'फैमिली बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं', परिवार की मर्जी के खिलाफ साथ रह रहे कपल की याचिका पर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

सेम सेक्स मैरिज को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (5 जून, 2025) को अहम बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि भले भारत में सेम सेक्स मैरिज की अनुमति नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं कि LGBTQ+ कपल परिवार नहीं बना सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि परिवार बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस जी आर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनाराण की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने यह टिप्पणी लेस्बियन कपल के मामले में की, जिन्हें परिवार के दबाव के कारण अलग होना पड़ा. दोनों को अलग करने के लिए एक लड़की के परिवार ने बेटी को कैद में रखा है. पहले कपल ने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन पुलिस ने मदद नहीं की बल्कि याचिकाकर्ता की पार्टनर को जबरन उसके परिवार के पास भेज दिया. परिवार पर बेटी के साथ मारपीट करने और उसके साथ कुछ अनुष्ठान करने के आरोप हैं, ताकि वह 'नॉर्मल' हो जाए. याचिकाकर्ता की पार्टनर की मां का दावा है कि उनकी बेटी नशे करने की आदी है. हालांकि, जब कोर्ट ने लड़की से बात की तो उन्हें उसकी मां के दावों में कोई सच्चाई नहीं लगी और बेंच ने इन्हें खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'ये गलत है कि याचिकाकर्ता पर नशे करने के आरोप लगाए गए...  वह साफ कह चुकी है कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. उसने भी याचिकाकर्ता के आरोपों पर सहमति जताई है कि परिवार ने उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती उसको बांधकर रखा. यह भी पता चला कि उसको जबरदस्ती घर ले गए और फिर मारपीट की.' कोर्ट ने सुप्रिया चक्रवर्ती बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सेम सेक्स मैरिज को भारत में कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन वे परिवार बना सकते हैं. शादी परिवार बनाने के लिए जरूरी नहीं है. LGBTQIA+ में परिवार बनाने की अवधारणा अब स्वीकृत और स्थापित हो चुकी है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में भी हिचक रही थी कि वह जिसे बंदी बनाया गया, उस लड़की के साथ रिलेशनशिप में है. कोर्ट ने कहा, 'हम उसकी ये हिचकिचाहट समझते हैं. हमारा समाज अभी भी रूढ़िवादी है, हर परिवार लीला सेठ नहीं हो सकता है, जिन्होंने अपने बेटे के सेक्सुअल ओरिएंटेशन को स्वीकार किया और उसको सपोर्ट भी किया.  कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्य से लीला सेठ समलैंगिकता को अपराधमुक्त होते नहीं देख सकीं. कोर्ट ने कहा कि हिरासत में ली गई लड़की की मां लीला सेठ नहीं हैं कि वह इसको स्वीकार कर लें.

Jun 5, 2025 - 14:30
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'फैमिली बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं', परिवार की मर्जी के खिलाफ साथ रह रहे कपल की याचिका पर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

सेम सेक्स मैरिज को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (5 जून, 2025) को अहम बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि भले भारत में सेम सेक्स मैरिज की अनुमति नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं कि LGBTQ+ कपल परिवार नहीं बना सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि परिवार बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस जी आर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनाराण की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने यह टिप्पणी लेस्बियन कपल के मामले में की, जिन्हें परिवार के दबाव के कारण अलग होना पड़ा. दोनों को अलग करने के लिए एक लड़की के परिवार ने बेटी को कैद में रखा है.

पहले कपल ने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन पुलिस ने मदद नहीं की बल्कि याचिकाकर्ता की पार्टनर को जबरन उसके परिवार के पास भेज दिया. परिवार पर बेटी के साथ मारपीट करने और उसके साथ कुछ अनुष्ठान करने के आरोप हैं, ताकि वह 'नॉर्मल' हो जाए.

याचिकाकर्ता की पार्टनर की मां का दावा है कि उनकी बेटी नशे करने की आदी है. हालांकि, जब कोर्ट ने लड़की से बात की तो उन्हें उसकी मां के दावों में कोई सच्चाई नहीं लगी और बेंच ने इन्हें खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'ये गलत है कि याचिकाकर्ता पर नशे करने के आरोप लगाए गए...  वह साफ कह चुकी है कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. उसने भी याचिकाकर्ता के आरोपों पर सहमति जताई है कि परिवार ने उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती उसको बांधकर रखा. यह भी पता चला कि उसको जबरदस्ती घर ले गए और फिर मारपीट की.'

कोर्ट ने सुप्रिया चक्रवर्ती बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सेम सेक्स मैरिज को भारत में कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन वे परिवार बना सकते हैं. शादी परिवार बनाने के लिए जरूरी नहीं है. LGBTQIA+ में परिवार बनाने की अवधारणा अब स्वीकृत और स्थापित हो चुकी है.

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में भी हिचक रही थी कि वह जिसे बंदी बनाया गया, उस लड़की के साथ रिलेशनशिप में है. कोर्ट ने कहा, 'हम उसकी ये हिचकिचाहट समझते हैं. हमारा समाज अभी भी रूढ़िवादी है, हर परिवार लीला सेठ नहीं हो सकता है, जिन्होंने अपने बेटे के सेक्सुअल ओरिएंटेशन को स्वीकार किया और उसको सपोर्ट भी किया. 

कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्य से लीला सेठ समलैंगिकता को अपराधमुक्त होते नहीं देख सकीं. कोर्ट ने कहा कि हिरासत में ली गई लड़की की मां लीला सेठ नहीं हैं कि वह इसको स्वीकार कर लें.

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