बीमार होने पर जानवर कैसे करते हैं खुद का इलाज, जानकर हैरान रह जाएंगे आप
Animal Self Medication: जब भी हमें जुकाम, बुखार या पेट दर्द होता है, तो हम दवा लेते हैं, डॉक्टर के पास जाते हैं या घरेलू नुस्खों का सहारा लेते हैं. लेकिन जंगलों में रहने वाले जानवर जब बीमार होते हैं, तो वे क्या करते हैं? उनके पास न तो दवाइयां होती हैं, न डॉक्टर और न ही कोई अस्पताल. फिर भी वे कैसे ठीक हो जाते हैं? डॉ. अमर खान बताते हैं कि, जानवरों के पास एक खास 'प्राकृतिक बुद्धि होती है, जो उन्हें बीमारी की स्थिति में सही कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है. वे जंगल में मौजूद खास पौधों, मिट्टी, पानी या विश्राम की मदद से खुद को ठीक करने की कोशिश करते हैं. ये भी पढ़े- दिल की सेहत जांचने के लिए क्यों करवाया जाता है ट्रेडमिल वाला टेस्ट? जान लीजिए कारण बंदर औषधीय पत्तियों का सहारा लेते हैं अफ्रीका के जंगलों में पाए जाने वाले कई बंदर जब पेट दर्द से पीड़ित होते हैं, तो वे खास प्रकार की कड़वी पत्तियां चबाते हैं. ये पत्तियां उनकी सामान्य खुराक का हिस्सा नहीं होतीं, लेकिन बीमार होने पर वे इन्हें ढूंढ़कर खाते हैं. इन पत्तियों में प्राकृतिक एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं. कुत्ता घास खाता है आपने देखा होगा कि पालतू कुत्ते कभी-कभी घास खाते हैं और फिर उल्टी कर देते हैं. यह एक सामान्य व्यवहार है जो दर्शाता है कि उनके पेट में कुछ गड़बड़ है. घास खाना उनके लिए एक तरह से डिटॉक्स का काम करता है जिससे उन्हें राहत मिलती है. हाथी मिट्टी का सेवन करता है हाथी जब बीमार महसूस करते हैं या पाचन में परेशानी होती है, तो वे विशेष प्रकार की मिट्टी खाते हैं. इस मिट्टी में मौजूद खनिज उनके पाचन को दुरुस्त करने में मदद करते हैं. इसे 'जियोफैगी' (Geophagy) कहा जाता है. बिल्लियां शरीर की सफाई करती हैं बिल्लियां बार-बार अपने शरीर को चाटती हैं. ये सिर्फ साफ-सफाई नहीं, बल्कि शरीर की सतह पर मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को हटाने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. यह उन्हें संक्रमण से बचाती है. पक्षी रेत से स्नान करते हैं कुछ पक्षी जैसे गौरैया और कबूतर रेत में लोटते हैं. यह कोई खेल नहीं बल्कि एक प्राकृतिक तरीका है जिससे वे अपने पंखों से परजीवियों को हटाते हैं. इसे ‘डस्ट बाथ’ कहा जाता है. प्रकृति ने जानवरों को ऐसी अद्भुत समझ दी है, जिससे वे अपनी बीमारियों का इलाज खुद कर सकते हैं. बिना किसी डॉक्टर या दवा के वे खुद को ठीक करने में सक्षम होते हैं. यह बात हमें सिखाती है कि, अगर हम भी प्रकृति के करीब रहें और उसके संकेतों को समझें, तो जीवन और स्वास्थ्य दोनों को बेहतर बना सकते हैं. ये भी पढ़ें: हार्ट से लेकर किडनी तक, ज्यादा नमक खाने से ये चीजें हो सकती हैं खराब Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Animal Self Medication: जब भी हमें जुकाम, बुखार या पेट दर्द होता है, तो हम दवा लेते हैं, डॉक्टर के पास जाते हैं या घरेलू नुस्खों का सहारा लेते हैं. लेकिन जंगलों में रहने वाले जानवर जब बीमार होते हैं, तो वे क्या करते हैं? उनके पास न तो दवाइयां होती हैं, न डॉक्टर और न ही कोई अस्पताल. फिर भी वे कैसे ठीक हो जाते हैं?
डॉ. अमर खान बताते हैं कि, जानवरों के पास एक खास 'प्राकृतिक बुद्धि होती है, जो उन्हें बीमारी की स्थिति में सही कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है. वे जंगल में मौजूद खास पौधों, मिट्टी, पानी या विश्राम की मदद से खुद को ठीक करने की कोशिश करते हैं.
ये भी पढ़े- दिल की सेहत जांचने के लिए क्यों करवाया जाता है ट्रेडमिल वाला टेस्ट? जान लीजिए कारण
बंदर औषधीय पत्तियों का सहारा लेते हैं
अफ्रीका के जंगलों में पाए जाने वाले कई बंदर जब पेट दर्द से पीड़ित होते हैं, तो वे खास प्रकार की कड़वी पत्तियां चबाते हैं. ये पत्तियां उनकी सामान्य खुराक का हिस्सा नहीं होतीं, लेकिन बीमार होने पर वे इन्हें ढूंढ़कर खाते हैं. इन पत्तियों में प्राकृतिक एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं.
कुत्ता घास खाता है
आपने देखा होगा कि पालतू कुत्ते कभी-कभी घास खाते हैं और फिर उल्टी कर देते हैं. यह एक सामान्य व्यवहार है जो दर्शाता है कि उनके पेट में कुछ गड़बड़ है. घास खाना उनके लिए एक तरह से डिटॉक्स का काम करता है जिससे उन्हें राहत मिलती है.
हाथी मिट्टी का सेवन करता है
हाथी जब बीमार महसूस करते हैं या पाचन में परेशानी होती है, तो वे विशेष प्रकार की मिट्टी खाते हैं. इस मिट्टी में मौजूद खनिज उनके पाचन को दुरुस्त करने में मदद करते हैं. इसे 'जियोफैगी' (Geophagy) कहा जाता है.
बिल्लियां शरीर की सफाई करती हैं
बिल्लियां बार-बार अपने शरीर को चाटती हैं. ये सिर्फ साफ-सफाई नहीं, बल्कि शरीर की सतह पर मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को हटाने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. यह उन्हें संक्रमण से बचाती है.
पक्षी रेत से स्नान करते हैं
कुछ पक्षी जैसे गौरैया और कबूतर रेत में लोटते हैं. यह कोई खेल नहीं बल्कि एक प्राकृतिक तरीका है जिससे वे अपने पंखों से परजीवियों को हटाते हैं. इसे ‘डस्ट बाथ’ कहा जाता है.
प्रकृति ने जानवरों को ऐसी अद्भुत समझ दी है, जिससे वे अपनी बीमारियों का इलाज खुद कर सकते हैं. बिना किसी डॉक्टर या दवा के वे खुद को ठीक करने में सक्षम होते हैं. यह बात हमें सिखाती है कि, अगर हम भी प्रकृति के करीब रहें और उसके संकेतों को समझें, तो जीवन और स्वास्थ्य दोनों को बेहतर बना सकते हैं.
ये भी पढ़ें: हार्ट से लेकर किडनी तक, ज्यादा नमक खाने से ये चीजें हो सकती हैं खराब
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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