स्वीकार की कि इन बांधों की डिसिल्टिंग भारत नहीं कर सकता. पानी हमारा, बांध हमारे यहां, लेकिन निर्णय पाकिस्तान का. एक बांध तो ऐसा है, जिसके डिसिल्टिंग गेट को ही वेल्डिंग कर दिया गया है. पाकिस्तान ने नेहरू से लिखवा लिया था कि भारत, पाकिस्तान की मर्जी के बिना अपने ही बांध की डिसिल्टिंग नहीं करेगा. यह समझौता देश के हितों के खिलाफ था. कांग्रेस की पुरानी नीतियों पर प्रधानमंत्री का प्रहारउन्होंने कहा कि पानी पर हमारे देश के किसानों और नागरिकों का हक था. अगर यह समझौता नहीं हुआ होता तो कई परियोजनाएं बनी होतीं. किसानों को फायदा मिलता और पीने के पानी के लिए कोई संकट नहीं होता. नेहरू ने पाकिस्तान को नहर बनाने के लिए करोड़ों रुपए दिए. यह समझौता देश के खिलाफ था. बाद में नेहरू को अपनी गलती माननी पड़ी. कूटनीति पर हमें उपदेश देने वालों को मैं उनके पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाना चाहूंगा. 26/11 के हमलों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी दबाव के आगे झुकते हुए घटना के कुछ ही हफ्तों के भीतर पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू कर दी. पाकिस्तान द्वारा भारतीय धरती पर हमलों को लगातार प्रायोजित करने के बावजूद यूपीए सरकार ने भारत से किसी भी पाकिस्तानी राजनयिक को निष्कासित करने से परहेज किया. उसने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा कभी रद्द नहीं किया. श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया- पीएम मोदीउन्होंने कहा कि 1974 में श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया. आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को वहां परेशानी होती है, कई बार उनकी जान पर बन आती है. 1965 की जंग में हाजीपीर पास को हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर लौटा दिया. 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे और पाकिस्तान का हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हमारी सेना के कब्जे में था. उस दौरान अगर थोड़ी सी दूरदृष्टि और समझ होती तो पीओके को वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था. इतना सब कुछ सामने होने के बावजूद कम से कम करतारपुर साहिब को तो ले सकते थे, वो भी नहीं कर पाए.

Jul 29, 2025 - 22:30
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'भारत ने सुधारी सिंधु जल संधि वाली गलती', PM मोदी ने संसद से पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश- खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद से खड़े होकर पाकिस्तान को एक बार फिर कड़ा संदेश दे दिया कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद की गई अपनी बड़ी गलती को सुधार लिया है और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है. 

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने पर सहमत हो गए थे. उन्होंने कहा, 'भारत के हितों को गिरवी रखना कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही आदत रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंडित नेहरू द्वारा साइन की गई सिंधु जल संधि है. ये नदियां भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, हमारी जड़ें इनसे जुड़ी हैं. पंडित नेहरू भारत का 80% पानी पाकिस्तान को देने के लिए सहमत हुए थे.'

लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी मैं नेहरू की चर्चा करता हूं तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है. मैं एक शेर सुना करता था, 'लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई.' आजादी के बाद जो फैसले लिए गए, उनकी सजा देश आज तक भुगत रहा है.

डिसिल्टिंग तक की इजाजत पाकिस्तान को दी गई
उन्होंने कहा कि जब भी कहीं बांध बनता है तो उसमें डिसिल्टिंग का एक मैकेनिज्म होता है, लेकिन नेहरू ने पाकिस्तान के कहने पर यह शर्त स्वीकार की कि इन बांधों की डिसिल्टिंग भारत नहीं कर सकता. पानी हमारा, बांध हमारे यहां, लेकिन निर्णय पाकिस्तान का. एक बांध तो ऐसा है, जिसके डिसिल्टिंग गेट को ही वेल्डिंग कर दिया गया है. पाकिस्तान ने नेहरू से लिखवा लिया था कि भारत, पाकिस्तान की मर्जी के बिना अपने ही बांध की डिसिल्टिंग नहीं करेगा. यह समझौता देश के हितों के खिलाफ था.

कांग्रेस की पुरानी नीतियों पर प्रधानमंत्री का प्रहार
उन्होंने कहा कि पानी पर हमारे देश के किसानों और नागरिकों का हक था. अगर यह समझौता नहीं हुआ होता तो कई परियोजनाएं बनी होतीं. किसानों को फायदा मिलता और पीने के पानी के लिए कोई संकट नहीं होता. नेहरू ने पाकिस्तान को नहर बनाने के लिए करोड़ों रुपए दिए. यह समझौता देश के खिलाफ था. बाद में नेहरू को अपनी गलती माननी पड़ी. कूटनीति पर हमें उपदेश देने वालों को मैं उनके पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाना चाहूंगा. 26/11 के हमलों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी दबाव के आगे झुकते हुए घटना के कुछ ही हफ्तों के भीतर पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू कर दी. पाकिस्तान द्वारा भारतीय धरती पर हमलों को लगातार प्रायोजित करने के बावजूद यूपीए सरकार ने भारत से किसी भी पाकिस्तानी राजनयिक को निष्कासित करने से परहेज किया. उसने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा कभी रद्द नहीं किया.

श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया- पीएम मोदी
उन्होंने कहा कि 1974 में श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया. आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को वहां परेशानी होती है, कई बार उनकी जान पर बन आती है. 1965 की जंग में हाजीपीर पास को हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर लौटा दिया. 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे और पाकिस्तान का हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हमारी सेना के कब्जे में था. उस दौरान अगर थोड़ी सी दूरदृष्टि और समझ होती तो पीओके को वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था. इतना सब कुछ सामने होने के बावजूद कम से कम करतारपुर साहिब को तो ले सकते थे, वो भी नहीं कर पाए.

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